डेस्क न्यूज. क्या किसी का महत्वकांक्षी होना गलत है ? कई बार यह व्यक्ति को बहुत आगे तक तो कई दफा नीचे तक ले आती है, ऐसे ही कई नेता अपनी महत्वकांक्षाओं के चलते पद के लालच में खुद को व पार्टी को नुकसान पहुंचाते देते हैं। क्योंकि कई दल के नेता अपने आप को पार्टी से ऊपर मानने लगते है और इसी चक्कर में खुद को सर्वेसर्वा मान बैठते हैं। यही कारण है कि इन नेताओं में खुद को खुदा होने का गुरुर रहा लेकिन सत्ता में कुर्सी ही चली गई। ऐसे कई नेता बेचारे आज घर बैठ गए हैं।
चुनावी चौक पर मुद्दों की महफिल ना सजे तो फिर जनता जयकारे कैसे लगाएगी। इसलिए नेता और राजनैतिक दल मुद्दे तलाशते भी हैं और गढ़ते भी हैं।
चुनावी उत्सव कब समर बन जाता है और कब ये तैयारियां दैनिक जीवन की जरुरी क्रिया बन जाती है लोग समझ ही नहीं पाते, नागरिक से वोटर हो जाना देश के संविधान की नजर में बिल्कुल सही नहीं है लेकिन राजनैतिक पार्टियों को ये बिल्कुल मुफीद बैठता है।
बिना सेनापति के युद्ध लड़ने जैसा ही होता है बिना किसी चेहरे से चुनाव में जाना लेकिन जब से नरेंद्र मोदी एक प्रसांगिक विमर्श बन कर उभरे हैं हर राजनैतिक पार्टी अब इसी फॉर्मूले को अपनाने में लगी है। कुछ ऐसी तस्वीर पंजाब में बनती नजर आ रही है जहां सिद्धू और चन्नी के कार्यकर्ता पार्टी से ज्यादा अपनी धाक जमाने में लगे थे।
अब नए सूत्र में सभी आम खास एक धागे में पिरो दिए गए हैं जीत पक्की होगी तब तय होगा की सेहरा किसके सर सजेगा।
सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव लड़ने के लिए जोर- शोर से तैयारियां कर रही हैं लेकिन माहौल कुछ पार्टीयों के अन्दर ऐसा हो गया है कि वे अपने सीएम के चेहरे को ही जग- जाहिर नहीं कर रही हैं क्योंकि पार्टी के आलाकमान को डर है कि कहीं कोई नेता नाराज ना हो जाए, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़े।
लेकिन पार्टी आलाकमान की मुसीबत यहीं खत्म नहीं हो जाती हैं जब चुनाव जीतने पर नेताओं में खींचतान शुरू होती है तो दल-बदल का डर से भी पार्टी को सामना करना पड़ता है।
जिसके कारण पार्टी फिर उनको मनाने के लिए कुछ नए पद को इजाद करती है इसकी झांकी हाल ही में हुए राजस्थान में मंत्रिमंडल के विस्तार में देखने को मिली। जहां मुख्यमंत्री ने 6 सलाहकारों को नियुक्त कर लिया, जिसके बाद विपक्ष ने इस मामले पर राजस्थान सरकार को घेरा था।
पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सीएम चेहरा जनता के सामने नहीं रखना चाहती जिससे कि चुनाव समाप्ति तक पार्टी में सौहार्द का माहौल बना रहे हालांकि पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह को सीएम चेहरा बनाया था। लेकिन कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती हैं‚ ऐसे में सीएम के चेहरे को लेकर अभी तक पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि पार्टी यदि चुनाव में सत्ता में वापसी करती है तो ही वो अपना अगला सीएम चुनावी समीकरण को ध्यान में रखते हुए सीएम घोषित करेगी।
न्यूज एजेन्सी एएनआई की मानें तो कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव में किसी को भी सीएम चेहरा घोषित नहीं करेगी। पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी ने बताया कि पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी बैठक में कांग्रेस ने पंजाब चुनाव को देखते हुए अहम फैसला किया है कि पार्टी एक परिवार से किसी एक व्यक्ति को ही टिकट देगी। इस बैठक में पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर टिकट देने को लेकर मंथन किया गया।
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