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ट्रेन में सवार होंगे रेल मंत्री‚ फुल स्पीड में दो ट्रेनों की टक्कर करवाएगा रेलवे, आज कवच का परीक्षण

Lokendra Singh Sainger

भारतीय रेलवे के लिए शुक्रवार का दिन खास साबित होने वाला है। रेलवे आज हैदराबाद के सिकंदराबाद में ‘कवच’ नामक तकनीक का परीक्षण करने जा रहा है, जिसमें रेलवे फुल स्पीड में आ रही दो ट्रेनों की आपस में टक्कर करवायेगा।

इसमें एक तरफ ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होगें वहीं दूसरी ओर ट्रेन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहेगें। दावा किया जा रहा है कि कवच ऐसी तकनीक है, जिसके सफल परीक्षण होने पर दो ट्रेनों की टक्कर नहीं होगी।

'कवच' तकनीक आखिर क्या है? जानिए

कवच स्वदेशी रूप से विकसित एक ऐसी तकनीक है जिसमें स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) का विकास किया गया है। इस तकनीक को निर्मित कर, ऐसा डिजाइन बनाया है जिससे ट्रेन को स्वचालित रूप से रोका जा सके।

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कवच डिजिटल सिस्टम के माध्यम से रेड सिग्नल या कोई अन्य खराबी मिलते ही ट्रेन मेन्युअली रूक जाती है। रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि इसे लागू करने पर 50 लाख रूपये प्रति किलोमीटर का खर्च होगा जबकि दुनिया में ऐसी तकनीक मौजूद है और उसके लिए 2 करोड़ रूपये तक व्यय होते है।

रेल मंत्री खुद ट्रेन में होगें सवार

इस परीक्षण के दौरान खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहेगें। न्यूज एजेन्सी पीटीआई के अनुसार रेल मंत्री सनतनगर-शंकरपल्ली खंड पर कवच परीक्षण के लिए सिकंदराबाद में होगें। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि "रेल मंत्री और सीआरबी (रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष) 4 मार्च को होने वाले परीक्षण में भाग लेंगे, हम दिखाएंगे कि सिस्टम तीन स्थितियों में कैसे काम करता है।''

इस तकनीक में किसी भी ट्रेन को ऐसे सिग्नल से गुजारा जाता है जहां से उसे गुजरने की अनुमति नहीं होती ऐसे में लोको पायलट के ट्रेन रोकने में विफल होने पर भी ट्रेन मेन्युअली रूक जाती है। ऐसी स्थिति में कवच तकनीक ट्रेन को एक्सीडेंट होने से बचा देती है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि यह सेफ्टी सर्टिफिकेशन SIL-4 (सिस्टम इंटिग्रेटी लेवल-4) की पुष्टि करता है और साथ ही यह तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करती है।

केंद्रीय बजट 2022 में हुई ‘कवच’ की घोषणा

कवच तकनीक को लेकर केंद्रीय बजट 2022 में घोषणा की गई। सरकार आत्मनिर्भर भारत के तहत, इस तकनीक को दो हजार किलोमीटर के क्षेत्र में लाएगा। कवच को अभी तक दक्षिण मध्य रेलवे की परियोजनाओं में 1098 किमी से अधिक मार्ग और 65 इंजनों पर लगाया जा चुका है। अब इस तकनीक को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा कॉरिडोर (3000 किमी) पर लागू करने की योजना है।

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