राजस्थान के डूंगरपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जिले के रामसागड़ा थाना क्षेत्र के शरम गांव में एक सौतेली मां ने दो मासूम बच्चों काे अपने घर के बाथरूम में पानी के टब में डुबोकर माैत के घाट उतार दिया। इसके बाद परिजन व ग्रामीण काे सामान्य माैत बता कर घर से एक किलाेमीटर दूर जंगल में बच्चाें काे दफना भी दिया। दिल दहला देने वाली यह घटना 3 जून दोपहर की है। 4 दिन बाद साेमवार काे पूरा मामला सामने आया तो हर किसी के हाेश उड़ गए।
दरअसल, शरम गांव निवासी बद्रीलाल फेरा ने पहली शादी गुजरात की रहने
वाली संगीता से 5 साल पहले की थी। इनका 3 साल का बेटा विशाल व 4 साल
की बेटी निशा थी। दाेनाें बच्चाें के जन्म के बाद संगीता ने नाता विवाह कर
लिया। इसके बाद वह गांव से चली गई। इसके बाद बद्रीलाल ने दुर्गा नाम की
महिला से दूसरा विवाह कर लिया। बद्रीलाल राेजगार के चलते गुजरात में रहता है।
विशाल-निशा अपनी सौतेली मां दुर्गा और दादा-दादी के साथ गांव में रहते थे।
3 जून को बच्चाें के दादा व पिता गांव में नहीं थे।
3 जून की दोपहर को दुर्गा ने 3 साल के सौतेले बेटे विशाल व 4 साल की बेटी निशा फेरा
को घर के बाथरूम में पानी से भरे टब में डुबोकर मार डाला।
थोड़ी देर बार उसके जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज पर परिजन और ग्रामीण दौड़ कर आए।
दुर्गा ने परिवार वालों व गांव वालों को बताया कि दोनों बच्चों का डूबकर मरना हादसा था।
इस पर लाेगाें व परिजन ने यकीन कर लिया।
इसके बाद दाेनाें बच्चों के शव काे घर से एक किमी दूर दफना दिया।
हालांकि परिजनों को पहले ही घटना पर संशय हाेना भी बताया जा रहा है।
पूरे मामले में मृतक के दादा छगनलाल फेरा ने पुलिस में रिपोर्ट दी है।
दुर्गा की कहानी पर भरोसा कर ग्रामीणों व परिजनों ने रीतिरिवाज से गांव में ही परंपरागत स्थान पर दाेनाें बच्चाें का शव दफन किया। घटना के दो दिन बाद यानि 5 जून को बद्रीलाल की पत्नी दुर्गा बिना बताए अचानक कहीं चली गई। 6 जून की सुबह 5 बजे वापस घर आई तो घर वालों ने उससे इसका कारण पूछा। इसके बाद वह फूट-फूट कर रोने लगी। दुर्गा ने सौतले बच्चो के लालन-पोषण की जिम्मेदारी से बचने के लिए पानी से भरे टब में डुबोकर हत्या करना स्वीकार किया। मासूम की दुर्घटना में मौत के स्थान पर मौत का भयावह सच जान कर परिजन हक्के-बक्के रह गए। बताया जा रहा है कि ग्रामीण व परिजनाें ने महिला से सख्ती से पूछताछ की ताे उसने घर वालों को कहा कि मुझसे गलती हो गई। इसके बाद परिजनों ने गांव वालों के साथ मिल कर रामसागड़ा पुलिस को घटना के बारे में बताया। रामसागड़ा थानाप्रभारी बाबुलाल डामोर, एएसआई प्रवीण सिंह, मेवाड़ा चौकी प्रभारी ईश्वरलाल मय जाब्ता शरम गांव पहुंचे। मामले की पूरी जानकारी ली।
यह घटना डूंगरपुर जिले में नाता परंपरा और ममताहीन संवेदना के तार-तार खोलने वाली साबित हुई। पूरे मामले की खुलासे के बाद बद्री के घरवालों ने उसकी पहली पत्नी संगीता और परिजनों को घटना की सूचना दी। लेकिन मौके पर कोई नही आया। दूसरी पत्नी दुर्गा के परिजनों को मौके पर बुलाया गया, लेकिन वे भी नही आए। इसके बाद शरम सरपंच पोपटलाल गमेती, मृतक मासूम के दादा एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में दोनों शवों को जमीन से निकलवाया गया। पाेस्टमार्टम के लिए मेडिकल काॅलेज अस्पताल पहुंचाया गया।
रामसागड़ा पुलिस को रविवार शाम इस घटना की सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस के लिए दफनाए गए शव काे निकलवाना बड़ी चुनौती बन गया। इसके बाद रामसागड़ा थानाप्रभारी बाबूलाल डामोर, एएसआई प्रवीण सिंह मय जाब्ता मौके पर डटे रहे। साेमवार सुबह बिछीवाड़ा एसडीएम अश्विन के पंवार, सीमलवाड़ा डीएसपी रामेश्वरलाल चाैहान, तहसीलदार पुष्पेंद्र सिंह राजावत, गिरदावर एवं पटवारी मौके पर पहुंचे। मेवाड़ा पीएचसी से पीपीई किट और कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए दोनो शव को निकलवा कर पोस्टमार्टम के।लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि दुर्गा काे उसकी सास ने बच्चों की किसी बात काे लेकर टाेका था। इसके बाद गुस्से में आकर उसने बच्चाें काे घर में ही माैत के घाट उतार दिया। इसके बाद दुर्गा खुद भी मरना चाहती थी। पांच जून काे घर से बिना बताए वह मरने के लिए ही निकली थी, लेकिन 6 जून काे वापस लाैटने पर उसे पूरी हकीकत बता दी। बताया जा रहा है कि घटना वाले दिन 3 जून काे बच्चों की दादी घास लेने गई थी। वहां से वापस आने पर बच्चे नहीं दिखाई देने पर आवाज लगाई। इस पर बाथरूम की तरफ नल चलने की आवाज आई। इस पर दादी ने देखा कि दाेनाें बच्चाें के शव पानी में डूबे हुए थे। उनका शरीर बाहर की तरफ था। इसके बाद दुर्गा ने चिल्ला कर अन्य लाेगाें काे एकत्रित किया। हालांकि पूछताछ में सामने आया कि परिजन काे दुर्गा पर शक हाे गया था। इसलिए वह बिना बताए चली गई।