Bharat Jodo Yatra: राहुल की यात्रा से कितना जुड़ा विपक्ष? अधिकतर दलों ने क्यों बनाई दूरी?

Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह के जरिये विपक्षी दलों की एकजुटता के प्रयास किए, लेकिन 21 में से मात्र 7 दलों के नेता ही शामिल हुए।
Bharat Jodo Yatra: राहुल की यात्रा से कितना जुड़ा विपक्ष? अधिकतर दलों ने क्यों बनाई दूरी?
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Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा संपन्न हो गई। समापन समारोह में श्रीनगर में मौलाना आजाद रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी ने तिरंगा फहराया। इसके बाद शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जनसभा को भी संबोधित किया। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ कुछ विपक्षी दलों के बड़े नेता भी मौजूद रहे।

यात्रा के समापन कार्यक्रम के लिए कांग्रेस ने 21 दलों के नेताओं को न्योता दिया था। इनमें से 12 दलों ने इस कार्य्रकम में आने की सहमति दी थी। वहीं, 9 दलों ने इससे दूरी बना ली थी। हालांकि, कुछ ही दलों के नेता समापन समारोह में शामिल होने कश्मीर पहुंचे।

भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में किन विपक्षी दलों को आमंत्रण भेजा गया? इसमें कौन-कौन से दल शामिल हुए? आमंत्रण के बावजूद कौन से दल नहीं आए और क्यों? किन विपक्षी दलों को आमंत्रण तक नहीं दिया गया? इन तीनों के सियासी मायने क्या हैं? आइये जानते हैं Since Independence की इस पड़ताल में।

21 को निमंत्रण, शामिल हुए मात्र 7 दल!

राहुल गांधी के नेतृत्व में 134 दिन चली कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा संपन्न हो गई। यात्रा में 14 राज्यों के 75 जिलों को कवर किया गया। श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में यात्रा का समापन हुआ। इस समापन समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टीएमसी, जेडीयू, शिवसेना, टीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल सहित 21 दलों के अध्यक्षों को निमंत्रण दिया गया था। पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल, आरएसपी और जेडीएस भी इसमें शामिल थे।

तीसरे मोर्चे की कवायद को झटका

बीते महीने ही तेलंगाना के सीएम मुख्यमंत्री केसीआर के मंच पर अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, पिनराई विजयन और अखिलेश यादव जैसे नेताओं की मौजूदगी में एक तीसरा मोर्चा बनाने की भी कवायद शुरू की, जबकि कांग्रेस ने भी भारत जोड़ो यात्रा के जरिये विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास किया। ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए साझा तीसरे मोर्चे की कवायद को अभी से बड़ा झटका लग चुका है।

टीएमसी के ममता बनर्जी, बसपा की मायावती, राकांपा के शरद पंवार, शिवसेना (ठाकरे ग्रुप) के उद्धव ठाकरे जैसे विपक्षी नेताओं की उक्त दोनों की धड़ों से दूरी भी एक नए समीकरण की ओर इशारा करती है। ऐसे में विपक्षी दलों के तीसरा मोर्चा बनाने की हवा अभी से निकल चुकी है।

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