कोरोना में कालाबाजारी पर HC की तल्ख टिप्पणी: कहा- लोगों में मानवता खत्म हो चुकी है, साथ आने की बजाए ऑक्सीजन-दवाओं की जमाखोरी कर रहे हैं

अदालत की टिप्पणी चिकित्सा स्टाफ, दवाओं, मेडिकल सामान और बेड की कमी पर सुनवाई के दौरान आई। एक वकील ने अदालत को सुझाव दिया था कि ऐसे अवसरों पर सेवानिवृत्त चिकित्सा पेशेवरों, डॉक्टरों और नर्सिंग छात्रों की सेवाएं लेने से मैनपावर की कमी पूरी की जा सकती है।
कोरोना में कालाबाजारी पर HC की तल्ख टिप्पणी: कहा- लोगों में मानवता खत्म हो चुकी है, साथ आने की बजाए ऑक्सीजन-दवाओं की जमाखोरी कर रहे हैं
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डेस्क न्यूज़- HC की तल्ख टिप्पणी – दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कोरोना महामारी पर अब तक की सबसे कड़ी टिप्पणी की। अदालत ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के जमाखोरी और कालाबाजारी से बेहद परेशान थी। अदालत ने कहा कि लोगों में मानवता काफी हद तक समाप्त हो गई है, जो अभी भी कालाबाजारी में लगे हुए हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि लोग अभी भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं और इसीलिए हम साथ नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि हम जमाखोरी और कालाबाजारी जैसी चीजों को देख रहे हैं।

एमिकस क्यूरिया ने कहा – बुनियादी ढांचे के साथ मैनपावर की भी जरूरत है

अदालत की टिप्पणी चिकित्सा स्टाफ, दवाओं,

मेडिकल सामान और बेड की कमी पर सुनवाई के

दौरान आई। एक वकील ने अदालत को सुझाव दिया था

कि ऐसे अवसरों पर सेवानिवृत्त चिकित्सा पेशेवरों, डॉक्टरों और नर्सिंग छात्रों की

सेवाएं लेने से मैनपावर की कमी पूरी की जा सकती है।

इस मामले में एमिकस क्यूरिया के रूप में नियुक्त वरिष्ठ वकील राजशेखर राव ने कहा कि केवल बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है। इसके लिए लोगों की जरूरत भी होगी। अभी तो मुट्ठी भर लोग ही सारे फैसले ले रहे हैं। अधिक लोगों को जमीनी स्तर पर लाने की आवश्यकता है ताकि निर्णय लेने वालों का बोझ कम किया जा सके।

प्लाज्मा दान अनिवार्य करने की मांग

वकील तरुण चंडिकोक कोरोना से कोरोना से ठिक हुए हैं। उन्होंने कहा कि उपचार के दौरान प्लाज्मा प्राप्त करने के लिए उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट को यह अनिवार्य कर देना चाहिए कि जो मरीज कोरोना से ठीक हो गया है उसे प्लाज्मा दान करना चाहिए। जिस तरह सरकारों के पास लोगों की भलाई के लिए जिम्मेदारी है, उसी तरह लोगों की भी जिम्मेदारियां हैं। इसके बजाय, लोग प्लाज्मा के लिए भारी मात्रा में चार्ज कर रहे हैं। एक अन्य वकील आदित्य प्रसाद ने कहा कि यहां तक ​कि ब्लड बैंक या किसी संस्थान से प्लाज्मा प्राप्त करना एक दर्दनाक और लंबी प्रक्रिया बन गई है।

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