पूरे देश में जनसंख्या नीति को लेकर बहस चल रही है। केंद्र सरकार के मंत्री हों या तमाम सामाजिक संगठन जनसंख्या नीति को देश की जरूरत बता रहे हैं। इसी बीच आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने प्रयागराज में चल रही संघ की चार दिवसीय बैठक में एक बार फिर जनसंख्या नीति को लेकर बयान दिया है। होसबोले का कहना है कि एक जनसंख्या नीति देश में सभी पर लागू होनी चाहिए। धर्मांतरण के कारण हिंदुओं की संख्या घट रही है, जिससे जनसांख्यिकीय परिवर्तन भी आ रहे हैं जो कि अच्छा नहीं है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी समुदाय के लोगों में स्वाभिमान के कारण 'मैं भी हिंदू हूं' की भावना विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि स्वाभिमान की जागृति के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी समुदाय के लोग अब संघ में भी शामिल होना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मेघालय और त्रिपुरा राज्य के आदिवासी समुदाय के लोगों ने भी इस अहसास के साथ संघ के सरसंघचालक को आमंत्रित करना शुरू कर दिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि देश में जनसंख्या विस्फोट चिंताजनक है। अत: इस विषय पर समग्र रूप से और एकता में विचार कर एक जनसंख्या नीति सभी पर लागू की जानी चाहिए। धर्म परिवर्तन के कारण हिन्दुओं की संख्या घट रही है। देश के कई हिस्सों में धर्म परिवर्तन की साजिश चल रही है। कुछ सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ भी हो रही है। सरकार्यवाह ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों में विभाजन की स्थिति पैदा हो गई है। भारत का विभाजन भी जनसंख्या असंतुलन के कारण ही हुआ है।
इससे पूर्व में आएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी नागपुर में विजयादशमी के दिन हुए कार्यक्रम के दौरान जनसंख्या नियंत्रण को समय की मांग बताया। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में जनसंख्या पर एक समग्र नीति बनाई जानी चाहिए, जो सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को इससे छूट नहीं मिले। भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या की समस्याओं की बड़ी वजहों में से एक माना जाता रहा है। समय- समय पर संस्थाएं एवं विश्लेषक इस ओर इशारा करते रहे है।
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने बताया कि वर्ष 2024 के अंत तक भारत के सभी संभागों में शाखा तक पहुंचने की योजना बनाई गई है। कुछ प्रांतों में चयनित अंचलों में यह कार्य 99 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है। चित्तौड़, ब्रज और केरल प्रांतों में संभाग स्तर तक शाखाएँ खुल गई हैं। पहले देश में संघ की 54382 शाखाएँ थीं, अब देश में 61045 शाखाएँ स्थापित की जा रही हैं। पिछले एक वर्ष में साप्ताहिक बैठक में 4000 और मासिक संघ में 1800 की वृद्धि भी हुई है।
जनसंख्या असंतुलन, धर्मांतरण और आर्थिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
जनसंख्या असंतुलन से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पिछले 40-50 वर्षों से जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देने के कारण प्रत्येक परिवार की औसत जनसंख्या 3.4 से घटकर 1.9 हो गई है। इससे भारत में एक समय ऐसा आएगा, जब युवाओं की आबादी कम होगी और बुजुर्गों की आबादी ज्यादा होगी, यह चिंताजनक है। देश को एक युवा देश रखने के लिए जनसंख्या को संतुलित रखने पर जोर दिया गया। साथ ही उन्होंने धर्मांतरण के दुष्चक्र और बाहरी घुसपैठ के कारण उत्पन्न जनसंख्या असंतुलन पर भी चिंता व्यक्त की।