नुपुर शर्मा के तथाकथित मुस्लिम विरोधी बयान के बाद ‘सर तन से जुदा’ का सिलसिला चल पड़ा था। जिसकी चपेट में राजस्थान के उदयपुर के निवासी कन्हैया लाल आ गये थे। जिसमें आरोपी गौस मोहम्मद व मोहम्मद रियाज अत्तारी ने तालिबानी तरीके से गर्दन पर वार कर उनकी हत्या कर दी थी।
इस मामले में अशोक गहलोत सरकार ने लापरवाही बरतने के आरोप में राजस्थान पुलिस के चार अधिकारी सहित 12 पुलिसकर्मियों को 1 जुलाई 2022 बर्खास्त कर दिया था, लेकिन अब चारों अधिकारियों को बहाल कर दिया है। बताया जा रहा है कि विभागीय जांच में ये अधिकारी बेदाग पाये गये हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि इतने बड़े हत्याकांड के बाद लापरवाही के आरोप में जब कुछ पुलिस अफसरों को बर्खास्त किया जाता है तो मामला ठंडा पड़ते ही उन्हें क्लीन चिट देकर बहाल करना कहां तक उचित है। कार्रवाई के नाम पर यह लीपापोती का खेल प्राय: हर मामले में होता है, ऐसे में सरकार और प्रशासन की नीयत पर शक होना लाजमी है। यह एक तरह से जनता को मूर्ख बनाने जैसा कदम है।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में संयुक्त सचिव राजेंद्र सिंह काविया ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। जांच में बेदाग पाये जाने से तत्कालीन सिटी एएसपी अशोक मीणा, डीएसपी (पश्चिम) जितेंद्र आंचलिया और डीएसपी (पूर्व) जनरेल सिंह को बहाल कर दिया गया है। वहीं, उदयपुर के सीआईडी इंटेलिजेंस में एएसपी रहे राजेश भारद्वाज को करीब एक महीने पहले क्लीन चिट के साथ बहाल कर दिया गया था।
विभागीय जाँच में पाया गया है कि डिप्टी जितेंद्र आंचलिया की सूचना पर आतंकी मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को भीम-देवगढ़ मार्ग पर दबोचा गया था। उन्होंने ही हत्या के बाद मालदास स्ट्रीट में कन्हैया लाल के शव के पास हजारों की संख्या में जुटे लोगों को समझाया था और दंगा भड़कने से रोका था।
हालाँकि, इस मामले में निलंबित किए गए अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभी जाँच जारी है।
आपको बता दें कि 28 जून 2022 को इस्लामी चरमपंथियों द्वारा कन्हैया लाल की दुकान में घुसकर गला रेत दिया गया था। घटना के बाद चार महीने तक विभागीय जाँच की गई, जिसमें अब तक चार पुलिस अधिकारियों को फिर बहाल कर दिया है। कहा जा रहा है कि इन्हीं अधिकारियों के कारण आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था।