Law

राम मंदिर – यूपी सरकार मुस्लमानों को अयोध्या के इस गांव में देने जा रही है जमीन..

अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ज़मीन के लिए मालिकाना हक़ की लड़ाई लड़ चुके एक प्रमुख पक्षकार हाजी महबूब को राज्य सरकार का ये फ़ैसला रास नहीं आ रहा है।

savan meena

न्यूज – सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर के लिए केंद्र सरकार के ट्रस्ट बनाने की घोषणा के साथ ही यूपी सरकार ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ जगह देने की भी घोषणा कर दी, लेकिन सरकार ने जो जगह देने की पेशकश की है उसे लेकर मुस्लिम पक्ष और अयोध्या के आम मुसलमानों में नाराज़गी है।

बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया, "कैबिनेट की बैठक में पांच एकड़ ज़मीन का प्रस्ताव पास हो गया है. हमने तीन विकल्प केंद्र को भेजे थे, जिसमें से एक पर सहमति बन गई है, यह ज़मीन लखनऊ-अयोध्या हाई-वे पर अयोध्या से क़रीब 20 किलोमीटर दूर है" बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने दो अन्य ज़मीनों के जो प्रस्ताव भेजे थे वो अयोध्या-प्रयागराज मार्ग पर थे, राज्य सरकार मस्जिद के लिए पांच एकड़ ज़मीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देने जा रही है, लेकिन अयोध्या के तमाम मुसलमान और इस विवाद में पक्षकार रहे कई लोग इतनी दूर ज़मीन देने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।

ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ज़फ़रयाब जिलानी ने सरकार के इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं, जिलानी का कहना है, "यह प्रस्ताव साल 1994 में संविधान पीठ के इस्माइल फ़ारूक़ी मामले में दिए गए फ़ैसले के ख़िलाफ़ है, उस फ़ैसले में यह तय हुआ था कि केंद्र द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ ज़मीन सिर्फ़ चार कार्यों मस्जिद, मंदिर, पुस्तकालय और ठहराव स्थल के लिए ही इस्तेमाल होगी, अगर उससे कोई ज़मीन बचेगी तो वह उसके मालिकान को वापस कर दी जाएगी, ऐसे में मस्जिद के लिये ज़मीन इसी 67 एकड़ में से दी जानी चाहिए थी"

यह गांव अयोध्या ज़िले के सोहवाल तहसील में आता है और रौनाही थाने से कुछ ही दूरी पर है, अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ज़मीन के लिए मालिकाना हक़ की लड़ाई लड़ चुके एक प्रमुख पक्षकार हाजी महबूब को राज्य सरकार का ये फ़ैसला रास नहीं आ रहा है।

बताया जा रहा है कि धन्नूपुर गांव में जिस जगह ज़मीन देने का सरकार ने प्रस्ताव पास किया है, वह मुस्लिम आबादी के क़रीब है और पास में ही एक दरगाह है जहां हर साल मेला लगता है, एक प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां ज़मीन देने की पेशकश की ही इसीलिए गई है क्योंकि यह जगह मुस्लिम बहुल है और उनके लिए मस्जिद की उपयोगिता भी है।

जहां तक सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का सवाल है तो वो सरकार के इस फ़ैसले का विरोध करता है या फिर स्वीकार करता है, इसका फ़ैसला बोर्ड की आगामी बैठक में लिया जाएगा, बोर्ड के एक सदस्य ने बताया कि पहले बोर्ड की बैठक 12 फ़रवरी को होनी थी लेकिन अब ये बैठक 24 फ़रवरी को होगी।

Diabetes से हो सकता है अंधापन, इस बात का रखें ख्याल

बीफ या एनिमल फैट का करते है सेवन, तो सकती है यह गंभीर बीमारियां

Jammu & Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में संपन्न हुआ मतदान, 59 प्रतिशत पड़े वोट

Vastu के अनुसार लगाएं शीशा, चमक जाएगी किस्मत

Tiger Parks: भारत के 8 फेमस पार्क,जहां आप कर सकते है टाइगर का दीदार