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1 मई से नहीं शुरू होगा प्रशासन गांवों संग अभियान, राजस्व मंत्री ने सीएम को भेजा स्थगित करने का प्रस्ताव

Manish meena

राज्य के गांवों में, 1 मई से 'प्रशासन गांवों के साथ' अभियान शुरू नहीं होगा। सरकार ने कोरोना के मद्देनजर 'प्रशासन गांवों के साथ अभियान' को स्थगित करने की प्रक्रिया शुरू की। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए अभियान स्थगित करने का प्रस्ताव भेजा है। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद अभियान को स्थगित करने के आदेश जारी किए जाएंगे। इस अभियान के तहत प्रदेश के 11341 गांवों की जनता के सरकारी विभागों में अटके हुए कामों से लेकर पुराने विवाद निपटाने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए गांव मेंं ही कैंप लगने थे, लेकिन उन्हें अब और इंतजार करना होगा।

प्रशासन गांवों के संग अभियान को 1 मई से स्थगित करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया है

राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा- हमने प्रशासन गांवों के साथ अभियान की

पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन जिस तरह से कोरोना बढ़ रहा है, उसे देखते हुए

हम इसे 1 मई से शुरू नहीं कर सकते। प्रशासन गांवों के संग अभियान को 1

मई से स्थगित करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया है। हमारी यह बजट घोषणा थी और इसके जरिए ग्रामीण जनता को बड़ी राहत मिलती लेकिन कोरोना के चलते इसे टालना पड़ रहा है। आगे जैसे ही कोरोना के हालात सामान्य होंगे सरकार इस ​अभियान को दोगुनी ताकत से चलाएगी।

गांवों में कैंप लगाकर 18 विभागों से जुड़े काम करने थे

प्रशासन गाँवों के साथ अभियान के तहत, राज्य के 11341 गाँवों में शिविर लगाए जाने थे। इन शिविरों में, 18 विभागों से संबंधित कार्य एक ही स्थान पर होते। इसमें एक स्थान पर भूमि विवादों के निपटान से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन लिए जाते हैं। अप्रैल की शुरुआत में हुई कैबिनेट बैठक में प्रशासन गांवों के साथ अभियान की तैयारियों पर चर्चा की गई। ग्राम पंचायतवार शिविरों की तैयारी और तिथि निर्धारित करना कलेक्टर के स्तर पर किया जाना था। शिविर का आयोजन ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है।

सीएम ने बजट में प्रशासन गांवों के साथ अभियान और प्रशासन शहरों के साथ अभियान की घोषणा की थी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल के बजट में प्रशासन गांवों के साथ अभियान चलाने और प्रशासन शहरों के साथ अभियान चलाने की घोषणा की थी। इनमें जनता के अटके हुए सरकारी काम बना दफ्तरों के चक्कर लगाए घर के नजदीक ही हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवादों में अदालती मामलों में लंबे समय तक लोगों का समय और पैसा बर्बाद होता है। इन शिविरों में राजस्व न्यायालय भी स्थापित किए जाते हैं ताकि विवादों का निपटारा किया जा सके। भूमिहीनों को जमीन पट्टे पर देने का काम भी होता है। अब ये सभी कार्य कोरोना के कारण विलंबित होंगे।

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