देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनावी माहौल परवान पर है। इसी कड़ी में गुरुवार को सीएम योगी (Yogi Adityanath Nomination) ने नामांकन दाखिल कर दिया। गोरखपुर (Gorakhpur) शहर विधानसभा सीट बीजेपी के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ रही है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि योगी का यहां से जीतना भी इतना आसान नहीं होगा।
वजह है यहां का ब्राह्मण वोट बैंक... कैसे आगे आपको बताते हैं। वहीं पूरे सूबे यानि यूपी की बात करें तो यहां भी भाजपा के लिए इस बार मामला कड़ा दिखाई दे रहा है। वजह ये कि भाजपा क्राइम फ्री यूपी की बात को डोर टू डोर प्रचार में जनता तक पहुंचा रही हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियां प्रदेश में शून्य विकास और
बढ़ी बेरोजगारी को लेकर बीजेपी पर हमलावर बनी हुई है। जनता का भी इसी सोच में है कि सरकार बीते पांच साल में क्राइम घटने की बात तो कह रही है, लेकिन बेरोजगारी और विकास का क्या? इसका ब्यौरा बताकर सरकार चुनाव में क्यों नहीं दे रही?
2022 में दाखिल किए गए अपने एफिडेविट में योगी ने बताया है कि उनके ऊपर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है। वहीं, अखिलेश यादव से तुलना करें तो 2022 में अखिलेश के पास योगी से 26 गुना ज्यादा संपत्ति है। गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव का 2004 से पहले के एफिडेविट का डेटा उपलब्ध नहीं है।
दूसरा ये कि बीजेपी जहां एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने की जुगत में है तो वहीं समाजवादी पार्टी पांच साल और बसपा अपने 10 सालों का सियासी वनवास खत्म करने के लिए इस चुनावी माहौल में एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि ये चुनाव बीजेपी के लिए चुनौती से भरा होने वाला है। इन्हीं कारणों से ये सवाल भी उठ रहे हैं कि 2017 के चुनाव में 311 सीट पर बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी इस बार भी कमल खिला पाएगी? और ये सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम और काम पर निर्भर करता है।
क्योंकि यूपी में योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) बीजेपी के सीएम फेस हैं, लेकिन यक्ष प्रश्न ये है कि क्या योगी बीजेपी के लिए क्या इस बार वाकई उपयोगी साबित होंगे? क्यों कि बीजेपी ने 2017 का चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था। इससे पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला। फिर जीत के बाद पार्टी ने अंत में आदित्य योगीनाथ को सीएम बनाया जिसकी उम्मीद नहीं थी।
वैसे देखा गया है कि बीजेपी ज्यादातर चुनावी मौकों पर सीएम फेस को लेकर अपने पत्ते नहीं दबा कर रखती है और मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाता है। जिस राज्य में पार्टी जीत दर्ज कर रही होती है वहां चुनावी नतीजों के बाद ही मुख्यमंत्री की घोषणा करती है।
वहीं जब वापसी के लिए चुनाव मैदान में उतरती है तो उस राज्य में सीएम की घोषणा पहले ही कर चुकी होती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में ये रणनीति बीजेपी की देखी गई।
लेकिन गुजरात में उसे कड़ी टक्कर मिली तो वहीं राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पार्टी केा मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ उतरना महंगा पड़ा गया। योगी आदित्यनाथ बीते 5 साल में यूपी में बीजेपी के बड़े चेहरे के तौर पर उभरे हैं, लेकिन दूसरी ओर उनकी अपनी ही पार्टी के भीतर उनके कई विरोध
जब योगी ने गोरखपुर (Gorakhpur) शहर विधान सभा सीट से नामांकन दाखिल करने पहुंचते तो सीएम योगी के साथ गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी इस दौरान वहीं उपस्थित थे। यह पहला था जब तीनों बड़े नेता एक साथ किसी के नामांकन में शामिल होने गोरखपुर पहुंचे थे।
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि मुस्लिम वोट बीजेपी को शायद ही मिलें, इसलिए पार्टी का फोकस पूरी तरह से ब्राह्मण वोट बैंक पर रहेगा। बड़े पैमाने पर उन्हें ब्राह्मण वोट बैंक मिल भी सकते हैं, लेकिन शायद उतने नहीं मिल पाएंगे जितने पिछले चुनाव में पार्टी ने हासिल किए थे। वजह वहीं कि पार्टी ने पहले चुनाव पीम मोदी के नाम पर लड़ा गया था।
चुनावी गलियारों में ये भी सुगबुगाहट है कि जब से योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर ऐलान किया गया है तब से ब्राह्मण तबका भी अपने वोटों पर फिर से विचार कर रहा है।
बहरहाल आज गुरुवार को अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि योगीजी के नामांकन में गोरखपुर (Gorakhpur) से सहारनपुर तक आपकी आवाज जानी चाहिए कि भाजपा इस बार 300 सीटों को पार करने जा रही है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी को जनता ने 2014, 2017, 2019 में प्रचंड बहुमत से जिताया। वहीं हम यूपी में 300 प्लस सीटों के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब मुझे 2013 में यूपी का प्रभारी बनाया गया तो लोग कहते थे कि यूपी में बीजेपी दो अंकों के आंकड़े पर भी नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन विपक्ष को दो अंक के आंकड़े को पार नहीं करने दिया।
2017 में हमें जनता का समर्थन मिला और हम 300 पार पहुंचे। योगीजी सीएम बने। 2019 में मोदीजी की लीडरशिप में भी हमने 65 सीटों पर जीत दर्ज की।
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