Madhuri Sonkar
हनुमान जन्मोत्सव का दिन अपार भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा और दूसरी कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
राम भक्त हनुमान जी के जन्म को लेकर भक्तों के मन में यह सवाल हर साल आता है कि आखिर उनका जन्म साल में दो बार क्यों मनाया जाता है ? ऐसे में आज हम बजरंगबली के भक्तों की यह दुविधा दूर करते हुए इसके पीछे का राज बताएंगे।
ग्रंथों के अनुसार, एक बार भूख से बेहाल बाल हनुमान ने भोजन की लालसा में फल समझकर सूर्यदेव को निगल लिया था, जब इंद्रदेव ने उन्हें भगवान सूर्य को मुख से निकालने को कहा, तो उन्होंने मना कर दिया।
इसके बाद देवराज इंद्र क्रोध में आ गए और उन्होंने हनुमान जी पर वज्र से प्रहार कर दिया, जिससे वे मूर्छित हो गए। इस वाक्य को देख पवनदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरे जगत से वायु का प्रवाह रोक दिया।
इसके बाद ब्रह्मा जी और अन्य देवताओं ने अंजनी पुत्र को दूसरा जीवन प्रदान किया और अपनी-अपनी कुछ दिव्य शक्तियां भी दी। यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दौरान हुई थी, तभी से इस दिन को भी हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वीर हनुमान का जन्म मां अंजनी के गर्भ से हुआ था। कहा जाता है उनके जन्म के समय कई प्रकार के शुभ संयोग बन रहे थे, जिनका एक साथ बनना बेहद दुर्लभ माना जाता है।