KVS Admission Guidelines 2022: केन्द्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों का कोटा खत्म कर दिया है। अब इस कोटे को क्यों खत्म किया गया है? इस कोटे को समाप्त करने की जरूरत क्यों पड़ी इसके बारे में आइए आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल देश में शिक्षा के समान अवसर के मकसद से तमाम शिक्षण संस्थानों में कोटा दिया जाता है। इन अवसरों को ध्यान में रखकर अब तक देश के केंद्रीय विद्यालयों (kendriya vidyalaya) में भी कई साल से 'एमपी कोटा' यानि सांसद कोटा भी चलया जा रहा था, इसमें सांसदों को कई विशेषधिकार दिए गए हैं। ऐसे में यदि किसी की किसी भी सांसद से अच्छी जान पहचान है तो उसके पुत्र को केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन मिलना आसान हो जाता था।
आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि जब केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटे की शुरुआत हुई तो इस कोटे की संख्या मात्र दो थी जो बढ़कर 10 हो गई। ऐसे में प्रत्येक सांसद को केन्द्रीय विद्यालयों (kendriya vidyalaya) में दस छात्रों को प्रवेश देने का अधिकार था। इस संबंध में केवीएस ने आदेश जारी कर दिया है। इसके अलावा दाखिले के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
आर्मी, नेवी और एयर फोर्स के हर शिक्षा निदेशालय द्वारा सम्बन्धित कर्मियों के अधिकतम 6 बच्चों के दाखिले के लिए संस्तुति की जा सकेगी।
केद्रीय विद्यालय (kendriya vidyalaya) संगठन के कर्मचारियों के बच्चों को मिलेगा क्षमता से बढ़कर दाखिला।
केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारियों के बच्चे को मिलेगा प्रवेश जिनकी सेवानिवृत्ति से पहले मृत्यु हो गई।
परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और सेना मेडल (आर्मी), नौसेना मेडल (नेवी), वायु सेना मेडल (एयर फोर्स) प्राप्तकर्ताओं के बच्चे।
गैलेंट्री के लिए प्रेसीडेंट्स पुलिस मेडल और पुलिस मेडल प्राप्तकर्ताओं के बच्चे।
सरकार द्वारा आयोजित एसजीएफआई / सीबीएसई / राष्ट्रीय / राज्य स्तरीय स्पर्धाओं में पहला, दूसरा या तीसरा स्थान प्राप्तकर्ताओं के बच्चे।
स्काउट्स एवं गाइड्स में राष्टपति पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के चिल्ड्रेन।
राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार या बालश्री पुरस्कार प्राप्त करने वालों के बच्चे।
फाइन आर्ट्स में विशेष दक्षता रखने वाले ऐसे बच्चे जिन्हें राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया गया हो।
विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों के बच्चों के लिए 60 सीटें।
रॉ के कर्मचारियों के बच्चों के लिए 15 सीटें।
पीएम केयर फंड फॉर चिल्ड्रेन स्कीम के अंतर्गत महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चे। इसके लिए हर केंद्रीय विद्यालय में अधिकतम 10 सीटें और किसी भी कक्षा में अधिकतम 2 सीटें।
केंद्रीय विद्यालयों में एमपी कोटा समाप्त।
कई सांसदों की ओर से लंबे समय से सांसदों का कोटा खत्म करने या सिफारिश के आधार पर एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही थी। केवीएस की ओर से जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रवेश नीति के 'विशेष प्रावधान' खंड में कई संशोधन किए गए हैं। सांसदों के कोटे के अलावा, केवीएस ने शिक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के 100 बच्चों, सांसदों और सेवानिवृत्त केंद्रीय विद्यालय कर्मचारियों के बच्चों और आश्रित पोते और स्कूल प्रबंधन समिति (VMC) के अध्यक्ष के विवेकाधीन कोटा सहित अन्य कोटा भी हटा दिया है।
KVS के मुताबिक ये संशोधन संगठन पर विचार करने के बाद किए गए हैं। KVS के एक अधिकारी ने बताया कि प्रवेश के विशेष प्रावधान खंड के तहत कुछ अन्य कोटे के साथ सांसदों का कोटा भी समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही कुछ नए कोटा भी शामिल किए गए हैं। नए कोटे के अनुसार गृह मंत्रालय के अंतर्गत CRPF बीएसएफ, ITBP, SSB, CISF, NDRF और असम राइफल्स जैसे समूह बी और सी केंद्रीय पुलिस संगठनों के बच्चों के लिए 50 सीटें शामिल हैं, जिन्हें आंतरिक सुरक्षा, सीमा सुरक्षा, आपदा प्रतिक्रिया के लिए तैनात किया जाता है। इसके इतर विशेष प्रावधानों के तहत आधिकारिक तौर पर ‘पीएम केयर्स’ योजना के तहत आने वाले बच्चों को भी शामिल किया गया है।
हाल ही में संपन्न हएु पार्ल्यामेंट सेशन के दौरान कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और भाजपा सांसद सुशील मोदी सहित कई सांसदों ने सरकार से सांसद कोटा समाप्त करने की मांग की थी। वहीं ये भी मांग की थी कि यदि इसे समाप्त नहीं किया जाता है तो इसकी समय सीमा बढ़ाई जाए। जिसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 21 मार्च को लोकसभा से सामूहिक तौर पर बहस करके ये तय करने का निवेदन किया था कि क्या एमपी कोटे को खत्म किया जाना चाहिए या जारी रखा जाना चाहिए? प्रधान की अपील के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी सुझाव दिया था कि इसे लेकर चर्चा के लिए एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जा सकती है और तय किया जा सकता है सांसद कोटे को बंद किया जाए या जारी रखा जाए। बहरहाल सभी डिस्कशन के बाद इस सांसद कोटे को समाप्त कर दिया गया है। लेकिन ये बात सोचने को मजबूर करती है कि आखिर क्या समस्या आई कि इसे समाप्त करने की नौबत आई।
केंद्रीय विद्यालय (kendriya vidyalaya) में सांसद कोटे में सांसद के अधिकारों को लेकर एक आरटीआई दायर गई थी। इसमें ये पता करने की कोशिश की गई कि ये एमपी कोटा क्या चीज है? इसे कब शुरू किया गया? ये कब से दिया जा रहा है? और अब तक इस सांसद कोटे से किन्हें कितनी मदद मिल पाई है? जिसके बाद केंद्रीय विद्यालय की ओर से डिटेल में जवाब दिया गया।
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने RTI में बताया कि सांसद कोटे के तहत दोनों राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों को कुल 10 सीटों पर प्रवेश दिलाने का विशेषाधिकार दिया गया है। मतलब ये कि सांसद कम से कम 10 लोगों के नाम को केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए दिया जा सकता है। आरटीआई में ये भी बताया गया कि पहले ये कोटा मात्र 2 तक ही निर्धारित था। लेकिन धीरे धीरे इसमें 2 से 7 तक के नामों की बढोतरी की गई और ये आंकड़ा 10 तक पहुंच गया।
सांसद कोटे की शुरुआत की बात करें तो केंद्रीय विद्यालयों के अस्तित्व में आने के बाद इसे 1990 तक जारी रखा गया। ताकि शिक्षा के समान अधिकार सभी को दिए जा सकें और सांसद पद के व्यक्ति शिक्षा से वंचित बच्चों या आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों के बच्चों का नाम केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए आगे कर सकें। फिर सांसद कोटे को 1990 में बंद कर दिया गया। फिर 1998 में तात्कालीन HRD मंत्री मुरली मनोहर जोशी के आदेश पर इन सांसद कोटे को दोबारा शुरू कर दिया गया।
बात दें की कांग्रसे की UPA सरकार के दौरान इस सांसद कोटे को समाप्त करने के प्रयास किए गए थे। उस दौरान के HRD मंत्री कपिल सिब्बल ने इसे समाप्त करने का प्रपोजल भी रखा था, लेकिन सदन में भारी विरोध के बाद इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया। इसके बाद ही यूपीए सरकार के दौरान ही इस सांसद कोटे को 2 से बढ़ा कर 6 तक कर दिया गया।
ये यक्ष प्रश्न है कि आजादी के कई सालों के बाद इस तरह के सांसद कोटे की सरकार को जरूरत क्यो पड़ी? इस पर केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) ने सफाई देते हुए बताया कि किसी भी लोकतंत्र में एक सांसद को अपने क्षेत्र के बारे में बेहतर तरीके से जानकारी होती है। उसे ये पता होता है कि उसके क्षेत्र में क्या समस्याएं हैं इसी के तहत उसे ये भी पता होता है कि शिक्षा को लेकर उनके क्षेत्र में क्या स्थिति है। सांसद ये जानते हैं कि आमजन को किस मदद की दरकार है। इसी के तह सांसदों को शिक्षा से वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए इस सांसद कोटे की शुरुआत की गई थी।
प्रवेश कोटे में बनाए गए विशेष प्रावधानों में परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र प्राप्तकर्ताओं के बच्चों का प्रवेश शामिल है। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्तकर्ता, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के कर्मचारियों के 15 बच्चे, COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चे, मृतक केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चे, ललित कला आदि में विशेष प्रतिभा दिखाने वाले बच्चे संबंधित कोटे से प्रवेश ले सकेंगे।
ज्ञात हो कि लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सांसद हैं जो सामूहिक रूप से व्यक्तिगत कोटे के तहत हर साल 7,880 छात्रों के एडमिशन की सिफारिश कर सकते थे। एक आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में सांसदों के कोटे के तहत 8,164 एडमिशन हुए, यानि ये कोटे की सीमा को भी पार कर गए।
साल 2019-20 इस कोट में 9,411 और 2020-21 में 12,295 एडमिशन हुए। वहीं 2021-22 में सिफारिश के आधार पर 7,301 बच्चों के एडमिशन हुए।
अब आपके मन में ये भी कोतूहल का विषय होगा कि केंद्रीय विद्यालय ही क्यों?... देश के तमाम राज्य में तो कई निजी स्कूल भी हैं जहां अच्छी पढ़ाई होती हैं। तो आपको बता दें कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्कूलों की गिनती उन अव्वल दर्जे के स्कूलों में होती है जो देश में टॉप श्रेणी में आते हैं यानि कि शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में इन स्कूलों को भी श्रेष्ठ माना जाता है,लेकिन केंद्रीय विद्यालय की एक खासियत जो दूसरे स्कूलों से इसे अलग करती है वो ये कि इसमें उतनी फीस नहीं ली जाती जितनी अन्य प्राइवेट स्कूलों में होती है। मतलब ये कि यदि आप केंद्रीय विद्यालय के स्तर के किसी प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चे का प्रवेश दिलाने जाएंगे तो वहां इतनी फीस बता दी जाएगी कि आपनकी आंखे फटी की फटी रह जाएंगी।
गौरतलब है कि केन्द्रीय विद्यालय भारत में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा का एक संगठन है और इसे खासकर देश की केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के की शिक्षा की पूर्ति के लिए गठित किया गया। केंद्रीय विद्यालय 1963 में अस्तित्व में आया था ये तब से भारत के केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अनुबन्धित है। मौजूदा समय में भारत में 1225 केन्द्रीय विद्यालय हैं।