नई दिल्ली के इंडिया गेट पर बीते 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलती ज्योति में विलय किया जाएगा। इसे लेकर अब विपक्ष बड़ा मुद्दा बना रहा है। वहीं इसे लेकर सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। सरकार ने सफाई दी है कि अमर जवान ज्योति की लौ बुझी नहीं है। इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लो में विलय किया जा रहा है।
सरकार ने स्पष्ट किया ये बेहद अजी था कि अमर जवान ज्योति की लौ 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि दे रही है, लेकिन वहां कोई नाम मौजूद नहीं है। सरकार ने बताया कि इंडिया गेट पर केवल कुछ शहीदों के ही नाम हैं जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी और इस प्रकार हमारे कोलोनियल हिस्ट्री का प्रतीक है।
सरकार ने कहा कि 1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित हैं। इसलिए शहीदों को यहां श्रद्धांजलि देना सच्ची श्रद्धांजलि है।
इससे पहले गुरुवार को सेना के अधिकारियों ने कहा कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलती हुई ज्योति के साथ विलय किया जाएगा, जो इंडिया गेट के दूसरी तरफ से सिर्फ 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।
बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी। इस युद्ध में भारत की जीत हुई और बांग्लादेश अस्तित्व में आया। इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।
अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट से नेशनल वॉर मेमोरियल ले जाने के सरकार के फैसले पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कई पूर्व सैनिकों ने भी इसे न हटाने की अपील करते हुए कहा है कि यह उनकी भावनाओं से जुड़ा है।
दिसंबर 2021 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरे हो गए हैं। वॉर मेमोरियल तक ले जाने के समर्थकों का कहना है कि जवानों की याद में पहले से ही एक रोशनी है।
अमर जवान ज्योति स्थान केवल शहीदों को सम्मान देने के लिए बनाया गया था। पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट पर अस्थाई रूप से लगाया गया था। अब जब हमारा अपना एक युद्ध स्मारक है, तो उसे वहीं ले जाना बेहतर होगा।
इस इश्यू पर पॉलिटिक्स भी शुरू हो गई है। राहुल गांधी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की और इसे दुख की बात बताया है। उन्होंने ट्वीट किया- बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!
25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था। जहां 26,466 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में उन सभी भारतीय शहीद हुए जवानों के नाम हैं, जिन्होंने 1947-48 के पाक के साथ युद्ध से लेकर चीनी सैनिकों के साथ गलवान घाटी संघर्ष तक विभिन्न अभियानों में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
वहीं युद्ध स्मारक की दीवारों पर उन सैनिकों के नाम भी हैं जिन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों में अपनी जान गंवाई।
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