आम आदमी पार्टी का विज्ञापन प्रेम और विज्ञापनों पर भारी भरकम खर्च से यह बात तो साबित होती है कि आम आदमी की राजनीति करने वाले इस दल को आम आदमी की नहीं बल्कि येन केन प्रकरेण खुद की सरकार बचाए रखने की फीक्र अधिक रहती है। बेतहाशा विज्ञापनों और उन पर लुटाया जा रहा सरकारी धन जनता को तो कुछ हद तक भ्रम में डाल सकता है, लेकिन ईमानदारी का दम भरने वाले दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न लगाने के लिए काफी है।
अपने बयान से बार-बार केंद्र सरकार पर निशाना साधकर, दिल्ली के एलजी पर आरोप मढ़कर, अपनी सरकार के कामकाज बढ़चढ़ कर दिखाकर, दीन बनकर दुखड़ा रोकर, जनता से फ्री के वादेकर कर, सरकार व मंत्रियों पर लगे आरोपों से बचने के लिए संविधान की दुहाई देकर, सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाकर केजरीवाल ने दिल्ली में पुन: सत्ता प्राप्त कर ली और पंजाब में भी सरकार बना ली, लेकिन जनता को भ्रमित करने वाले ये टोटके भला कब तक चलेंगे?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी की कार्रवाई के बाद फिलहाल जेल में हैं, वहीं दिल्ली एक्साइज स्कैम को लेकर दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया पर अब CBI की तलवार लटक गई है। आज शुक्रवार को ही इस मामले में CBI ने मनीष सिसोदिया समेत 7 राज्यों में 21 जगहों पर छापामारी की। अब केजरीवाल और सिसोदिया समेत पूरी आम आदमी पार्टी भले ही इन्हें साजिश करार देकर बार-बार मीडिया के सामने जा रहे हैं, लेकिन यह कवायद पार्टी की धूमिल हो रही छवि बचा नहीं पाएगी। आज ही केजरीवाल ने दो विदेशी अखबारों में छपी खबर प्रेस वार्ता में दिखाकर सिसोदिया को विश्व का सबसे अच्छा शिक्षा मंत्री तक बता दिया, लेकिन दोनों अखबारों में छपे एक समान समाचार और प्रकाशित फोटो दिखाकर भाजपा ने उल्टे आम आदमी पार्टी को ही घेर लिया। भाजपा ने प्रश्न कर दिया कि कैसे दो विदेशी अखबार अक्षरश: समाचार और एक समान फोटो छाप सकते हैं। ये तो सीधे-सीधे पेड प्यूज है। ऐसे में यह तो तय है कि बिना मोटी रकम खर्चे विदेशी अखबार भला क्यों "AAP" का गुणगान करेंगे?
दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया के घर आज शुक्रवार को सीबीआई छापे के बाद अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो विदेशी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से मनीष सिसोदिया को दिल्ली और देश का ही नहीं, दुनिया का सर्वश्रष्ठ शिक्षा मंत्री का तमगा दिया। उन्होंने कहा, 'यह देश के लिए गर्व की बात है कि मनीष सिसोदिया का नाम दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे बड़े अखबार के पहले पन्ने पर है। उधर, जिस न्यूज रिपोर्ट को केजरीवाल अपने डेप्युटी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया के बचाव में ब्रह्मास्त्र के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, बीजेपी ने उसे ही पेड न्यूज करार दिया है। केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रंस से पहले ही कपिल मिश्रा ने दोनों विदेशी अखबरों में छपी खबर मीडिया को दिखाते हुए आरोप लगाया कि न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स में एक ही दिन, एक जैसी तस्वीर के साथ एक जैसी खबर छपी है जो पेड न्यूज है। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स की दोनों रिपोर्ट्स की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'एक है आज का न्यूयॉर्क टाइम्स और एक है खलीज टाइम्स। दोनों में एक ही दिन, एक जैसी खबर, एक ही जैसी तस्वीर। यह पैसे देकर छपवाए गए लेख हैं।
सात साल पहले अपने पहले ही कार्यकाल में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन के बजट में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी करते हुए एक वित्त वर्ष में 526 करोड़ रुपए खर्च करने की निर्णय लिया। हर विभाग के लिए अलग-अलग फंड रखा गया है। 2013-14 में कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार के दौरान एक साल के विज्ञापन का बजट करीब 33 करोड़ था। इस हिसाब से केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों पर होने वाले खर्च को करीब 16 गुना बढ़ा दिया। इसी कवायद के तहत रेडियो पर एक 76 सेकेंड का विज्ञापन चलाया गया जिसमें केजरीवाल दावा करते हैं कि 'जो कहा सो किया।' सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकारी योजनाओं के प्रचार में सीएम की फोटो का इस्तेमाल न करने से बचने के लिए दिल्ली सरकार ने एफएम रेडियो के जरिए विज्ञापन करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, रेडियो पर आए इस विज्ञापन पर सरकार ने करीब 50 लाख रुपए खर्च किए। ये विज्ञापन रेडियो पर दिन में चालीस बार बजे। इन िवज्ञापनों को लेकर बीजेपी ने उपराज्यपाल से शिकायत दर्ज कराई। उधर, केजरीवाल के पुराने साथी प्रशांत भूषण ने भी मोर्चा खोलते हुए कहा कि वे इन विज्ञापन के मामले में दिल्ली सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे, यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवेहलना है।
अरविंद केजरीवाल का फोकस विकास पर कम चेहरा चमकाने पर ज्यादा है। केजरीवाल सरकार ने जनता के पैसे को सिर्फ प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किया, वो आंकड़ा चौंकाने वाला है। न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के अनुसार दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विज्ञापनों पर कुल 488 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके पहले साल 2012-13 में आम आदमी पार्टी सरकार ने 11.18 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किया। यह आंकड़ा 2013-14 में बढ़कर 25.24 करोड़ हो गया। इसके बाद 2014-15 में यह 11.12 करोड़ रुपये पर आ गया। वहीं 2015-16 में सरकारी कामकाज के प्रचार प्रसार के लिए किए गए विज्ञापन पर 81.23 करोड़ रुपये खर्च किए गए। साल 2016-17 में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 67.25 करोड़ रुपये खर्च किए तो वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका था। इस वित्त वर्ष में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर 117.76 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। 2018-19 में यह 45 करोड़ रुपये, 2019-20 में करीब 293 करोड़ रुपये और 2020-21 में बढ़कर 242. 38 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2021-22 पर यह खर्च बढ़कर 490 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल चुनाव के दौरान विज्ञापन पर कम खर्च करने का दावा तो करते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार ने कोरोना काल की महामारी के दौरान हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आई। न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए पूछा कि दिल्ली सरकार द्वारा एक मार्च 2020 से 30 जुलाई 2021 तक विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं? इसके जवाब में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बताया कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह हैरान करने वाली बात है कि मार्च महीने में, केजरीवाल सरकार ने हर रोज़ 3 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए।
आरटीआई से हैरान करने वाला खुलासा यह भी हुआ कि कोरोना काल में जब दिल्ली के लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे तब केजरीवाल सरकार हर रोज विज्ञापन पर 71 लाख रुपये खर्च कर रही थी। बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल-जून 2021 के बीच खुद के प्रचार के लिए के लिए 63.86 करोड़ खर्च कर दिए। इन पैसों से कितने ऑक्सीजन प्लांट या बेड की व्यवस्था की जा सकती थी? कितनों की जान बचाई जा सकती थी?
दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पराली की समस्या को दूर करने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में बायो डी-कंपोजर छिड़काव पर दो साल में सिर्फ 68 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अपना नाम चमकाने के लिए इस दौरान विज्ञापन पर 23 करोड़ रुपए फूंक डाले। जबकि इस योजना से सिर्फ 955 किसानों को ही फायदा मिला।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्रैल 2021 में अरविंद केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि हम देख सकते हैं कि किस तरह से सरकार राजनेताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देती हैं। वहीं, दूसरी तरफ कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दी जाती है। क्या यह अपराध नहीं है कि ऐसे मुश्किल वक्त में भी आप पैसा विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं। अगर आप इन कर्मचारियों को तय वक्त पर तनख्वाह देते तो आपका कहीं ज्यादा नाम हो सकता है। हाईकोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों को बकाया वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए कहा था। जनहित याचिका में नगर निगमों के द्वारा दिल्ली सरकार से फंड ना मिलने के चलते एमसीडी के हजारों कर्मचारियों को कई महीनों की सैलरी नहीं मिल पाने की बात कही गई थी।
सोशल मीडिया पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का एक विज्ञापन काफी वायरल हुआ। इस विज्ञापन में स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए सीएम केजरीवाल को बधाई दी गई थी। विज्ञापन वाले पोस्टर में अरविन्द केजरीवाल के फोटो के नीचे लिखा गया है ‘बधाई! सागरपुर सब्जीमंडी के पास स्पीड ब्रेकर का निर्माण किया गया। इस लाइन के नीचे दिल्ली सरकार लिखा हुआ था।
पंजाब में बनी आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार ने शुरू के पहले महीने अप्रैल में ही पब्लिसिटी और विज्ञापनों पर 24 करोड़ 40 लाख 37 हजार रुपये खर्च कर दिए। यह खुलासा एक आरटीआई के माध्यम से हुआ होने के बाद विपक्षियों ने मान सरकार को खूब घेरा। इस खुलासे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार पब्लिसिटी की ऑक्सीजन पर जीवित है, जिस पर वह रोजाना करीब एक करोड रुपए खर्च करती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह वही पार्टी है, जिसने चुनाव से पहले वादा किया था कि सभी अतिरिक्त खर्चे कम किए जाएंगे।