राजस्थान में कैंसर तेजी से फैल रहा है। राज्य में हर साल 1 लाख से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें से लगभग 50% मरीज मुंह के कैंसर, फेफड़े, स्तन और गर्भाशय के कैंसर से संबंधित हैं। कैंसर की चपेट में पुरुषों से ज्यादा महिला मरीज हैं। जयपुर की फैसिलिटी ऑफ स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के अधीक्षक और कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप जसूजा से खास बात की सिंस इंडिपेंडेंस ने...
डॉ. संदीप जसूजा ने बताया कि मरीज अक्सर तीसरे चरण के बाद ही अस्पताल पहुंच पाते है, पिछले कुछ वर्षों के अध्ययन में यह पाया गया है कि 70% तक लोग तीसरे या चौथे चरण में पहुंचने पर कैंसर का पता लगा पाते हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि इस बीमारी को गंभीरता से लें और कोई छोटी-मोटी समस्या हो तो डॉक्टर को दिखाकर जांच कराएं।
यदि रोगी पहले और दूसरे चरण में ही डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो उसके बचने की 80 प्रतिशत से अधिक संभावना होती है, जबकि तीसरा और चौथा स्टेज में आने वाले मरीजों के बचने की संभावना 20 प्रतिशत से भी कम होती है। उन्होंने बताया कि आज राजस्थान में कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू, सिगरेट है और यही कारण है कि मुंह के कैंसर के सबसे ज्यादा पुरुष मरीज आ रहे हैं। वहीं महिला मरीजों में गर्भाशय में ब्रेस्ट कैंसर और कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। यह संख्या हर साल करीब 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, स्तन कैंसर अब सबसे आम कैंसर बन गया है। फेफड़ों का कैंसर पिछले 20 सालों से सबसे आम था, लेकिन अब यह दूसरे स्थान पर है। 2020 में दुनिया में स्तन कैंसर के 23 लाख मामले थे, जो कुल मामलों का 12 प्रतिशत है। यह महिलाओं में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले हैं। विश्व कैंसर दिवस से पहले डब्ल्यूएचओ ने यह रिपोर्ट जारी की है, जो हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक तीसरे नंबर पर कोलोरेक्टल कैंसर है।
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