बिटकॉइन की कीमत 14 अप्रैल को पहली बार 64,000 डॉलर के पार पहुंच गई।
कॉइनबेस की अमेरिकी शेयर बाजार में लिस्टिंग को इस उछाल की वजह माना जा रहा है।
जानकारों के अनुसार Coinbase क्रिप्टो एक्सचेंज के अमेरिकी शेयर बाजार में लिस्टिंग से क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में माहौल बनेगा।
आइए आपको समझाते हैं कि Coinbase क्या है, और इसमें भारतीय निवेशक कैसे निवेश कर सकते हैं।
अब तक दुनिया के ज्यादातर बड़े देश क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपना रुख पूरी तरह सपष्ट नहीं कर पाए हैं।
भारत, चीन समेत अनेक देश अपनी डिजिटल करेंसी को लेकर काम कर रहे हैं।
लेकिन इसी बीच इंस्टीट्यूशनल और रिटेल निवेशक दोनों ही लगातार क्रिप्टोकरेंसी में बड़ा भरोसा दिखा रहे हैं।
यही वजह है कि बिटकॉइन, इथीरियम एवं अन्य क्रिप्टोकरेंसी तेजी से अपना नया शिखर बना रहे हैं।
Coinbase की अच्छी लिस्टिंग से निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता को और दम मिला है।
लिस्टिंग की खबर से बढ़ी चमक ने बिटकॉइन को अपने सर्वकालिक 64,000 डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने में मदद की। हालांकि अब बिटकॉइन थोड़े करेक्शन के बाद 63,000 डॉलर के करीब आ गया है। टेस्ला एवं अन्य बड़े निवेशकों के पॉजिटिव रुख के बाद बड़ी तेजी से बिटकॉइन ने तेजी से नए शिखर बनाए है। 2021 की शुरुआत में बिटकॉइन की कीमत 29,178 के करीब थी। इस तरह केवल करीब 100 दिनों में इस क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू 120% तक बढ़ गई है।
कॉइनबेस विश्व की सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में से है। यह निवेशकों को बिटकॉइन समेत विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की सुविधा देता है। सैन फ्रैंसिस्को बेस्ड Coinbase की शुरुआत 2012 में हुई थी।
रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार इस प्लेटफार्म पर विश्व भर के करीब 100 देशों के 5 करोड़ से भी ज्यादा रजिस्टर्ड इन्वेस्टर्स है। इन निवेशकों की कुल एसेट वैल्यू करीब 223 बिलियन डॉलर की है। इतने बड़े एसेट वैल्यू के साथ कुल क्रिप्टो मार्केट में कॉइनबेस की हिस्सेदारी करीब 11.3% की है।
बिटकॉइन की कीमतों में उछाल से कंपनी का वैल्यूएशन काफी बढ़ा है। सितम्बर 2020 में कंपनी का वैल्यूएशन केवल 6 बिलियन डॉलर था।
2021 की पहली तिमाही के लिए कंपनी के रेवेन्यू का अनुमान 1.8 बिलियन डॉलर है और नेट इनकम 750 मिलियन डॉलर के पास हो सकता है। केवल इसी तीन महीने में रेवेन्यू 2020 के कुल 1.3 बिलियन डॉलर से काफी अधिक है। ऐसे अच्छे प्रदर्शन के बाद निवेशकों की Coinbase में रुचि स्वाभाविक है।
US बाजार में लिस्टेड इस कंपनी में निवेश के लिए भारतीय निवेशक US के ब्रोकर के साथ खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। निवेशक जरूरी पैन कार्ड, घर के पते को सत्यापित करने वाले ID के साथ सीधे अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी के साथ बाजार में व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। कुछ भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां भी अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस के साथ करार कर निवेशकों को आसान निवेश की सुविधा देती हैं।
कॉइनबेस की इस कहानी के पीछे रिस्क का भी साया है। कंपनी के रेवेन्यू का करीब 86% लेनदेन पर लगाए गए फीस से प्राप्त होता है। अगर आने वाले दिनों में लोगों की रुचि घटती है तो कंपनी के रेवेन्यू पर इसका असर होगा