डेस्क न्यूज. राजस्थान सरकार ने शुक्रवार को शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया कि वे बच्चों को स्कूल आने के लिए मजबूर न करें और उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा जारी रखें। सरकार ने पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए जारी निर्देश में यह बात कही है. इसके अनुसार सभी छात्रों के लिए शिक्षण संस्थानों में आने से पहले अपने माता-पिता/अभिभावकों से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा। जो माता-पिता/अभिभावक अभी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं, उन पर संस्थान द्वारा उपस्थिति के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा और उनके लिए ऑनलाइन अध्ययन की सुविधा लगातार संचालित की जाएगी।
शुक्रवार को सरकार ने कोरोना उचित व्यवहार, टीकाकरण के साथ मास्क का
अनिवार्य उपयोग, संक्रमण की रोकथाम, दो गज की दूरी और बंद स्थानों में उचित वेंटिलेशन से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए।
इसके अनुसार शिक्षण संस्थानों में प्रार्थना सभा व अन्य भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।
संस्थान परिसर में कैंटीन को अगले आदेश तक बंद रखा जाएगा।
सभी कर्मचारियों के लिए टीकाकरण की दोनों डोज लगाना अनिवार्य होगा।
दिशा-निर्देशों के अनुसार, संस्थान परिसर में किसी भी छात्र/शिक्षक/कार्मिक के
कोरोना संक्रमण या संभावित संक्रमण की स्थिति में संबंधित कक्ष को 10 दिनों के
लिए बंद कर दिया जाएगा। शैक्षणिक संस्थानों में कोरोना प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देशों
के अनुपालन की निगरानी के लिए जिलाधिकारी द्वारा एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा.
विभिन्न शहरों/कस्बों/ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की तत्काल स्थिति को देखते हुए
जिलाधिकारी को किसी भी स्कूल/छात्रावास आदि को कुछ समय के लिए बंद करने
या कोई अन्य प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत किया जाएगा.
सभी प्रकार की भीड़-भाड़ वाली सार्वजनिक, सामाजिक, राजनीतिक, खेल से संबंधित, मनोरंजन, शैक्षिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समारोहों/त्योहारों/शादी समारोहों में, COVID उपयुक्त व्यवहार (मास्क का अनिवार्य उपयोग, स्वच्छता, दो गज) का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। तदनुसार, यदि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है, तो जिला मजिस्ट्रेट आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 की धारा 51 से 60 के अनुसार अपने स्थानीय अधिकार क्षेत्र में कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।