देश में 'नागरिकता संशोधन अधिनियम' लागू करने को लेकर अंतिम प्रकिया शुरू हो गई है। इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है और पूरे देश में लागू कर दिया गया है।
इसके जरिए CAA यानि नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। सरकार के तरफ से सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।
बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री ने 'नागरिकता संशोधन अधिनियम' को लेकर पहले ही एलान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि इस लोकसभा चुनाव के पहले इसको लागू कर दिया जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा था कि CAA यानि पत्थर की लकीर है। इसे कोई नहीं मिटा सकता। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से तीन देशों के प्रवासियों को सीधे तौर पर इसका लाभ होगा।
सूत्रों की माने तो सीएए को लागू करने के लिए अंतिम रूप दिया जा चुका है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के नियमों को लेकर लोकसभा में अधीनस्थ कानून पर संसदीय समिति की तरफ से एक और विस्तार मिला था।
वहीं इसको लेकर जो विस्तार अवधि थी 9 जनवरी को ही समाप्त हो गया था। सीएए के अधिनियम को 7वीं बार विस्तार दिया गया था। इसके पहले राज्यसभा से इसके विस्तार के लिए समय दिया गया था।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित किया गया था।
जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है और यही विवाद की वजह भी है।
यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे।
इसमें प्रवासियों को वह अवधि साबित करनी होगी कि वे इतने समय में भारत में रह चुके हैं और वो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं।
साथ ही वे लोग उन भाषाओं को बोलते हैं, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। उन्हें नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा। इसके बाद ही प्रवासी आवेदन के पात्र होंगे।