केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। यह हलफनामा स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध को लेकर दाखिल किया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सिमी पर प्रतिबंध को सही ठहराया है। केंद्र ने कहा है कि सिमी भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ है।
केंद्र ने SC से कहा कि जिस भी संगठन का मकसद भारत में इस्लामिक राज स्थापित करना है, उसे बने रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती। केंद्र ने आगे कहा कि उन्हें हमारे धर्मनिरपेक्ष समाज में बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को इस हलफनामे पर विचार किया। केंद्र ने अपने हलफनामे में आरोप लगाया कि सिमी के उद्देश्य देश के कानूनों के विपरीत हैं, क्योंकि संगठन का उद्देश्य छात्रों और युवाओं को इस्लाम के प्रचार में जुटाना और जिहाद के लिए समर्थन जुटाना है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने इस बात पर जोर दिया कि कई वर्षों तक प्रतिबंधित रहने के बावजूद सिमी विभिन्न संगठनों के माध्यम से अवैध गतिविधियों में लिप्त रही, इसलिए उसके खिलाफ नए सिरे से प्रतिबंध लगाया गया।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि 27 सितंबर, 2001 से प्रतिबंधित होने के बावजूद सिमी के कार्यकर्ता आपस में करीबी से जुड़े हुए हैं और बैठकें भी कर रहे हैं। साथ ही वह साजिश में शामिल है। इसके अलावा वे हथियार और गोला-बारूद भी प्राप्त कर रहे हैं और ऐसी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जिससे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा हो सकता है।