जानें कैसे पड़ा मणिकर्णिका घाट का नाम, यहां अंतिम संस्कार मात्र से मिलती है मुक्ति

Madhuri Sonkar

क्या आपको पता है मणिकर्णिका घाट का नाम कैसे पड़ा, तो चलिए आपको बताते है।

भगवान शिव की नगर काशी धर्म, अध्यात्म और मोक्ष के लिए जानी जाती है। यहीं पर मणिकर्णिका घाट है।

ऐसी मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार करने से मृत इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मणिकर्णिका घाट का उल्लेख 5वीं शताब्दी के एक गुप्त अभिलेख में भी किया गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां पार्वती के सती रूप के कान की बालिया कुंड में गिर गई थी। जिसे भगवान शिव के द्वारा ढूंढ़ा गया था। इसी वजह से इसका नाम मणिकर्णिका घाट पड़ा।

यहां पर हमेशा चिताये जलती रहती है और यहां की आग कभी भी शांत नहीं होती है। जिस दिन यहां की आग शांत हुई, उसी दिन विनाशकारी प्रलय की शुरूआत हो जाएगी।

ऐसी मान्यता है कि जिसका अंतिम संस्कार इस घाट पर होता है महादेव उसे तारक मंत्र कान में देते है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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