चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत ने चौपर हादसे से एक दिन पहले क्‍यों कहा था कोरोना जैविक युद्ध की तरह विकसित हो सकता है

सीडीएस विपिन रावत 8 दिसंबर को तमिलनाडू के कन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रेश के दौरान दुनिया को अलविदा कह गए‚ लेकिन हादसे से एक दिन पहले उन्होंने जिस बात का जिक्र किया था‚ वो सोचने पर मजबूर करता है। जानिए जैविक हथियार को लेकर क्या बोले थे रावत।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत
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डेस्क न्यूज. आप जैविक युध्द का शिकार है अगर आपसे कहा जाए की आप सभी लोग हवा की एक सांस में घूट-घूट कर मर जाएगें, आपको पता भी ना चले और आपकी सांस थम जाए। तो शायद आपको डर लगेगा। जिन शब्दों को आपने अभी पढ़ा है अगर ये बात सच हो तो क्या आपको डर लगेगा? जी हां बिल्कुल लगेगा। सीडीएस विपिन रावत 8 दिसंबर को तमिलनाडू के कन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रेश के दौरान दुनिया को अलविदा कह गए‚ लेकिन हादसे से एक दिन पहले उन्होंने जिस बात का जिक्र किया था‚ वो सोचने पर मजबूर करता है। जानिए जैविक हथियार को लेकर क्या बोले थे रावत।

सबसे पहले आपको चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का बयान देखना होगा

दुनिया में एक नए तरीके का युद्ध निर्माण हो रहा है, एक ‘जैविक युद्ध’ की किसी तरह शुरुआत हो रही है तो हमें एक साथ काम करने की जरूरत है-

जानिए जैविक युध्द होता क्या है

बैक्टीरिया, वायरस, कीड़े या कवक जैसे एजेंटों द्वारा खतरनाक संक्रमण को दुसरे के खिलाफ हमले के रूप में उपयोग किया जाता है। इतिहास पर एक नजर डालें तो केन एलीबेक की किताब बायोहाजार्ड में उल्लेख है कि रिफ्ट वैली फीवर वायरस, इबोला वायरस, जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस, माचुपो, मारबर्ग, येलो फीवर और वेरियोला जैसे वायरस हथियारों के रूप में इस्तेमाल किए गए हैं।

क्या जैविक हमले की तरफ तो इशारा नहीं कर रहा कोरोना वायरस?
क्या जैविक हमले की तरफ तो इशारा नहीं कर रहा कोरोना वायरस?

क्या जैविक हमले की तरफ तो इशारा नहीं कर रहा कोरोना वायरस?

देश के साथ ही पूरा विश्व कोरोना की भयानक बीमारी से जूझ रहा है फिर चाहे विकासशील देश की राह पर चलने वाला हमारा देश हो या फिर महाशक्ति अमेरीका हो, कोई भी इससे नही बचा। लेकिन अब कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कोई चीन के ऊपर सवाल खड़ा कर रहा हैॆ तो कोई अमेरीका को इसका जिम्मेदार ठहरा रहा है

संक्रामक के कारण 500 मिलियन से अधिक मौतें

मीडिया की एक रिपोर्ट 'द हिस्ट्री ऑफ बायोलॉजिकल वॉरफेयर' के अनुसार, पिछली 20वीं सदी में संक्रामण रोगों के कारण 500 मिलियन से अधिक मौतें हुई थीं। इन लाखों मौतों का कारण जानबूझकर किए गए हमले थे। उदाहरण के लिए, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने चीन पर जैविक हमले किए।

दो अंतर्राष्ट्रीय संधियों मे जैविक हमलों को अवैध घोषित किया जा चुका है

1925 और 1972 में दो बार दो महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ भी हुईं, जिनके तहत जैविक हमलों को अवैध घोषित किया गया, लेकिन बड़े पैमाने पर जैविक हथियारों के उत्पादन, उन पर शोध ने संधि में शामिल देशों को नहीं रोका।

जैविक हथियारों के उत्पादन को लेकर संदेह के घेरे में 16 देश

दुनियाभर के 16 ऐसे देश हैं जो जैविक हथियारों के उत्पादन को लेकर संदेह के घेरे में है। NTI.org पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान, इराक, इजरायल, जापान, लीबिया, उत्तर कोरिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, सीरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ-साथ ताइवान पर भी बायोलॉजिकल होने का संदेह है। यहां हथियार संबंधी कार्यक्रम चल रहे हैं।

क्या है जैविक हथियारों पर भारत का नजरिया?

बता दें कि भारत जैविक हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने साफ तौर पर कहा था कि भारत जैविक हथियार नहीं बनाएगा क्योंकि यह मानवता के साथ क्रूरता है।

क्या कहना था पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जैविक हथियारों को लेकर

भारत जैविक हथियार नहीं बनाएगा क्योंकि यह मानवता के साथ क्रूरता है

ऐसा नहीं है कि हमारे देश के पास जैविक हथियार बनाने की क्षमता नहीं है लेकिन हम अपनी शक्तियों को सही दिशा में लगाने की सोच रखते हैं। हम इन जैविक हथियारों के उत्पति के कारण तो नहीं लेकिन इनके विनाश की वजह जरूर बनेगें।

क्या होगा जैविक हथियारों का अंजाम?

जैविक युध्द के बाद की क्या स्थिति होगी इस बात का अनुमान तो आप देश के साथ विश्वभर से आई उन तस्वीरों से लगा सकते है जिन्हें हम अब भी नहीं भुला पाए। और जिन लोगों ने महामारी में अपनों को खोया है उनके दर्द को शायद ही कोई समझ पाएगा।

क्या होगा जैविक हथियारों का अंजाम?

जैविक युध्द के बाद की क्या स्थिति होगी इस बात का अनुमान तो आप देश के साथ विश्वभर से आई उन तस्वीरों से लगा सकते है जिन्हें हम अब भी नहीं भुला पाए। और जिन लोगों ने महामारी में अपनों को खोया है उनके दर्द को शायद ही कोई समझ पाएगा।

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