Lucknow PUBG: असहिष्णुता का बीज अब पेड़ बन चुका है, Lucknow की घटना यही बताती है

ये देश में पहला मामला नहीं है जब PUB G के चलते किसी न किसी की जान चली गई। हर बार इन घटनाओ ने लोगो का ध्यान खींचा लेकिन बावजूद इसके ये सिर्फ एक लत भर तक माना गया।
Lucknow PUBG: असहिष्णुता का बीज अब पेड़ बन चुका है, Lucknow की घटना यही बताती है
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साल 2015 में जब देश में कुछ Porn Sites पर बैन करने का निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया गया था तब उसकी खासी आलोचना की गई थी। देश में Porn Sites पर बैन लगाया जाना चाहिए या नहीं इसको लेकर काफी लम्बी बहस हमेशा से चलती रही है। इस दौरान सबसे बड़ी बात जो इस दौरान देखने को मिलती है वो ये है की Porn Sites के बैन के विरोध में कहा जाता है की ये मनोरंजन का साधन मात्र है जबकि समर्थन में कहा जाता है की ये व्यक्ति की मानसिकता को प्रभावित करता है। Porn Film में दिखाई जाने वाली फंतासी को इंसान मानसिक रूप से झकझोर कर रख देती है और फिर वो भी रेप जैसी घटनाओ को अंजाम देता है।

बहरहाल, आज का ये आर्टिकल मानसिकता पर ही केंद्रित है। हाल ही में UP के लखनऊ में एक 16 वर्षीय बेटे ने अपनी माँ की हत्या कर दी। इस घिनौने, विभित्स और शर्मनाक अपराध का कारण ये था की नाबालिग को उसकी माँ ने PUB G खेलने से मना करा था। इस बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ,वास्तव में नाबालिग को इस मामले को लेकर उसकी माँ ने जमकर पीटा। इसके अलावा भी घटना से दो दिन पहले जब घर से दस हजार रुपये गायब हुए तो इस बात को लेकर बेटे की जमकर ठुकाई हुई थी।

ये देश में पहला मामला नहीं है जब PUB G के चलते किसी न किसी की जान चली गई। हर बार इन घटनाओ ने लोगो का ध्यान खींचा लेकिन बावजूद इसके ये सिर्फ एक लत भर तक माना गया। लेकिन लखनऊ में हुई घटना काफी अलग थी। ये पहली बार था जब गेम के चलते किसी ने अपने ही माँ का कत्ल कर दिया हो। यहीं नहीं, कत्ल के बाद भी बेटे को अपनी करतूत का अफ़सोस नहीं था। यही वजह रही की वारदात की रात उसने अपने दोस्त के साथ पार्टी की और बहन को डरा सहमा कर चुप करा दिया। दोस्तों को भी उसकी इस हरकत की भनक लगे इसलिए जिस कमरे में उसकी माँ की लाश पड़ी थी वहां पर जमकर के रूम फ्रेशनर छिड़क कर सड़ रही लाश की बदबू को दबाने की कोशिश की।

ये लाल निशान amygdala में आये परिवर्तन को दिखाता है। amygdala भावनात्मक गतिविधियों का ख्याल रखता है

इस केस ने सुर्खिया सिर्फ इसलिए नहीं बटोरी क्यूंकि एक गेम के चलते ऐसा किया गया, ये केस चर्चा का विषय सिर्फ इसलिए भी नहीं बना क्यूंकि एक बेटे ने अपनी माँ की हत्या कर दी। ये मामला चर्चा का विषय इसलिए बन गया क्यूंकि ये घटनाभर न होकर एक पूरी सीरीज बन चुकी है।

सबसे ख़ास बात ये है की ये गेम देश में बैन है लेकिन इसके बावजूद भी खेला जा रहा है। ऐसे कदम देश पर कितनी बड़ी लानत फेंकते है ये विचार करने योग्य बात है। कोरोना काल में जब चीन का बहिष्कार करने का ट्रेंड बढ़ा तो PUB G भी इसकी चपेट में आया लेकिन फर्क कुछ नहीं पड़ा और पीछे के दरवाजे से इसकी शानदार एंट्री हो गई। ये बात सरकार को भी अच्छे से मालूम है लेकिन फिर भी एक्शन नहीं लिया जाता है क्यूंकि मन नहीं है।

PUB G गेम यूँ तो नेपाल, बांग्लादेश,जॉर्डन जैसे कई देशो में बैन है लेकिन इससे भी ख़ास बात ये है की ये गेम चीन में भी बैन है। ये पढ़कर अजीब लगे लेकिन PUB G गेम जिसमे चाइनीज़ कंपनी Tencent की भी हिस्सेदारी है को चीन में बैन कर रखा है और इसका कारण इसका हिंसक होना ही है। गेम के ग्राफ़िक शानदार है और किसी भी इसका आदि बना दे ऐसे सभी गुण इसमें है। तरह तरह की बंदूके लेकर जब यूज़र Chicken Dinner करते है तो अपने आप हथियार और हिंसा उनके जेहन में धीरे धीरे पैठ करने लगती है।

माता पिता भी शुरुआत में फ़ोन की या गेम पर गौर नहीं करते है और बाद में सीधा हाथ पाई या फिर गलत तरीके से भावनात्मक दबाव बनाते है। दोनों ही स्थिति में बच्चे को इस बात का एहसास नहीं होता है की वो गेमिंग की आदत से ग्रस्त है और मानता है की माता पिता कुछ समझते नहीं है।

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फ़ोन बंद करके जब हम वास्तविक दुनिया में आते है तो पाते है की आजकल हर किसी को लड़ना है। आजकल स्कूल में बच्चो को भर्ती करने से पहले माता पिता बच्चे को नसीहत देते है,"तुझे कोई टीचर कुछ कहे तो बताना"। ये दरअसल असहिष्णुता का पहला चरण होता है जहाँ एक बालक स्थिति से लड़कर समाधान ढूंढने के बजाये दूसरे विकल्प तलाशते है। ट्रैफिक में एक गलत ब्रेक लग जाने पर घर दफ्तर में बैठी निर्दोष माँ बहनो की अस्मत लूटने की बात होती है। ये सब चीज़े देखने सुनने में अलग अलग घटनाये लग सकती है लेकिन वास्तव में ये एक पूरी सीरीज है जो "अहम् ब्रहस्मि" के विचार मन में पैदा करती है और वो हर शख्स जो हमारे खिलाफ़ है उसे सबक सिखाने के लिए हम झकझोर कर रख देती है।
और फिर वास्तव में ये स्थिति हर किसी की सामने आ जाती है की "Violence…Violence…Violence…I don’t like it. I avoid…But violence likes me

हिंदी फिल्मो, टीवी डिबेट, सामुदायिक घृणा, हिंसक गेम और बेवकूफ नेताओ के बेहूदा बयानों के चलते आज पूरे मुल्क में जहर घुला हुआ है। विचार करने की जरुरत है की देश में फिर से गांधीवाद को फिर से कैसे जीवित किया जा सकता है। फ़िलहाल तो उनकी हत्या पर जश्न मनाया जाता है।

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