Rajesh Singhal
देश-दुनिया में विख्यात रामनिवास बाग स्थित अल्बर्ट हाल म्यूजियम अपने आप में खास है। अल्बर्ट हाल अपना 138 वां स्थापना दिवस मना रहा है। जयपुर के अल्बर्ट हॉल को सेंट्रल म्यूजियम भी कहा जाता है।
इस संग्रहालय में पुरातात्विक और हैन्डीक्राफ्ट के सामानों का विस्तृत संग्रह है। समय के साथ म्यूजियम में कई बदलाव किए गए, ताकि सैलानियों को यह आकर्षण का केंद्र बन सके।
जानकारी के मुताबिक अल्बर्ट हॉल का निर्माण वर्ष 1887 में पूर्ण हुआ। अस्थाई संग्रहालय और प्रदर्शनी में कला वस्तुओं को भारत के विभिन्न भागों और आसपास के क्षेत्रों से एकत्रित किया गया। इसके बाद इन्हें यहां नए संग्रहालय भवन में स्थानांतरित किया गया।
महारानी विक्टोरिया के पुत्र प्रिंस आफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड के वर्ष 1876 ई. में जयपुर आगमन के दौरान जब अल्बर्ट हॉल की नींव रखी गई। उस समय अल्बर्ट हॉल को बनाने की लागत महज 5 लाख दस हजार 36 हजार रुपए आई थी। हर साल सात लाख से अधिक सैलानी संग्रहालय घूमने आते हैं। इसके साथ ही इजिप्ट की ममी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। वहीं हर साल अब 7 लाख से अधिक सैलानी यहां पहुंचते हैं।
अल्बर्ट हॉल कर्नल ऐसऐस जैकब सीआईई की निगरानी में बनाया गया। भारतीय ईरानी स्थापत्य और पाषाण अलकंरण मुगल राजपूत स्थापत्य के लिए यह खास है।
इसमें यूरोप, मिश्र, चीन, ग्रीक सहित अन्य जगहों की सभ्यता की प्रमुख घटनाएं चित्रित की गई, ताकि यहां आने वाले अपनी संस्कृति के साथ-साथ अन्य देशों की संस्कृति और सभ्यता से रूबरू हो सकें।
इस तरह अल्बर्ट हॉल ज्ञान का केंद्र बन गया। शहर के बीचों बीख खड़ा यह संग्रहालय महाराजा रामसिंह के स्वप्नों का प्रतिबिंब और जयपुर की शान है।