बदल डाला पूरा मंत्रीमंडल, युवाओं पर दांव,जातीय तालमेल का ख्याल ! चुनावों से पहले जानिए गुजरात भाजपा के पूरे समीकरण का विश्लेषण

गुजरात चुनाव 2022 अब दूर नहीं है लेकिन बीजेपी के रणनीतिकारों ने इसकी भुमिका को आखिरी बार हुए क्या कैबिनेट के विस्तार के साथ ही अपनी स्थिति को चुनाव से कई महीनों पहले ही मजबूत कर अपनी जीत की राह की और अग्रसर हो चली है।
क्या कैबिनेट के विस्तार के साथ ही अपनी स्थिति को चुनाव से कई महीनों पहले ही मजबूत कर अपनी जीत की राह की और अग्रसर हो चली है BJP

क्या कैबिनेट के विस्तार के साथ ही अपनी स्थिति को चुनाव से कई महीनों पहले ही मजबूत कर अपनी जीत की राह की और अग्रसर हो चली है BJP

डेस्क न्यूज. गुजरात चुनाव 2022 अब दूर नहीं है लेकिन बीजेपी के रणनीतिकारों ने इसकी भुमिका को आखिरी बार हुए क्या कैबिनेट के विस्तार के साथ ही अपनी स्थिति को चुनाव से कई महीनों पहले ही मजबूत कर अपनी जीत की राह की और अग्रसर हो चली है। जिस तरह से गुजरात में कैबिनेट विस्तार के समय जाति-वर्गो का ध्यान रखा गया था। जिसका सीधा असर अब गुजरात में होने वाले 2022 के चुनाव में देखने को मिलेगा। गुजरात चुनाव से पहले क्या हैं बीजेपी की रणनीति जानिए।

<div class="paragraphs"><p>गुजरात चुनाव 2022</p></div>

गुजरात चुनाव 2022

युवाओं का रखा गया ध्यान

गुजरात में युवा वोटरों को टारगेट करने के लिए मंत्रीमंडल विस्तार में युवा चहरों को ज्यादा तवज्जों दी गई। कहीं ना कहीं रणनीतिकारों का इस कदम के पिछे गुजरात में युवा वोटरों को अपनी और आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है।

जातिय समीकरण के ताल-मेल का दिखेगा असर

कैबिनेट विस्तार के दौरान गुजरात के जातीय समीकरण का खासा ख्याल भी रखा गया था। जातिय समीकरण के मध्य नजर BJP ने पाटीदार समुदाय का विशेष ख्याल रखा है। इसी के चलते कैबिनेट में जिन 24 मंत्रियों को शपथ दिलाई उनमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के सात पाटीदार को मंत्रिमंडल में जगह दी। जातिय समीकरण के अनुसार कैबिनेट में 6 ओबीसी, 4 आदिवासी, 3 क्षत्रिय, 2 ब्राह्मण, 2 दलित और 1 जैन समुदाय के विधायक को जगह दें कर 2022 के चुनाव में अपनी जमीन मजबूत कर ली है। राजनीति के जानकार कहते है कि इसका सीधा असर 2022 के गुजरात में देखने को मिलेगा। क्योंकि जिस तरह से पाटीदार, ओबीसी और आदिवासी समुदाय को जगह दी गई है उसका सीधा असर मतदाताओं के ऊपर देखने को मिलेगा। जातीय समीकरण को ध्यान में रख कर बीजेपी ने सियासी संदेश देने की पूरी कोशिश की है।

क्या बीजेपी ने भांप ली थी एक साल पहले ही स्थिति

गुजरात चुनावों से तकरीबन एक साल पहले बीजेपी ने राज्य की पूरी सरकार बदल दी थी। इस पर विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ने ये फेरबदल गुजरात में सरकती सियासी जमीन को रोकने और देशभर में बीजेपी नेताओं को संदेश देने के लिए किया था। इसी बात को मध्य नजर रखते हुए नई टीम में किसी भी पुराने चहरे को जगह इसलिए नहीं दी गई थी। ताकि सत्ता के विरोधी में चल रही लहर की आंच नए मुख्यमंत्री और नए मंत्रिमंडल तक ना पहुंचे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार में अब सभी चेहरे होने के कारण गुजरात में चली सत्ता विरोधी लहर का बीजेपी ने बढे आराम से खात्मा कर दिया था। 2022 में गुजरात के विधानसभा चुनाव में नाम भूपेंद्र पटेल राज्य में पार्टी का चेहरा होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोटरों को अपनी और आकर्षित किया जाएगा।

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