Madhuri Sonkar
ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद को 'दृष्टि चोर' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश समय तक इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते और धीरे-धीरे दिखना बंद हो जाता है।
काला मोतिया और सफेद मोतिया दोनों में ही दृष्टि धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन दोनों में एक अंतर है, सफेद मोतिया में ऑपरेशन के बाद दृष्टि वापस आ जाती है, लेकिन काला मोतिया के कारण जो नजर जाती है, वह लौटती नहीं है।
काला मोतिया होने का सबसे बड़ा कारण है आंखों का दबाव बढ़ना। दबाव के कारण आंखों के पीछे की नसें सूखने लगती हैं और उनके कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है। एक बार इन नसों के नष्ट होने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता।
दबाव बढ़ने पर आंखों के चारों तरफ और सिर में दर्द महसूस होता है। रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुष दिखने लगता है। धीरे-धीरे देखने में भी परेशानी बढ़ने लगती है। अक्सर मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो पता चलता है कि नजर जा चुकी होती है।
बच्चों में भी काला मोतिया के लक्षण पाएं जाते है। इसकी वजह से बच्चों की आंखें बड़ी लगने लगती हैं। लगातार आंसू आते रहते हैं। रोशनी में उन्हें आंखें खोलने में दिक्कत होती है।
जैसे हम नियमित रूप से रक्तचाप की जांच कराते रहते हैं, उसी तरह दृष्टि और आंखों पर दबाव पड़ने की भी जांच वर्ष में एक बार जरूर करा लेनी चाहिए। यह इसलिए भी आवश्यक है कि कई बार आंखों पर बढ़ रहा दबाव हम महसूस नहीं कर पाते हैं, लेकिन समस्या लगातार बढ़ती रहती है।