UP ELECTION 2022: नोएडा में चुनाव प्रचार करने गए मनोज तिवारी को विरोधियों ने दिखाया जूता

उत्तरप्रदेश में चुनाव 10 फरवरी से 10 मार्च तक सात चरणों में होने है। सासंद मनोज तिवारी नोएडा से प्रत्याशी पंकज सिंह के डोर टू डोर प्रचार के लिए पहुंचे थे। वहां मनोज तिवारी के विरोध करने वाले लोगो ने अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाये।
सासंद मनोज तिवारी

सासंद मनोज तिवारी

नोएडा से उम्मीदवार और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह का चुनाव प्रचार करने पहुंचे मनोज तिवारी को विरोध का सामना करना पड़ा। तिवारी का विरोध करने वालो ने न केवल अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाये, अपितु उन्हें जूता भी दिखाया।

यह घटना नोएडा सेक्टर-17 की बतायी जा रही है। तिवारी के विरोध का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

इस वीडियो में विरोध करने वाले ने अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उन्हें यहां से जाने की कह रहे है। विरोध करने वालों मे से एक व्यक्ति पहले तो अखिलेश यादव जिंदाबाद का नारा लगाता है और फिर जूता दिखाकर विरोध करता है।

नोएडा का चुनावी समीकरण क्या कहता हैॽ

प्रदेश सरकार को सबसे ज्‍यादा राजस्‍व देने वाला नोएडा शहर देश के हाईटेक शहरों में गिना जाता है। यह शहर संजय गांधी द्वारा बसाया गया था। इस शहर से एक राजनीतिक मिथक भी जुड़ा है, जिसे बड़े-बड़े राजनीतिक नेता मानते है और कई मुख्यमंत्रियों ने नोएडा जाना ही बंद कर दिया।

2011 की जनगणना के अनुसार नोएडा की आबादी 6,37,272 है जिनमें से पुरुष और महिला आबादी क्रमश: 3,49,397 और 2,87,875 हैं।ऐसा कहा जाता है कि जो भी नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए नोएडा का दौरा करने आता है तो उस मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। इस मिथक का इतिहास 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, नोएडा में एक प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इसके बाद ही उनकी सरकार गिर गई थी।

इसी प्रकार साल 1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी नोएडा में एक पार्क का उद्घाटन करने पहुंचे और उसके बाद उन्हें भी अपनी कुर्सी गवानी पड़ी। ऐसा ही 1998 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नोएडा के एक प्रोग्राम में पहुंचे और इसके बाद उनकी भी सरकार गिर गई थी।

ऐसा ही सिलसिला 2004 में भी हुआ जब मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव एक स्कूल के उद्घाटन के लिए नोएडा पहुंच गए और फिर वे दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं लौट सके। इसके बाद 2011 में मायावती नोएडा आईं और इसके बाद हुए चुनाव में सत्ता उनके हाथ से फिसल गई। इसके बाद से 2017 तक उत्तर प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री नोएडा नहीं गया।

वहीं 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मिथक को तोड़कर नोएडा गए।

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