Madhuri Sonkar
बीमारी किसी भी प्रकार की हो, उससे जूझना और फिर रिकवर होना एक बेहद दुखद और कठिन समय होता है। ऐसे में इससे उबरने के बाद एक ऐसा समय आ सकता है, जब आपको लगता है कि आपकी बीमारी तो ठीक हो गई है। फिर भी इसकी वजह से रातों की नींद तक उड़ जाती है। यह एक तरह की डिप्रेशन की भावना होती है।
डिप्रेशन आपको यह बताता है कि आपको एक रेस्टिंग कुशन की जरूरत है, जहां आप सुकून से लेट सकें, लेकिन ऐसा कुशन आपको कहीं मिलता नहीं है। आप अकेले ही अपने दिमाग में एक लड़ाई लड़ते हैं और आपका दिमाग आपको कहता है कि बस अब और नहीं।
इस लिए सबसे पहले जरूरी है डिप्रेशन की पहचान करना और खुद को इससे लड़ने के लिए मजबूत करना। डिप्रेशन की जल्दी पहचान ही इसका सही इलाज है। इसलिए इसके लक्षण पहचानें और समय रहते एक्सपर्ट से मदद लें।
साइकोथेरेपी में किसी लाइसेंस्ड प्रोफेशनल से बात कर के आप अपने व्यवहार और उन भावनाओं पर नियंत्रण करना सीख सकते हैं, जिनसे डिप्रेशन ट्रिगर होता है।
कुछ मामलों में डिप्रेशन बीमारी के लक्षणों पर भी निर्भर करता है। जिस बीमारी के कारण डिप्रेशन हुआ है, उस बीमारी का कोई खास इलाज या प्रोटोकॉल है, तो उसे बिना लापरवाही किए फॉलो करें, जिससे बीमारी के किसी लक्षण से डिप्रेशन ट्रिगर न हो।
अगर जरूरत हो, तो डॉक्टर के निर्देश पर एंटी-डिप्रेसेंट लें। मेडिटेशन और ध्यान भी एक बढ़िया विकल्प है।