बृज 84 कोसः कनकांचल और आदिबद्री संरक्षित वन क्षेत्र हुए घोषित, 46 खनन लीज निरस्त

बृज 84 कोसः भरतपुर के संत विजयदास आत्मदाह प्रकरण में कनकांचल और आदिबद्री पर्वतीय क्षेत्रों में आवंटित सभी 46 खनन पट्टों को राज्य सरकार ने समय पूर्व निरस्त कर दिया है।
बृज 84 कोसः कनकांचल और आदिबद्री संरक्षित वन क्षेत्र हुए घोषित, 46 खनन लीज निरस्त
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भरतपुर के पसोपा में आदिबद्री और कनकांचल पर्वत से खनन को बचाने के लिए चला आंदोलन आखिरकार सफल हो गया है। मामले को लेकर संत विजयदास ने आत्मदाह किया था जिसके बाद सरकार ने तत्काल रूप से कनकांचल और आदिबद्री पर्वतीय क्षेत्र को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने की बात कही थी।

जिसके बाद अब खनन विभाग ने विवादित क्षेत्र में आवंटित सभी 46 खनन पट्टों को निरस्त कर दिया है। विभाग ने इसके आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही मामले में 757.40 हेक्टेयर भूमि को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।

समयपूर्व निरस्त किए गए सभी पट्टे

खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल के अनुसार सभी 46 पट्टाधारकों को नियमानुसार सुनवाई का अवसर देने के बाद निरस्तीकरण के आदेश जारी किए हैं।

अब यह क्षेत्र खननमुक्त हो गया है। सरकार ने क्षेत्र की 757.40 हैक्टेयर भूमि को वन भूमि घोषित किया है। भरतपुर कलक्टर ने 21 जुलाई को आदेश जारी कर इस भूमि को वन विभाग को हस्तांतरित किया था।

आदिबद्री व कनकांचल पर्वत क्षेत्र के आस पास 147.36 हैक्टेयर क्षेत्र में मेसनरी स्टोन के 45 खनन पट्टे एवं सिलिका सेण्ड का एक खनन पट्टा स्वीकृत था।

संत विजयदास ने लगा ली थी आग

गौरतलब है कि इन इलाकों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर संत विजयदास ने गत 20 जुलाई को खुद पर पेट्रोल डाल कर आग लगा ली थी। बाद में दिल्ली में उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।

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