युद्द के मैदान में जब मिग उड़ान भरता है तो दुश्मन की रुह कांप जाती है लेकिन इसी शान के साथ मिग के नाम कई दाग भी हैं जो इसे उड़ता ताबूत जैसा नाम से पुकारने पर मजबूर करते हैं।
युद्द के मैदान में जब मिग उड़ान भरता है तो दुश्मन की रुह कांप जाती है लेकिन इसी शान के साथ मिग के नाम कई दाग भी हैं जो इसे उड़ता ताबूत जैसा नाम से पुकारने पर मजबूर करते हैं।
तारीख 25 दिसंबर 2021
स्थान-जैसलमेर
हादसा- मिग-21 दुर्घटना ग्रस्त पायलट की मौत
तारीख 25 अगस्त 2021
स्थान- बाड़मेर, मातासर भूटिया
हादसा- मिग-21 बाइसन क्रैश, पायलट सुरक्षित
ये सिलसिला साल की इन्हीं दो तारीखों पर नहीं रुकता हर साल कोई ना कोई ऐसी खबर जरुर आती रही है जिसमें मिग हमारे पायलट्स के लिए काल बना।
रण की शान को कैसे मिली उड़ता ताबूत की पहचान
वायुसेना का मिग-21 वो विमान जिसको ‘उड़ता ताबूत’ कहते है क्यों कहते हैं इसकी भी एक कहानी है, और इसका परिणाम आकड़े बताते है की देश की सेवा में मिग-21 का कितना योगदान रहा है, 60 के दशक में आईएएफ़ में शामिल हुए मिग-21 विमान के लिए एक रिपोर्ट के अनुसार 1970 से अब तक 400 से अधिक मिग -21 हादसे हुए जिसमें 200 से अधिक पायलट अपनी जान गवा चुके है।
सेना के लिए कितना बड़ा एसेट मिग
रूस द्वारा निर्मित इस सीरीज को अमेरिका सहित कैसे देशो में वायुसेना में काम लिया जाता है, लेकिन समय के साथ इसे रिटायर कर देते हैं, लेकिन भारत में पुरानी पीढ़ी के विमान को समय के बाद भी काम लिया जा रहा है। ज्यादा हादसे के शिकार होने के ये भी कारण हैं, और देश अपने काबिल पायलटों को खो रहा है,लेकिन अगर बात करें इसकी मारक क्षमता की तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये सेना के लिए कितना बड़ा एसेट है।
2019 में 27 फरवरी को पाकिस्तान द्वारा भारतीय मिग-21 बाइसन लड़ाकू जेट को मार गिराने का दावा करने के बाद, कई रक्षा विशेषज्ञों ने मिग विमानों में कमियों की ओर इशारा किया, लेकिन इस घटना में इस विमान को लेकर हो रही निंदा का जवाब खुद मिग ने ही दे दिया, मिग के दुर्घटना ग्रस्त होने से पहले पायलट ने इसी मिग की बदौलत पाकिस्तान का लड़ाकू विमान एफ-16 को मार गिराया था।
F-16 विमान को मार गिराया
इस विमान को दुनिया के अब तक के सबसे घातक और सफल लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है, रिपोर्ट्स के मुताबिक, हवाई युद्ध के इतिहास में यह पहली बार किसी F-16 विमान को मार गिराया गया था।
ये मिग की खूबियों के साथ इस जीत में पायलट की काबिलियत भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। ये कारनामा पायलट अभिनंदन ने कर दिखाया था, वो भी तब जब F-16 विमान तकनीक के मामले में ज्यादा विकसित हो, ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि मिग-21 विमान पुराने और अपने ही पायलटों के लिए घातक होने के बाद भी भारतीय वायु सेना में क्यों रहता है।
भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है, 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में वायु सेना में शामिल किया गया था, शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेंबल करने के अधिकार और तकनीक हासिल कर ली।
तब से लेकर अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध सहित कई मौकों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रूस ने 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया था, लेकिन भारत इसके उन्नत संस्करण का उपयोग कर रहा है। मिग एक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है जो युद्द के मैदान में कई खूबियां रखता है देश पर आए हर संकट में मिग ने भारतिय वायू सेना का पूरा साथ दिया लेकिन इस बात को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि इसी विमान ने कई होनहार पायलट्स की जान ले ली है। इसके बहुत से हादसे तो युद्ध अभ्यास के दौरान हुए हैं, जब इसे सुरक्षित नहीं माना जा रहा है तो क्यों इस उड़ते ताबूत में देश का एक बेटा वायूसेना का एक जाबांज पायलट सवार होने पर मजबूर किया जाता है।
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