पांचो राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका हैं। सभी पार्टियां अपने - अपने स्तर पर मतदाताओं को साधने में जुट गई हैं। आज हम बात करेंगे पंजाब की। जहां चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही राज्य के नेता तमाम धार्मिक स्थलों पर नज़र आ रहे हैं और सिर्फ धार्मिक स्थलों पर ही नहीं, बल्कि डेरों में भी डेरा जमाते नज़र आ रहे हैं। रविवार को बठिंडा के सलबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा का आयोजन था। जिसमें अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेता भी शामिल थे। इस आयोजन में भाजपा के नेता हरजीत ग्रोवाल, सुरजीत जयानी, कांग्रेस के मंत्री विजय इंदर सिंगला, पूर्व मंत्री साधु सिंह धरमसोट, पूर्व विधायक हरमिंदर जस्सी और मंगत राय बंसल पहुंचे थे। साथ ही, बठिंडा शहरी सीट के उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के जगरूप गिल भी डेरे पर पहुंचे। शिरोमणि अकाली दल के नेता गुलजार सिंह को भी वहां देखा गया।
हालांकि, इस आयोजन में पहुंचे सभी नेताओं का कहना हैं कि यह उनकी राजनीतिक विजिट नहीं थी। अब ये तो राजनेता हैं, कुछ भी कह सकते हैं। लेकिन चुनाव के ऐलान के ठीक बाद वहां पहुंचने से यह साफ़ हैं कि सभी राजनेता वहां अपना मतलब साधने ही गए थे। बता दें कि, इस आयोजन में डेरा की राजनीतिक कमिटी के चेयरमैन राम सिंह और स्टेट कमिटी के सदस्य भी मौजूद थे। हालांकि, अब तक डेरे की ओर से किसी भी नेता या पार्टी के समर्थन के बारे में कुछ भी कहा नहीं गया हैं। डेरा की ओर से ये जरूर कहा गया हैं कि, सही समय पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा। डेरा के सूत्रों का यह भी कहना हैं कि, शायद इस बार किसी भी पार्टी के लिए समर्थन का ऐलान नहीं किया जाएगा। इसकी बजाय इस बार सीटवार कुछ उम्मीदवारों के समर्थन पर फैसला लिया जा सकता है।
ट्रिब्यून के प्रवक्ता हरचरण सिंह ने आयोजन को लेकर कहा कि, 'यह एक धार्मिक आयोजन था। इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं था। आज का आयोजन डेरा के दूसरे प्रमुख रहे शाह सतनाम की स्मृति में था।' हालांकि, डेरे के प्रमुख गुरमीत राम सिंह पर बेअदबी के मामलों को लेकर अनुयायियों में आक्रोश भी हैं। दरअसल, डेरा सच्चा सौदा मालवा क्षेत्र की 40 सीटों पर अपना असर रखता हैं।
बता दें कि, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह हत्या और रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। फिलहाल वह रोहतक जेल में बंद हैं। दरअसल, 2002 में डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसका प्रमुख आरोपी राम रहीम थे। इसी आरोप के चलते राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
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