भारत से लेकर ईरान तक हिजाब को लेकर मुद्दा गरमा हुआ है। ईरान में कुछ दिनों पहले महसा अमिनी नाम की महिला की मौत हो गयी थी। जिसके बाद से ईरान में हिजाब के खिलाफ करीब दो महीने से देशव्यापी प्रदर्शन चल रहे है। ईरान सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए देश की नैतिकता पुलिस को भंग करने का फैसला किया है।
तेहरान में नैतिकता पुलिस द्वारा 22 वर्षीय महसा अमिनी को गिरफ्तार किए जाने के बाद हिरासत में मौत हो गई थी। जिसके बाद बीते 16 दिसंबर से पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटेजरी के हवाले से स्थानीय समाचार एजेंसी ISNA ने लिखा, ‘नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है।’ और इसे समाप्त करने का फैसला किया गया है।
दुनिया में कई देश ऐसे है, जहां हिजाब को लेकर अलग-अलग नियम हैं। कुछ देशों में तो हिजाब पहनने पर पूरी तरह से पाबंदी भी लगाई गई हैं। लेकिन इसके बावजूद किसी न किसी देश में हिजाब पर हंगामा देखने को मिल जाता है।
अटॉर्नी जनरल की टिप्पणी उस वक्त आयी जब एक धार्मिक सम्मेलन में मौजूद एक प्रतिभागी ने नैतिकता पुलिस को समाप्त करने के फैसले पर सवाल किया। 3 दिसंबर को ईरान सरकार ने फैसला लेते हुए कहा कि सरकार अब हिजाब कानून पर विचार करने को तैयार हो गई है। हालांकि ईरान सरकार ने इससे पहले हिजाब को जबरन लागू कराए रखने के लिए पूरी कोशिश की थी।
आपको बता दें कि 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद से पूरे ईरान में प्रदर्शन शुरू हो गया था। आरोप था कि महसा अमीनी ने हिजाब सही से नहीं पहना था और इस वजह से नैतिक पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था और पुलिस हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी। महसा के घरवालों ने आरोप लगाया था कि पुलिस हिरासत में प्रताड़ना से महसा की मौत हुई थी।