राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार तड़के साढ़े तीन बजे से 10 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई ठिकानों पर छापेमारी की, जो अब तक जारी है। टेरर फंडिंग मामले में की जा रही इस कार्रवाई में उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश में संगठन से जुड़े 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के मुताबिक एनआईए के करीब 200 अधिकारी इस छापेमारी को अंजाम दे रहे हैं।
केरल के मल्लापुरम और कर्नाटक के मंगलुरु में संगठन के कार्यकर्ता एनआईए के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं। पीएफआई ने बयान जारी कर कहा है कि आवाज दबाने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय एजेंसी हमें परेशान कर रही है।
जुलाई में पटना पुलिस ने फुलवारी शरीफ पर छापेमारी कर आतंकी साजिश का पर्दाफाश किया था। खुलासे के मुताबिक, आतंकियों के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी थे। इस मामले में पीएफआई कार्यकर्ताओं के नाम सामने आने के बाद सितंबर में एनआईए ने बिहार में छापेमारी की थी।
पीएफआई फिलहाल सिर्फ झारखंड में समाज में सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में प्रतिबंधित है। इसके खिलाफ संगठन ने कोर्ट में अपील भी की है।
वहीं केंद्र सरकार भी PFI पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। इसके लिए अगस्त में ही एक टीम का गठन किया गया था, जिसे तीन मोर्चों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
18 सितंबर को केरल के कोझीकोड में एक रैली के दौरान पीएफआई नेता अफजल कासिमी ने कहा- संघ परिवार और सरकार के लोग हमें दबाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जब भी इस्लाम को खतरा होगा, हम शहादत देने से पीछे नहीं हटेंगे।
कासिमी ने कहा- यह आजादी की दूसरी लड़ाई है और मुसलमानों को जिहाद के लिए तैयार रहना होगा।
पीएफआई पहली बार 2010 में केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काटने की घटना के बाद सुर्खियों में आया था।
प्रोफेसर जोसेफ पर एक प्रश्न पत्र में पूछे गए प्रश्न के माध्यम से पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
इसके बाद आरोप है कि पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट दिए।