डेस्क न्यूज़- आपने लोगों को कपड़ों पर कशीदाकारी करते देखा होगा, लेकिन क्या आपने किसी को पत्तों पर कढ़ाई करते देखा है? शायद नहीं। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रहने वाले सौरभ देवढे ने पहल की है। वह पिछले दो साल से पेड़ के सूखे पत्तों पर हाथ से कढ़ाई कर घर की सजावट का सामान बना रहे हैं। देश भर में उनके हुनर की भी मांग है। वे सोशल मीडिया के जरिए अपने उत्पाद की मार्केटिंग कर रहे हैं। इससे वह हर महीने 80 हजार रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं। सूखे पत्तों पर कढ़ाई का काम ।
21 वर्षीय सौरभ एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। सौरभ के माता-पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन बचपन से ही सौरभ को कढ़ाई और बुनाई का शौक था। इसलिए उन्होंने कला के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करने की योजना बनाई। हालांकि परिजन इस बात से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि कढ़ाई और बुनाई का काम लड़कियों का होता है, इसमें कोई करियर नहीं होता। किसी तरह सौरभ ने उन्हें मनाया और पुणे के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया।
हालांकि, सौरभ यहां ज्यादा देर तक पढ़ाई नहीं कर सके। उनके मुताबिक कॉलेज में क्रिएटिविटी पर खास ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इसलिए उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और फिर दूसरे संस्थान में दाखिला लिया। यहां उनका मन तल्लीन था और पढ़ाई के दौरान उन्होंने कढ़ाई भी सीखी। सौरभ कहता है कि तभी मेरे एक दोस्त ने सुझाव दिया कि हमें पढ़ाई के साथ-साथ अपना कुछ करने की योजना बनानी चाहिए। ताकि हम कुछ पैसे कमा सकें। मुझे उनका विचार पसंद आया। हालांकि, तब वे तय नहीं कर पा रहे थे कि किस तरह का काम शुरू किया जाए और कैसे किया जाए?
इसी बीच उनका एक सीनियर अहमदाबाद में डिजाइनिंग से जुड़ा स्टॉल लगा रहा था, इसलिए सौरभ ने अपने स्टॉल में उससे एक छोटी सी जगह अपने लिए ले ली। मां से 1500 रुपए लिए। कढ़ाई के लिए सुई, धागा, सूती कपड़ा और हुप्स खरीदें। उनकी मदद से घर को सजाने के लिए ईयररिंग्स, नेक पेंडेंट और हुप्स बनाए गए। सौरभ के सारे उत्पाद महज दो दिनों में बिक गए। इन उत्पादों को बेचकर सौरभ ने 3500 रुपये कमाए। इस लाभ के बाद, सौरभ ने इस कला को और लोगों तक ले जाने का इरादा किया। पढ़ाई के दौरान सौरभ ने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया और उस पर अपने उत्पादों की तस्वीरें अपलोड करने लगे।
हालांकि, सौरभ को पत्तों पर कशीदाकारी करने का विचार तब आया जब वह लॉकडाउन के दौरान अपने गांव आए। उस वक्त सौरभ को क्वारंटीन सेंटर में रखा गया था। अपने खाली समय में उनके पास करने के लिए कुछ नहीं था। फिर उसने कपड़े पर ही कढ़ाई करने का सोचा, लेकिन सौरभ के पास सिर्फ सूई और धागा था। ऐसा कोई कपड़ा नहीं था जिस पर वे कढ़ाई कर सकें। फिर जब वे टहलने निकले तो उनका ध्यान बरगद के पेड़ के पास बिखरे पत्तों पर गया और फिर उनके मन में यह विचार आया कि इस पर भी कुछ कला की जा सकती है। सौरभ ने कुछ सूखे पत्ते इकट्ठे किए और काम करने लगे। जल्द ही उन्होंने सुंदर डिजाइन बनाना शुरू कर दिया।
सौरभ कहते हैं कि जब मैंने पत्तों पर बनी कला की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करना शुरू किया तो लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला। लोगों को यह क्रिएटिविटी यूनिक लगी। जल्द ही लोगों की तरफ से मांग आने लगी। पहले जहां मैं हर महीने सिर्फ 7 से 8 हजार रुपए ही कमा पाता था, वहां खूब कमाई होने लगती थी। इसी बीच सौरभ की पढ़ाई पूरी हुई और उसे नौकरी भी मिल गई। यहां तनख्वाह अच्छी थी, लेकिन सौरभ का मन नहीं लग रहा था। कुछ दिनों तक काम करने के बाद, उन्होंने इस्तीफा दे दिया और पुणे लौट आए।
पुणे आकर सौरभ ने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने की योजना बनाई। उनके साथ उनकी बहन प्राजक्ता और भाई अनिकेत भी थे। सौरभ को एक महीने में 25 से 40 ऑर्डर मिलने लगे। इससे उनका काम फिर से हो गया। उनका कहना है कि उनके उत्पाद 400 रुपये से शुरू होते हैं। वे पेंटिंग, कढ़ाई, कपड़े पर बुनाई के साथ-साथ पत्तियों पर अपनी कला का प्रसार करते हैं। सौरभ वर्तमान में असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गुजरात सहित देश भर में अपने उत्पाद की मार्केटिंग कर रहे हैं।
इतना ही नहीं बॉलीवुड के कई कलाकार भी उनकी इस कारीगरी के फैन हैं। इनमें मशहूर एक्ट्रेस तापसी पन्नू का नाम भी शामिल है। उन्होंने तापसी के लिए एक स्पेशल हूप और ईयररिंग्स भेजे थे और तापसी ने इसके बारे में अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था। सौरभ के काम का दायरा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने पिछले महीने ही 86 हजार रुपए कमाए हैं। सौरभ ने कई वर्कशॉप भी किए हैं। वर्कशॉप से उन्हें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है। अब तक वे दो कार्यशालाओं में लगभग 20 लोगों को अपनी कला का प्रशिक्षण दे चुके हैं। सौरभ का कहना है कि वह इस काम को और बड़े स्तर पर ले जाना चाहते हैं।