डेस्क न्यूज़- कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी और व्यवस्थाओं में कमियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिर से सुनवाई की। इस दौरान, अदालत ने सरकार से कहा, 'हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज करता है तो यह नहीं कहा जा सकता है कि यह जानकारी झूठी है। हम नहीं चाहते कि ऐसी जानकारी को दबाया जाए। हमें ये आवाजें सुनने दें। अगर ऐसी शिकायतों पर एक्शन लेने की नौबत आई तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे।' कॉर्ट की केंद्र को फटकार ।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने फिर से टीकाकरण और
ऑक्सीजन के संबंध में केंद्र सरकार से सवाल पूछे हैं।
उन्होंने पूछा है कि क्या टीका आवंटन के लिए दूसरे राज्य को प्राथमिकता दी जाती है।
1. ऑक्सीजन टैंकर्स और सिलेंडर्स की सप्लाई को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं?
2. आपको कितनी ऑक्सीजन सप्लाई की उम्मीद है?
3. निरक्षर और ऐसे लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या व्यवस्था है, जिनके पास इंटरनेट नहीं है?
4. केंद्र कहता है कि 50% वैक्सीन राज्यों को मिलेगी, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स इस मामले में निष्पक्षता कैसे बरतेंगे?
5. 18 से 45 वर्ष के बीच की कितनी आबादी है, केंद्र इसका स्पष्ट जवाब दे?
CJI के समक्ष एक और याचिका पर सुनवाई, उसके सवाल औह जवाब बहुत ही दिलचस्प हैं। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की पीठ के समक्ष कोविड के उपचार और दवाओं के संबंध में एक याचिका दायर की गई थी। इससे अदालत और याचिकाकर्ता सुरेश शॉ के बीच दिलचस्प सवाल और जवाब हुए। चलिए जानते हैं किसने क्या कहा।
कोर्ट: क्या आप डॉक्टर हैं?
याचिकाकर्ता: नहीं, मैं डॉक्टर नहीं हूं।
कोर्ट: कोविड के बारे में आप क्या जानते हैं?
याचिकाकर्ता: मैं बेरोजगार हूं।
कोर्ट: यह एक बहुत ही हल्की याचिका है, यह एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर की गई है जिसे इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि हम कोविद के परीक्षण और उपचार के बारे में निर्देश दें। हम कीमत तय करे हैं। हमें बताओ, हमें कितना तय करना चाहिए?
याचिकाकर्ता: मेरे खाते में केवल एक हजार रुपये हैं।
कोर्ट: हम एक हजार मूल्य लागू करते हैं। डिसमिस…