अमित शाह ने कहा जम्मू कश्मीर से AFSPA हटाने पर करेंगे विचार, फारूक-महबूबा को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है की सशस्त्र बल अधिनियम को हटाने पर विचार करेगी। उन्होंने कहा की पहले जम्मू -कश्मीर की पुलिस पे भरोसा नहीं किया जा सकता था पर अब वह कई ऑपरेशन्स का नेत्रतिव्या कर रही है।
अमित शाह ने कहा जम्मू कश्मीर से AFSPA  हटाने पर करेंगे विचार, फारूक-महबूबा को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं
अमित शाह ने कहा जम्मू कश्मीर से AFSPA हटाने पर करेंगे विचार, फारूक-महबूबा को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि केंद्र सरकार सशस्त्र बल अधिनियम को हटाने पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू -कश्मीर की पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था।

लेकिन पुलिस अब कई ऑपरेशन का नेतृत्व कर रही है। इसीलिए अब सरकार वहां से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की योजना बना रही है।

क्या है एएफएसपीए ?

AFSPA अशांत क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को "सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव" के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है।

सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए AFSPA के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है।

बता दें कि इससे पहले अमित शाह ने कहा था कि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है औऱ पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में एएफएसपीए हटा दिया गया है।

फारूक - महबूबा को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं

शाह ने विपक्षी नेता फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधा। उन्होंने कहा नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) नेता फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इन आरक्षणों पर कटुता पैदा करने की पूरी कोशिश की है।

लेकिन लोग अब उनके इरादों को समझ गए हैं। गृह मंत्री ने दावा किया कि जब आतंकवाद चरम पर था तो अब्दुल्ला इंग्लैंड चले गए थे।

उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला और महबूबा दोनों को इस मुद्दे पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। गृह मंत्री कहते है कि जितनी फर्जी मुठभेड़ें उनके समय में हुईं।

उतनी किसी अन्य शासन में नहीं हुईं। शाह आगे कहते है कि हम कश्मीर के युवाओं के साथ बातचीत करेंगे, न कि उन संगठनों के साथ जिनकी जड़ें पाकिस्तान में हैं।

आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए उठाए ये कदम

शाह कहते है की अत्तंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 12 संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है, 36 व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित किया है।

आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए 22 से अधिक मामले दर्ज किए हैं और 150 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

बता दें कि शाह कहते कि हमने शांति स्थापित की है और शांति खरीदी नहीं जा सकती। जो कोई भी बातचीत करना चाहता है उसे संविधान के दायरे में रहकर ऐसा करना होगा।

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