मथुरा के रहने वाले विश्व कराटे चैंपियन हरिओम शुक्ला ने अपनी मेहनत और लगन से कई देशों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि हरिओम शुक्ला सड़क पर चाय बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
हरिओम मूल रूप से मथुरा के छोटी कोसी के रहने वाले हैं। 2013 से हरिओम
का परिवार यमुनापार स्थित ईशापुर में रह रहा है। उनका जन्म 28 अगस्त,
1993 में यमुनापार स्थित एक कॉलोनी में हुआ था। कक्षा 10वीं और 12वीं
की पढ़ाई चौधरी बदन सिंह कॉलेज, बलदेव से करने के बाद स्नातकोत्तर की शिक्षा जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद से पूरी की।
हरिओम ने ट्रेडिशनल स्यूटो कोई कराटे फेडरेशन ऑफ इंडिया
के बैनर तले वर्ष 2006 में मथुरा से कराटे खेलना शुरू किया।
इसके बाद 2008 में मुंबई के अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में इंटरनेशनल खिताब जीता।
इसके बाद हरिओम शुक्ला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कराटे प्रतियोगिता में कई खिताब अपने नाम किए।
2008 और 2010 में ओपन से पहला स्वर्ण पदक काठमांडू, 2013 में थाईलैंड के पटाया में स्वर्ण पदक, थाईलैंड से 2013 में ही रजत, यूएस में इंटरनेशनल 2015 में दूसरा रजत, श्रीलंका में पहला सीनियर स्वर्ण और दूसरा ओपन रजत जीतकर देश का नाम रोशन किया। हरिओम ने अब तक स्वर्ण, रजत और कांस्य मिलाकर लगभग 60 मेडल जीते हैं। उन्होंने विश्व चैंपियन का मेडल भी जीता।
इतने मेडल जीतने के बाद भी हरिओम शुक्ला परिवार का भरण-पोषण करने के लिए चाय बेचने को मजबूर हैं। हरिओम ने बताया कि उन्होंने मदद के लिए सरकार के भी दरबार में हाजिरी लगाई। सपा सरकार में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से मिलकर सरकारी मदद और नौकरी की मांग की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर क्षेत्रीय सांसद हेमा मालिनी, प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा और क्षेत्र के विधायक पूरन प्रकाश से भी सरकार से मिलने वाली मदद की उम्मीद को लेकर अपनी गुहार लगाई, लेकिन अभी तक मदद के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है।