राजस्थान में कोरोना संक्रमण और उसके बाद लागू हुए दिशा-निर्देशों के चलते लगातार दूसरे साल विजयादशमी सादगी से मनाई जाएगी। इस बार चुनिंदा लोगों की मौजूदगी में जयपुर में रावण दहन किया जाएगा। लाखों लोगों को दहन ऑनलाइन दिखाने की तैयारी है। वहीं, कोटा में रावण की लंबाई कम करने से सिर्फ 25 फीट के रावण को ही जलाया जाएगा। इसके साथ ही जोधपुर, उदयपुर, अजमेर में प्रतीकात्मक रावण दहन होगा। बाड़मेर, जैसलमेर, पाली और बीकानेर समेत प्रदेश के कई जिलों में इस बार रावण दहन कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
कोरोना गाइडलाइंस और पटाखों पर रोक के बाद इस साल जयपुर में दशहरे पर रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा। शहर के आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान में जहां सिर्फ प्रतीकात्मक रावण दहन होगा। वहीं, मानसरोवर में लगने वाला दशहरा मेला इस बार रद्द कर दिया गया है। हालांकि इस बार सद्भावना परिवार की ओर से मानसरोवर में रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया जाएगा। आम आदमी दशहरे पर घर बैठे सांस्कृतिक कार्यक्रम देख सकेंगे।
देश-दुनिया में दशहरा मेले की पहचान बने कोटा में इस साल कोरोना के चलते रावण के परिवार की लंबाई कम हो गई है। इस बार नगर निगम ने 15 फीट के रावण के निर्माण को मंजूरी दी थी, लेकिन रावण को बनाने वाले कारीगर ने अपनी ओर से रावण की लंबाई 25 फीट तक बढ़ा दी। ऐसे में दशहरा मैदान में रावण दहन का कार्यक्रम होगा। हालांकि मेले का आयोजन लगातार दूसरे वर्ष नहीं किया जाएगा।
उदयपुर में कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते लगायी गयी पाबंदियों के बीच भी इस साल गांधी मैदान में रावण दहन नहीं होगा। हर साल यहां रावण के साथ 51-51 फीट कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते थे। वहीं दशहरे के दिन रावण दहन से पहले शक्तिनगर सनातन मंदिर से मैदान तक विशाल जुलूस का भी आयोजन किया गया। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। शक्तिनगर मंदिर के पास सनातन धर्म सेवा समिति 9 फीट का पुतला जलाकर 50 साल पुरानी परंपरा को प्रतीकात्मक रूप से पूरा करेगी।
जैसलमेर में भी इस साल रावण दहन कार्यक्रम नहीं होगा। पिछले साल भी कोरोना के कारण रावण दहन नहीं किया गया था। इस बार आतिशबाजी पर प्रतिबंध के चलते दशहरे पर रावण दहन के लिए पुतले बनाने के लिए नगर परिषद ने टेंडर नहीं किया है। कोरोना गाइडलाइंस के तहत किसी भी कार्यक्रम में 200 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। इसके चलते दशहरा कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया है।
इस बार भी चित्तौड़ में 10 दिवसीय दशहरा मेले का आयोजन नहीं होगा। जबकि इससे पहले नगर परिषद द्वारा दशहरे के दिन इंदिरा गांधी स्टेडियम में रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जा चुका है। नवरात्रि से ही निम्बाहेड़ा में दशहरे मेले का आयोजन किया गया। जहां देश भर के कई बड़े कलाकार भी शामिल थे, लेकिन सरकारी दिशा-निर्देशों के चलते इसे रद्द कर दिया गया है।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच इस बार भी पाली में रावण दहन नहीं होगा। नगर परिषद द्वारा हर साल शहर के रामलीला मैदान में दशहरा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसमें रावण और लंका नगरी के पुतले बनाए जाते हैं। इसे राम-लक्ष्मण और उनकी सेना ने नष्ट कर दिया, लेकिन इस बार भी रावण की लंका नहीं जलाई जाएगी।
बीकानेर में भी सबसे बड़ा आयोजन डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में होता है। जिसमें हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने पहुंचते हैं। इसमें सबसे ज्यादा बच्चे होते है। इसके अलावा सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के मैदान में भी रावण दहन होता है। यहां भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। गंगाशहर-भिनासर में सालों से रावण दहन हो रहा है, वहीं कुछ साल पहले धरणीधर मैदान में भी रावण दहन शुरू हुआ था। इन चारों जगहों पर इस बार बड़े पैमाने पर रावण दहन का कार्यक्रम नहीं होगा।
बीकानेर में भी डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में सबसे बड़ा आयोजन होता है। जिसमें हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए पहुंचते हैं। इसमें बच्चों की संख्या सर्वाधिक होती है। इसके अलावा सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के मैदान में भी रावण दहन होता है। यहां भी भारी संख्या में लोग आते हैं। गंगाशहर-भीनासर में वर्षों से रावण दहन हो रहा है, वहीं कुछ साल पहले धरणीधर मैदान पर भी रावण दहन शुरू किया गया। इन चारों स्थानों पर इस बार बड़े स्तर पर रावण दहन का कार्यक्रम नहीं होगा।