डेस्क न्यूज़- उदयपुर संभाग का सबसे बड़ा माही बांध एक बार फिर उखड़ गया है। 37 साल में 23वीं बार बांध के सभी गेट खोले गए हैं। 6 साल बाद 21 सितंबर को शाम 6 बजे बांध के सभी 16 गेट खोल दिए गए हैं। एक-एक मीटर 14 गेट खोले गए हैं और दोनों तरफ एक-एक गेट आधा मीटर खोला गया है. इसकी शुरुआत सुबह साढ़े पांच बजे दो गेट खोलकर की गई।
बांध से पहली बार वर्ष 1984 में पानी छोड़ा गया था, अब तक बांध से 77 टीएमसी की कुल क्षमता के साथ 1281 टीएमसी पानी छोड़ा गया है, बांध के इतिहास में पहली बार वर्ष 2006 में बांध के सभी गेट 12 मीटर तक खोले गए, बांध के पिछले पानी के 587 टीएसी पानी का उपयोग बिजली पैदा करने में किया गया है, रिकॉर्ड के मुताबिक सितंबर महीने में बांध के गेट 9वीं बार खुले हैं, वहीं अक्टूबर माह में बांध के गेट 6 बार खोले गए, मध्य प्रदेश के बांसवाड़ा के रतलाम, धार और कुशलगढ़ में अच्छी बारिश के बाद मंगलवार को माही बांध के सभी गेट खोल दिए गए।
वर्ष 2021 में 21 सितंबर को बांध के गेट का खुलना भी संयोग ही था, इस अंक योग को लेकर लोगों के बीच काफी चर्चा थी, इससे पहले साल 2020 में 23 अगस्त को बांध के कपाट खोले गए थे, वर्ष 1991 में बांध के गेट 1 अगस्त से 5 सितंबर तक खोले गए, इसके बाद माही बांध के गेट 1994 में 24 सितंबर, 1996 में 22 सितंबर, 1998 में 3 सितंबर तक 17 सितंबर तक खोले गए, 2012 में, 2014 में 17 सितंबर तक, 2017 में 22 सितंबर तक और 2020 में 28 सितंबर तक।
माही प्रोजेक्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक लगातार दो मौके ऐसे आए जब बांध के गेट कई सालों तक लगातार नहीं खुले, इनमें साल 1999 से 2002 और 2008 से 2011 के बीच बांध के गेट खुले देखने के लिए लोग तरस गए, इसके अलावा 1985, 1987, 1989, 1992, 1995, 2005 और 2018 में बांध के गेट नहीं खोले गए।
बांसवाड़ा के घाटोल इलाके में स्थित दूसरा बड़ा हारो बांध भी सोमवार रात लीक हो गया, इस मानसून में पहली बार हारो बांध के द्वार खोले गए, घाटोल-गनोदा मार्ग पर डेढ़ से दो फीट चादर चली, माही, सोम और जाखम नदियों के संगम डूंगरपुर के बेनेश्वर धाम को जोड़ने वाली पुलिया पर करीब चार फीट चादर दौड़ी, मंगलवार की शाम माही बांध के सभी गेट खोलने के बाद पूरी पुलिया पानी के बहाव में छिप गई।