न्यूज – 26/11 के आतंकी हमलों का एक प्रमुख साजिशकर्ता, पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई नागरिक तहवुर हुसैन राणा को जल्द ही भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक शुक्रवार शाम हुसैन राणा को अमेरिका के लॉस एंजिल्स में गिरफ्तार किया गया था। यह भारत को औपचारिक प्रत्यर्पण कार्यवाही की शुरुआत का पहला कदम है।
2013 में राणा को लश्कर-ए-तैयबा को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने और डेनमार्क में आतंकी साजिश रचने के आरोप में 14 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। 1 मई को, उन्होंने जेल अधिकारियों के समक्ष एक दलील दी थी कि वह कोरोना पॉजिटिव है और दो दिन पहले ही तहव्वुर हुसैन अमेरिका में जेल से रिहा हुआ था लेकिन अथॉरिटी ने उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया है और भारत लगातार उसके प्रत्यर्पण की मांग भी कर रहा है। 1997 में, राणा पाकिस्तान से कनाडा चला गया था।
हालांकि एक कनाडाई नागरिक, होने के नाते उन्होंने 2000 की शुरुआत में शिकागो में एक आव्रजन व्यवसाय खोला। राणा ने पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में भी काम किया है। अमेरिकी अदालत ने उसे सजा सुनाते हुए कहा था कि 'वह अक्टूबर 2008 से अक्टूबर 2009 तक एक "नृशंस" ट्रांसजेंडर आतंकी साजिश का हिस्सा था'
2009 में हुआ था पहली बार गिरफ्तार..
एफबीआई ने राणा और उसके स्कूल के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को 2009 में गिरफ्तार किया था। उन पर डेनमार्क में आतंकी हमले की योजना बनाने का आरोप था। पूछताछ के दौरान, राणा ने कथित तौर पर एफबीआई को बताया था कि वह जानते हैं कि हेडली ने पाकिस्तान में लश्कर के प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया था।
2010 में, कुल मिलाकर हेडली को आतंकी आरोपों के बारह मामलों में दोषी ठहराया और पैंतीस साल की सजा सुनाई। हेडली ने अदालत के सामने गवाही दी कि उसने 2002-05 के बीच पांच बार आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया। 2006-08 के बीच, हेडली ने अपने अमेरिकी पासपोर्ट पर पांच बार भारत का दौरा किया और 293 दिनों तक भारत में रहा। राणा व्यवसाय एजेंट के रूप में भारत में रहता था। बाद में उसने सारे फुटेज अपने हैंडलर आईएसआई एजेंट्स प्रमुख इकबाल और साजिद मीर को सौंप दिए।
मुबंई हमले की साजिश रचने का आरोप
पिछले साल जनवरी में, विदेश राज्य मंत्री (विदेश मंत्रालय) वीके सिंह ने संसद को बताया था कि भारत 26/11 की साजिश रचने वाले व्यक्तियों के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अधिकारियों को समझाने की कोशिश कर रहा है। दिसंबर 2018 में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की और राणा के प्रत्यर्पण के लिए दबाव डाला।
1997 में भारत और अमेरिका ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए। सूत्रों का कहना है कि भारत ने दो आधारों पर (नई दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज और चाबाद हाउस पर हमले की योजना बनाने के लिए) प्रत्यर्पण की बात अमेरिकी अधिकारियों के सामने रखी थी। अमेरिकी अधिकारियों ने अपने भारतीय समकक्षों से कहा था कि उन्हें "दोहरे खतरे" से सावधान रहना चाहिए क्योंकि अमेरिकी अभियोजक 26/11 के आतंकवादी हमले के मामले में राणा की संलिप्तता साबित नहीं कर सके।
दिसंबर 2011 में, एनआईए ने हेडली, राणा और नौ अन्य के खिलाफ मुंबई आतंकवादी हमले में शामिल होने के लिए आरोप पत्र दायर किया था जिसमें विदेशी नागरिकों सहित 166 व्यक्तियों की हत्या देखी गई थी। आरोप पत्र में विशेष रूप से राणा की भूमिका का उल्लेख है, पत्र में 'दुबई में एक सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सेना अधिकारी की राणा के साथ मुलाकात और हमले के पांच दिन पहले मुंबई छोड़ने का उल्लेख किया गया है'
Like and Follow us on :