कांग्रेस में अंदरूनी कलह और पार्टी में चल रही खींचतान एक बार फिर जगजाहिर हो गई है। पहले जम्मू-कश्मीर अभियान समिति के प्रमुख के रूप में गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा और फिर आनंद शर्मा का इस्तीफा गया। इनके बाद आज बुधवार को कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल का राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा हो गया। इसी साल हिमाचल प्रदेश, गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं। उससे पहले इन नेताओं के बगावती तेवरों से कई सवाल उठ रहे हैं। गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा दोनों ही नेता पार्टी के भीतर जी-23 गुट के नेता माने जाते हैं। इस्तीफा देने के साथ ही इन नेताओं की ओर से जो बयान आए उसके बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस की मुसीबत एक बार फिर बढ़ने वाली है।
कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने बुधवार को राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया। जयवीर शेरगिल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पेशे से वकील हैं। सोनिया गांधी को लिखे अपने इस्तीफे में शेरगिल ने कहा है कि पार्टी में 'स्वार्थी हितों से प्रभावित' होकर फैसले लिए जा रहे हैं। उन्होंने लिखा, "मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि अब फैसले जनता और देश के हितों में नहीं लिए जाते हैं, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से प्रभावित हैं जो चाटुकारिता में लिप्त हैं और लगातार जमीनी हकीकत की अनदेखी कर रहे हैं।" जयवीर शेरगिल ने कहा, "कांग्रेस पार्टी का निर्णय अब जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता। मैं राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से एक साल से अधिक समय से समय मांग रहा हूं, लेकिन उनके दफ्तर में हमारा वेलकम नहीं है।" उन्होंने कहा, "पिछले 8 सालों में मैंने कांग्रेस से कुछ नहीं लिया बल्कि पार्टी में के लिए सबकुछ किया। आज जब मुझे लोगों के सामने झुकने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि वे शीर्ष नेतृत्व के करीब हैं; तो यह मुझे मंजूर नहीं।"
जम्मू-कश्मीर में प्रचार समिति के चेयरमैन बनाए जाने के दो घंटे बाद ही वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अपना इस्तीफा सौंप दिया। सूत्रों के मुताबिक आजाद ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष पद संभालने से इनकार कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में विकार रसूल वानी को पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई का अध्यक्ष और रमन भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। उसके बाद ही गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा दे दिया।
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका देते हुए अनदेखी से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने पार्टी की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा कि पार्टी में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा था। विधानसभा चुनाव के लिए अहम बैठकों और फैसलों में उन्हें तरजीह नहीं दी जा रही। आनंद शर्मा ने ट्वीट में लिखा कि वह भारी मन से समिति का अध्यक्ष पद छोड़ रहे हैं। वह जीवनभर कांग्रेस सदस्य रहेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार अप्रैल 2022 में कांग्रेस संचालन समिति के अध्यक्ष पद पर तैनाती के बाद से आनंद शर्मा ने अभी तक एक भी बैठक नहीं बुलाई, जबकि पार्टी की अन्य कमेटियों खासकर चुनाव प्रचार कमेटी, कांग्रेस चुनाव घोषणापत्र समिति और पार्टी अनुशासन समिति की बैठकें कई बार हो चुकी हैं।
गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल एक वक्त इनकी बात को नजरअंदाज करना कांग्रेस के भीतर मुश्किल था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हालात अब वैसे नहीं रहे। हालांकि पार्टी के भीतर से ही यह सभी नेता पार्टी की नीतियों को लेकर लगातार सवाल खड़े करते रहे। पार्टी अध्यक्ष के चुनाव सहित कई मुद्दों को लेकर जी 23 के नेताओं ने बागी सुर अपना लिए। सिब्बल के जाने के बाद ऐसा लगा मामला ठंडा पड़ गया लेकिन गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा दोनों के इस्तीफे के बाद अब सवाल फिर से उठने लगे हैं कि क्या जी-23 ग्रुप फिर से सक्रिय हो गया है।
कांग्रेस के साथ समस्याएं कम नहीं हो रही है। पार्टी के अंदर इतने सारे डेंट हो गए हैं कि एक को सुधारती है तो दूसरा डेंट हो जाता है। कांग्रेस ने कुछ समय पहले पार्टी रिफॉर्म किया। नेताओं को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई। थोड़े वक्त के लिए ऐसा भी लगा कि पार्टी के अंदर जी-23 ग्रुप के नेता शांत हो गए हैं। कपिल सिब्बल ने सपा जॉइन कर ली और वो राज्यसभा पहुंच गए। ऐसा लगा अब पार्टी में इन नेताओं की ओर से टेंशन नहीं मिलेगी लेकिन पहले गुलाम नबी आजाद और अब आनंद शर्मा ने हिमाचल चुनाव से पहले संचालन समिति की अध्यक्षता से इस्तीफा देकर जता दिया कि अब भी सबकुछ ठीक नहीं है।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक कोई चेहरा सामने नहीं आया है। राहुल गांधी के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है और कांग्रेसी उनसे पद संभालने की अपील भी कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस पर अनिच्छा जाहिर की है। इस बीच कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी के सीनियर नेताओं ने सोनिया गांधी से ही अपील की है कि वह 2024 तक पद पर बनी रहें। इन नेताओं का कहना है कि गांधी परिवार के अलावा कोई भी पार्टी को एकजुट नहीं रख सकता। ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी टूट सकती है और प्रियंका गांधी को 2024 के बाद कमान सौंप दी जाए।
इस बीच सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत के नाम का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि यदि गांधी परिवार से कोई अध्यक्ष नहीं बनता है तो फिर अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना देना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि दो नेताओं के साथ बैठक में भी अशोक गहलोत ने यह बात कही है। इस बीच राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी तीनों ही इलाज के लिए विदेश जाने वाले हैं। दरअसल सोनिया गांधी का चेकअप होने वाला है और इस दौरान राहुल और प्रियंका भी उनके साथ रहेंगे। अगले कुछ दिनों में ही कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए शेड्यूल का ऐलान होने वाला है। इस संबंध में 28 अगस्त को मीटिंग होने वाली है।
गांधी परिवार से किसी के आगे न आने के चलते अब अशोक गहलोत का नाम ही सबसे आगे चल रहा है। इसके अलावा मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, कुमारी शैलजा, मल्लिकार्जुन खड़गे, भूपेश बघेल के नाम भी अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा में हैं। कांग्रेस ने बताया था कि अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होगी और 20 सितंबर तक चलेगी। हालांकि अब तक राहुल गांधी ने अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है।