एक के बाद एक यूपी के मंत्रियों के सपा में शामिल होने के बाद बुधवार को भाजपा ने समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया है। दिल्ली कैंट से टिकट न मिलने पर अपर्णा अखिलेश से नाराज चल रही मुलायम की बहू अपर्णा यादव ने आज बीजेपी के दिल्ली स्थित दफ्तर पहुंच कर भाजपा की सदस्यता ले ली। गई हैं।
यूपी के पिछले विस. चुनाव में सपा हाइकमान में पिता और पुत्र की पार्टी को लेकर आपसी फूट के बाद 2022 के यूपी चुनाव में ये दूसरी बार है जब सपा का पारिवारिक कलह दिख रहा है। वहीं भाजपा के मंत्रियों के सपा में जाने के बाद अपर्णा का पार्टी जॉइन करना बीजेपी के लिए सुकून देने वाली खबर साबित हो रही है। क्योंकि मंत्रियों के जाने के बीते 10 दिन से भाजपा चिंतन में जुटी थी।
1 जनवरी 1990 को जन्मी अपर्णा यादव के पिता का नाम अरविंद सिंह बिष्ट है, जो पेशे से पत्रकार रहे हैं। अपर्णा यादव ने ब्रिटेन के मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री ली है।
अपर्णा प्रतीक यादव को स्कूल के समय से ही जानती थीं। अपर्णा की स्कूलिंग लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेट से हुई है। अपर्णा और प्रतीक की सगाई 2010 में हुई और विवाह दिसंबर 2011 में हुआ। दोनों की शादी मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई में हुई थी। प्रतीक और अपर्णा यादव की एक बेटी है जिसका नाम प्रथमा है।
इस मौके पर केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि बहुत दिनों से चर्चा के बाद अपर्णा ने फैसला लिया। पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में जो विकास हो रहा है, यह देखते हुए बहुत लोग बीजेपी के मुरीद होकर पार्टी जॉइन कर रहे हैं। यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश अपने परिवार में ही सफल नहीं है
अपर्णा ग्रैजुएट होने के साथ-साथ शास्त्रीय गायिका भी हैं। उन्होंने लखनऊ के भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय में 9 साल तक शास्त्रीय संगीत की पढ़ाई की है। उन्हें घूमने का काफी शौक है, वह कई यूरोपीय देश घूम चुकी हैं।
सपा के पार्टी सूत्रों की मानें तो अपर्णा लखनऊ कैंट सीट से सपा के टिकट पर मैदना में उतरना चाहती थीं। बीते विस. चुनाव में वे इसी सीट से सपा के टिकट पर हारीं थी। ऐसे में अखिलेश फिर से उन पर दांव लगाने को तैयार नहीं हुए। अपर्णा सपा के जवाब मिलने के इंतजार में थीं, लेकिन जब सपा से उनको किसी तरह का संतुष्टि भरा जवाब नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया।
कयास लगाए जा रहे हैं कि लखनऊ कैंट सीट से समाजवादी पार्टी की युवा नेत्री सौम्या भट्ट चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। अंदरखाने से खबरें आ रही है कि शायद यही वजह है कि अपर्णा को इस सीट से टिकट नहीं दिया गया। बता दें कि अखिलेश और डिंपल यादव की करीबी सौम्या भी लखनऊ में एक सोशल वर्कर के तौर पर पहचान रखती हैं और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट चलाती हैं।
बता दें कि अपर्णा यादव को बेबाक बयान देने के तौर पर जाना जाता है। वे अक्सर सपा की पार्टी लाइन से बाहर स्टेटमेंट देने को लेकर हमेशा चर्चा में रही हैं। देखना होगा कि क्या अपर्णा को बीजेपी लखनऊ कैंट से मैदान में उतारेंगी। हालांकि यहां से बीजेपी के लिए अपर्णा को टिकट देना आसान नहीं होगा। यदि अपर्णा को यहां से टिकट मिलता है तो इसमें कोई शक नहीं की यहां से जीत हासिल करना बीजेपी ओर सपा दोनों के लिए नाक का सवाल बन जाए। क्योंकि अपर्णा स्वयं लखनऊ कैंट से मैदान में उतरने की बात कर चुकी हैं।
अपर्णा की लखनऊ कैंट सीट से लड़ने की मांग के साथ ही ये अब हॉट सीट बनती जा रही है। कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं पूर्व कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से अपने पुत्र के लिए टिकट की कर रही हैं। बता दें कि यहां रीता बहुगुणा जोशी ने ही 2017 में उस दौरान सपा की अपर्णा को हराया था। इसके बाद उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट को छोड़ दिया। वहीं उपचुनाव जीतने वाले वर्तमान में भाजपा विधायक सुरेश चंद्र तिवारी भी इस सीट पर अपना दावा ठोक रहे हैं।
अपर्णा यादव 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं। तब उन्हें कांग्रेस से भाजपा में आईं रीता बहुगुणा जोशी ने हराया था। रीता जोशी को 95,402 वोट और अपर्णा के पक्ष में 61,606 वोट डाले गए थे। जोशी ने यह सीट 33 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती ली थी
यह पहली दफा नहीं है जब मुलायम परिवार के किसी सदस्य ने सपा से दूर होकर अलग राह चुनी हो। मुलायम की भतीजी संध्या यादव राजनीति में पदार्पण करने वाली पहली बेटी रहीं। मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव की बेटी और धर्मेंद्र यादव की खास बहन संध्या यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सपा की थी, मगर पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया। उस दौरान संध्या यादव और उनके पति अनुजेश प्रताप यादव दोनों ही भाजपा में शामिल हुए थे।
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