ऐसी महिला जो कम उम्र में बड़े खिताब जीतकर बनी पहली महिला ग्रैंडमास्टर

एस विजयलक्ष्मी : एक ऐसी महिला जिसने छोटी उम्र से ही अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर बड़े-बड़े खिताब जीतना शुरू कर दिए, इसका नतीजा यह रहा, कि 24 जुलाई 2000 को वह देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बन गई
ऐसी महिला जो कम उम्र में बड़े खिताब जीतकर बनी पहली महिला ग्रैंडमास्टर
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डेस्क न्यूज. आज आप को एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहें हैं, जिसने छोटी उम्र से ही अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर बड़े-बड़े खिताब जीतना शुरू कर दिए, इसका नतीजा यह रहा, कि 24 जुलाई 2000 को वह देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बन गई, इनका नाम है एस विजयलक्ष्मी, इनका जन्म 25 मार्च 1979 को मद्रास में हुआ, इन्होंने अपने पिता से खेल सिखा था, इनकी शादी भारतीय ग्रैंडमास्टर श्रीराम झा से हुई थी ।

विजयलक्ष्मी के नाम खिताब

उनका पहला टूर्नामेंट 1986 में ताल शतरंज ओपन था। 1988 और 1989 में उन्होंने U10 लड़कियों के वर्ग में भारतीय चैम्पियनशिप जीती। साथ ही U12 श्रेणी में वह दो बार जीती।उन्होंने 1997 में तेहरान में एशियाई जोन टूर्नामेंट जीता, और 1999 में मुंबई में भी। 1996 में कोलकाता वह राष्ट्रमंडल महिला चैंपियन बनीं । उन्होंने 1998 में भारतीय राष्ट्रीय टीम के साथ महिला शतरंज ओलंपियाड में हिस्सा लिया । इस दौरान उन्होंने कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिताब अपने नाम किए ।

महिला ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव

राष्ट्रीय खिताब के अलावा वह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने फन का लोहा मनवाने में कामयाब रही और वर्ष 2000 में उन्हें देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव हासिल हुआ।

महिलाओं के लिए प्रेरणा

विजयलक्ष्मी आज महिलाओं के लिए एक ऐसा उदाहरण है जिसने छोटी सी उम्र में लड़की होते हुए कई उपलब्धियां अपने नाम की है, और यह उन लोगों के मुंह पर एक तमाचा भी है जो महिलाओं को कम समझते हैं । आज भी समाज में कई लोगों की सोच है कि महिलाएं कुछ नहीं कर सकती है, उन लोगों को एस विजयलक्ष्मी जैसी महिला से कुछ सीख कर अपनी सोच में बदलाव करना चाहिए ।

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