Bhopal Gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की याचिका की खारिज

Bhopal Gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले ही 6 गुना मुआवजा दिया जा चुका है।
Bhopal Gas Tragedy: 2 दिसंबर 1984 की डरावनी रात।
Bhopal Gas Tragedy: 2 दिसंबर 1984 की डरावनी रात।

Bhopal Gas Tragedy: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया। इस याचिका में केंद्र सरकार ने गैस पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से करीब 7,800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की थी।

गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड से जुड़े इस मामले में केंद्र सरकार ने 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। जिस पर 12 जनवरी 2023 को SC ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Bhopal Gas Tragedy: यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने के कारण 3,787 लोग मारे गए थे।
Bhopal Gas Tragedy: यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने के कारण 3,787 लोग मारे गए थे।

क्या बोली पीठ?

जज जस्टिस संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि समझौते के दो दशक बाद केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं बनता।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ितों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल केंद्र सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए करे।

पीठ ने कहा, ‘‘ हम दो दशकों बाद इस मुद्दे को उठाने के केंद्र सरकार के किसी भी तर्क से संतुष्ट नहीं हैं। हमारा मानना है कि उपचारात्मक याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता है।’’

भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 की रात में हुई थी।
भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 की रात में हुई थी।

केंद्र ने 2010 में दाखिल की थी क्यूरेटिव पिटीशन

गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 715 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया था, लेकिन पीड़ितों ने ज्‍यादा मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट में अपील की। वहीं केंद्र ने 1984 की गैस कांड पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा है। इसके लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी।

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क्या है भोपाल गैस कांड?

भोपाल में 2-3 दिसंबर की रात को यूनियन कार्बाइड (अब डाउ केमिकल्स) की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसायनाइड रसायन था जिसमें पानी चला गया और तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। जिससे धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वॉल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इससे हजारों मौतें हुई थी।

उस वक्त यूनियन कार्बाइड का प्रमुख एंडरसन था जिसे हादसे के चार दिन बाद अरेस्ट कर लिया। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह अमेरिका भाग गया और फिर कभी भारतीय कानून के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए, लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। 92 साल की उम्र में एंडरसन की 29 सितंबर 2014 को अमेरिका के फ्लोरिडा में मौत हो गई थी।

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