रुस और युक्रेन के बीच युद्ध को आज 19 दिन हो गए ,पूरी दुनिया विरोध में रुस पर प्रतिबंध लगा रही है कहीं आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए तो कहीं एयर स्पेश बैन कर दिया गया। लेकिन भारत खुलकर कभी भी रुस के खिलाफ नहीं आया चाहे बात संयुक्त राष्ट्र संघ में निंदा प्रस्ताव की हो या फिर किसी भी तरह के प्रतिबंध की हो,अब आर्थिक संकट में फंसे रुस के लिए भारत एक अच्छे दोस्त के साथ साथ तारण हार की भूमिका निभाने जा रहा है.
भारत और रूस के बीच लंबे समय से गहरे रिश्ते रहे हैं, लेकिन हाल ही में रूस की और से यूक्रेन पर किए हमले के बाद सारी तकनीक बदल गई है. इस बीच भारत सरकार रूस के साथ व्यापार के लिए रुपये के भुगतान के लिए एक प्रकिया को तैयार करने पर विचार कर रही है. कथित तौर पर सरकार यूक्रेन पर उसके आक्रमण को लेकर रूस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के प्रभाव से निपटने के लिए एक तरह के तंत्र पर काम कर रही है.
USA, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा सहित अन्य देशों ने अब तक रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए है. इनमें से कुछ रूसी बैंको को भी निशाना पर लिया गया है. जिससे वे डॉलर और अन्य प्रमुख मुद्राओं में लेनदेन ना कर सकें. एक बैंकिंग अधिकारी के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि केंद्र सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि क्या वह रूसी बैंकों और कंपनियों को व्यापार लेनदेन के लिए भारतीय बैंको में अपना अकाउंट खोलने के लिए बोल सकती है. अगर बात करें पिछले कुछ सालों की तो भारत ने मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रूस के साथ वैकल्पिक भुगतान का उपयोग करना शुरू कर दिया है.
अगस्त 2019 में एक रूसी अधिकारी ने कहा था कि भारत मास्को को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रुपयों में भुगतान करेगा. वहीं मिसाइल प्रणाली की दूसरी खेप कि डिलीवरी 2023 में शुरू होने की उम्मीद है. जिसका भुगतान का तरीका भारतीय रूपयों में रहेगा. यह बात भारत में रूस के बिजनस रिप्रजेंटेटिव यारोस्लाव तरास्युक ने कही थी जब रूस ने डिलीवरी की पुष्टि की थी. वहीं दूसरी और दिल्ली में स्थित रूसी दूतावास में मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने भी उस समय कहा था, हमें अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को खत्म करने के अन्य विकल्पों पर काम करने की जरुरत है.
अगर दोनो देशों की करेंसी में अदला-बदली की बात करें तो रूस के दो बैंक सर्बैंक और VTB को भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आइडेंटिफाई किया है. वहीं आऱबीआई इसके लिए SBI और यूको बैंक के साथ चर्चा कर रहा है. क्योकीं ईरान पर प्रतिबंध के बाद यूकौं बैंक के जरिए ही लेनदेने हुआ था. तो वहीं एसबीआई भुगतान की सुविधा के लिए किसी तीसरे पक्ष की नियुक्ति करने की संभावना पर काम कर रहा है. बैंक कौनसा होगा ये तो आने वाले समय में पता चलेगा. लेकिन इसका तरीका क्या होगा इसके बारे में हम आपको बताते है. रुस को भारत में एक बैंक का चयन करना होगा. जिसमें भारत से माल खरीदने के लिए रुस रूबल जमा करेगा और रूस से माल खरीदने के लिए भारत रुपए जमा करेगा. भारत से मिले रुपए से रुस अपनी जरुरत का सामान भारत में खऱीदेगा और भारत रुबल से रुस में कच्चे तेल,उर्वरक आदी का भुगतान करेगा. दोनो देशों के बीच कोई भी लेनदेन विनियम दर पर होगा जो इंटरनेशन मुद्रा के अनुरूप होगा. वहीं अगर एक्सचेंज रेट की बात करें तो भारतीय रिजर्व बैंक रुबल में आ रही गिरावट को ध्यान में रखते हुए विनिमय दर पर निर्णय ले सकता है. इससे रुस के आयातकों को रुबल में भुगतान की अनुमति होगी और भारतीय निर्यातक रुपए में भुगतान कर सकेंगे.
जिससे टीबीटी का भारत में परिचालन और लेनदेन में मध्यस्थता के लिए उससे गठजोड होने की उम्मीद जताई गई है. सूत्रों के अनूसार भारत रुस से शुरुवाती चरण में कृषि,खाद्य तेल,उर्वरक, फार्मा, और ऊर्जा जैसे उन क्षेत्रों में भारत और रुस के बीच स्थानीय मुद्राओं में कारोबार की अनुमति दे सकता है.लेकिन इस पर अभी आखिरी फैसला नहीं लिया गया है.
इस बीच एक सवाल और खड़ा होता है की अगर दोनो देशों के बीच युद्ध लंबा चलता है तो भारत की MSME पर खासा प्रभाव देखने को मिलेगा. ये कहना है फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष अनिमेश सक्सेना का. रूस-यूक्रेन संकट के कारण पिछले एक सप्ताह में मालभाड़ा 10 से 15 फीसदी तक बढ़ा है. साथ ही कच्चे माल की कीमतों में बढ़ने की संभावना है. अनिमेश का ये भी कहना है कि रूस को किए जाने वाले कुल निर्यात में MSME की करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी है. यह पहला मौका नहीं होगा की भारत रुपए में किसी देश के साथ व्यापार करें. इससे पहल भारत ईरान के साथ भी भारत का कारोबार इसी तरह होता था.
फिलहाल भारत और रूस के बीच बहुत ज्यादा व्यापार नहीं होता है, लेकिन रूस ट्रेड सरप्लस में होता है. इसका मतलब की भारत जितना का निर्यात यानी भेजता है उससे ज्यादा रूस से आयात यानी माल मंगाता है. यह पहली बार नहीं होगा जब भारत इस तरह के ट्रेड मैकेनिज्म पर काम करेगा. एक दशक पहले ईरान के साथ भी भारत ने इसी तरह कारोबार स्थापित किया था. लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को ईरान से व्यापारिक रिश्ते तोड़ने पड़े, जबकि ईरान भारत का बहुत बड़ा तेल निर्यातक था. अब बात करेंगे रूस के साथ व्यापार को लेकर तो वित्त वर्ष 2020-21 में भारत और रूस के बीच 8 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था. इसमें भारत ने 5.5 बिलियन डॉलर का आयात किया था, जबकि 2.5 बिलियन डॉलर निर्यात किया था. इस तरह भारत 3 बिलियन डॉलर ट्रेड डेफिसिट में रहा था. भारत रूस से बड़े पैमाने पर डायमंड और तेल की खरीदारी करता है. यहां से रूस को फार्मेसी और मशिनरी का मुख्य रूप से निर्यात किया जाता है. फिलहाल देखना होगा की कब भारत और रुस के बीच अपनी मुद्रा में व्यापार को मंजूरी मिलती है.