नहीं रहे उरी सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टर माइंड CDS विपिन लक्ष्मण सिंह रावत, कैसे उनका जीवन प्रेरक जीवन बन गया‚ पढ़िए

तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में सेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। पहाड़ी और जंगली इलाके में हुए इस हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत और पत्नी मधुलिका समेत 13 लोगों का निधन हो गया। पढ़िए उनकी शौर्य गाथा।
VIPIN RAWAT
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CDS विपिन रावत की आज एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में दुखद निधन हो गया। शुरूआती खबरों में उनके गंभीर रूप से घायल होने की खबरें आयी थी। जानकारी के अनुसार गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज के दौरान उन्हें बचाया नहीं जा सका। अपने 41 साल के सैन्य करियर में उन्होने देश के लिए अभूतपूर्व सेवा दी , अपनी कुशल रणनीति के साथ बेहतरीन सैन्य अफसर के तौर पर उन्होंने भारतीय सेना को अपनी सेवा दी।

विपिन लक्ष्मण सिंह रावत के जिंदगी के बारे में कुछ खास बातें

विपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड में हुआ था। इनके पिता का नाम लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत था। जिन्होंने भारतीय सेना में अपनी सेवा दी थी।

जनरल विपिन रावत
जनरल विपिन रावत
प्रारंभिक पढाई कैंब्रियन हाई स्कूल और सेंट एडवर्ड स्कूल से पूरी की ,जिसके बाद ये राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के छात्र रहे
इसके बाद इन्होने इंडियन मिलिट्री अकदामी आईएमए, देहरादून से सैन्य प्रशिक्षण लिया जहाँ उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। इसके बाद Higher डिफेन्स की स्टडी के लिए अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने डिफेन्स सर्विस स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया साथ ही साथ अपनी कमांड नॉलेज को बेहतर करने के लिए फोर्ट लीवेनवर्थ से हायर कमांड कोर्स की पढाई भी पूरी की।
2016 में बने थे थलसेना प्रमुख
रावत दिसंबर 1978 में कमीशन ऑफिसर (11 गोरखा राइफल्स) बने थे। वह 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने। उन्हें पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में कामकाज का अनुभव रहा। खास बात यह है कि रावत उसी यूनिट (11 गोरखा राइफल्स) में पोस्ट हुए थे, जिसमें उनके पिता भी रह चुके थे।
अपने साहस और नेतृत्व क्षमता के साथ लम्बे वक्त तक सेना में सेवा देने के दौरान इन्हे कई पुरस्कार और मेडल्स से नवाजा गया
जैसे कि सेना पदक , अति विशिष्ट सेवा पदक ,परम विशिष्ट सेवा पदक , विशिष्ट सेवा पदक ,उत्तम सेवा पदक और युद्ध सेवा पदक
2019 में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने
पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (61) को 2019 में देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था। वे 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहने वाले थे। इस पद को बनाने का मकसद यह है कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सही तरीके से और इफेक्टिव कोऑर्डिनेशन किया जा सके।

सैन्य करियर

शहीद विपिन रावत दिसंबर 1978 में सेना के ऐतिहासिक गोरखा राइफल्स के ११वी बटालियन में शामिल हुए। इस दौरान इनकी पहली पोस्टिंग मिजोरम में की गयी थी। इस दौरान इन्होने अपने कुशल नेतृत्व क्षमता के साथ कई बड़ी लड़ाइयों और कॉम्बैट अभियानों में अभूतपूर्व कार्य किया। जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें युद्ध शैली के रक्षात्मक और आक्रामक नीतियों के निर्माण का लम्बा अनुभव हासिल हुआ।

क्या होता है CDS?
CDS रक्षा मंत्री के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद् और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली रक्षा नियोजन समिति का सदस्य होता है।

इनके कुशल नेतृत्व की वजह से इनके बटालियन को उत्तर पूर्वी क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ बटालियन चुना गया।

सेना में सेवा के दौरान उन्होंने कई बटालियन के नेतृत्व में अहम् योगदान दिया। इस दौरान इन्होने इंफ्रैंट्री बटालियन में कार्यरत रहने के दौरान लाइन ऑफ एक्चुअल कन्ट्रोल की सीमा पर सेवाएं दी।

कश्मीर के सुरक्षा ढांचे को लेकर काफी वक्त तक किया काम , 19 इन्फेंट्री डिवीज़न के साथ घाटी में उस दौरान हुए कई आतंक विरोधी ऑपरेशन्स को कमांड किया।

विपिन रावत ने कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में एक मिशन के दौरान कई देशों के सेना के संयुक्त सहयोग से बनी ब्रिगेड की कमान भी संभाली।

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