कड़वे और बिगड़े बोल कई बार बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं, इसलिए कहा गया है 'कड़वे बोल पर पहले तोल'! कुछ कड़वे किंतु सच्चे बोल जहां मार्गदर्शन कर किसी का भला कर सकते हैं, वहीं भड़काऊ कड़वे बोल उन्माद का कारण बनते हैं। कुछ नेता अपने बड़बोलेपन की वजह से बिना सोचे विचारे ऐसी टिप्पणियां कर जाते हैं जो बड़े विवाद का कारण बन जाते हैं। हाल ही में तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा का पैगंबर मोहम्मद पर दिया गया विवादित बयान एक बार फिर देश का माहौल बिगाड़ रहा है। इससे पहले भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर विवाद को हवा दे दी थी, जिसके परिणाम स्वरूप देशभर में प्रोटेस्ट और फसाद हुए। हालांकि कई बार ऐसे बयान हिंदू देवी-देवताओं के अपमान की वजह से भी दिए जाते रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि टी राजा और नूपुर शर्मा जैसे भाजपाईयों ने ही भड़काऊ बयान देकर ईश निंदा की हो। हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करना तो जैसे हमारे देश में फैशन सा बन गया है। आमीर खान समेत फिल्म जगत की कई हस्तियां हिन्दू देवी-देवताओं का मजाम उड़ाते रहे हैं। कई मुस्लिम कट्टपंथी, धर्मगुरु और राजनेता भी हिन्दू देवी-देवताओं को लेकर अपमर्यादित टिप्पणियां करत चुके। कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी भी इस मामले में आगे है। एक वायरल वीडियो में फारुकी भगवान राम और माता सीता को लेकर अभद्र टिप्पणी करते नजर आए थे। इससे खफा टी राजा सिंह ने कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को राम-सीता के अपमान के लिए धमकी दी थी।
भाजपा प्रवक्ता के तौर पर नूपुर शर्मा 27 मई को एक न्यूज चैनल की डिबेट में गई थीं। डिबेट के दौरान उन्होंने कहा था कि कुछ लोग हिंदू आस्था का लगातार मजाक उड़ा रहे हैं। अगर ऐसा है तो वह भी दूसरे धर्मों का मजाक उड़ा सकती हैं। इसके बाद उन्होंने कुछ इस्लामिक मान्यताओं की बात करते हुए पैगंबर मोहम्मद को लेकर ऐसी टिप्पणी की जो ईश निंदा की श्रेणी में आता है। नूपुर के इस बयान के बाद देशभर में मुस्लिमों ने प्रोटेस्ट किए, सर तन से जुदा के नारे लगाए गए। उधर, मुस्लिम देशों ने भी इसकी निंदा करते हुए कड़ा विरोध किया, जिसके बाद भाजपा को नूपुर को बर्खास्त करना पड़ा।
तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा को गिरफ्तार कर लिया गया है। भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था। इस वीडियो को लेकर उन्होंने पैगंबर मोहम्मद को लेकर कथित तौर पर टिप्पणी की थी। उनका यह पोस्ट वायरल हो गया और देखते ही देखते देर रात में दबीरपुरा, भवानी नगर, मिचौक, रेनबाजार में लोग पुलिस स्टेशनों में पहुंच गए ओर प्रदर्शन करने लगे। वीडियो में टी राजा ने विवादों में रहने वाले कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को निशाना बनाते हुए टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, ''एक कॉमेडियन है जो थर्ड क्लास कॉमेडी करता है और हिंदुओं, भाजपा के बड़े अधिकारियों को टारगेट करता है। भगवान रामचंद्र और सीता मैया के बारे में अपशब्द कहता है...।''
हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें फारुकी भगवान राम और माता सीता को लेकर अभद्र टिप्पणी करते नजर आए। उनके कथित वीडियो में वे कहते हैं 'मेरा पिया घर आया ओ राम जी। राम जी डोंट गिव अ फ.... अबाउट पिया। यह सुन राम जी कहते हैं, मैं खुद 14 साल से घर नहीं गया। अगर सीता ने सुन लिया, वो तो शक करेगी। सीता को तो माधुरी पे पहले से ही शक है। वो गाना है तेरा करूं गिन-गिन इंतजार। उसे लग रहा है वनवास गिन रही है, इसलिए 14 पर आकर रुक गई।'
अयोध्या में तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने एआईएमआईएम के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी के हाल ही में पुलिस में तहरीर दी थी। जगद्गुरु का आरोप था कि अकबरुद्दीन ओवैसी ने माता कौशल्या के साथ भगवान राम, लक्ष्मण, गणेश, माता लक्ष्मी को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिससे हिंदू जनमानस की भावना आहत हुई। पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि जब छोटी मोटी बातों पर मौलाना लोग तहरीर देते हैं तो एफआईआर पंजीकृत कर ली जाती है और कार्रवाई हो जाती है। क्या धमकीबाजों से लोग डर गए हैं? क्या धमकी बाजों से देश चलेगा? क्या फतवा गैंग वालों से देश चलेगा? अगर देश कानून से चलेगा और संविधान से चलेगा तो कानून और संविधान सबके लिए है।
अयोध्या हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास ने भी हाल ही में कहा था कि हिन्दू देवी देवताओं को पर अमर्यादित टिप्पणी व फिल्मों के जरिये अपमान करने वालों के खिलाफ कार्यवाही के लिए देश में देव निंदा कानून बने। राजू दास ने कहा कि जब हमने सर तन से जुदा करने की बात कही तो फिर पूरे देश में बवाल मच गया लेकिन जिस प्रकार से मां काली के मुख में सिगरेट रख देना। इन सब चीजों से हमारी भी जन भावना आहत होती है। कहा, फिल्म डायरेक्टर लीना के द्वारा ट्वीट किया गया जो अच्छम्य है। उन्होंने कहा कि हम एक हाथ में माला तो दूसरे हाथ में भाला भी रखते हैं। हम जिस दिन रोड पर आ जाएंगे या जिस दिन हम अपने भक्तों को कहने लग जाएंगे कि सर तन से जुदा उस दिन हिंदुस्तान में रहने नहीं पाओगे।
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा और दिल्ली बीजेपी के पूर्व नेता नवीन जिंदल द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणियों पर चल रहे विवाद के बीच, लोग हिंदू देवताओं पर टिप्पणियों की तुलना में पैगंबर पर की गई टिप्पणी पर एकतरफा चल रही प्रतिक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। जहाँ हिंदू देवताओं और सनातन परंपराओं पर बहुत खराब टिप्पणियां की गई हैं, जिन पर न कोई FIR हुआ और न मृत्युदंड की कोई मांग की गई, जबकि हर शहर में ‘लिबरल्स’ द्वारा समर्थित भीड़ नूपुर शर्मा के सिर पर लगातार ईनाम घोषित कर सिर कलम करने की मांग कर रही थी। जानें हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने की 21 घटनाएं, जिनमें मशहूर हस्तियां, नेता, पत्रकार और पॉपुलर ब्रांड्स तक शामिल हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कश्मीरी हिंदुओं के दुख का मजाक उड़ाया था और ‘द कश्मीर फाइल्स’ को एक फर्जी फिल्म कहा था, ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ उन्होंने हिंदू देवताओं, पवित्र प्रतीकों और परंपराओं का मजाक उड़ाया था।
इससे पहले कि राम मंदिर निर्माण की बात थोड़ी दूर की कौड़ी लग रही थी, तब केजरीवाल ने 2014 में कहा था कि उनकी नानी (दादी) इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगी। वह बार-बार राम मंदिर की जगह स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की मांग कर रहे थे।
राम मंदिर पर हिंदुओं का मजाक उड़ाने के अलावा, 2019 में, सीएम केजरीवाल ने एक अपमानजनक तस्वीर साझा की, जहाँ एक व्यक्ति अपने हाथ में झाड़ू (उनकी पार्टी का प्रतीक) के साथ हिंदू पवित्र प्रतीक स्वास्तिक को पीटते हुए दूर भगाने की कोशिश कर रहा था।
एक अन्य ट्वीट में, केजरीवाल ने भारत सरकार के साथ दिल्ली की आप सरकार के टकराव से ध्यान हटाने के लिए भगवान हनुमान द्वारा जेएनयू को जलाने का चित्रण करते हुए एक कार्टून साझा किया।
आप नेता संजय सिंह ने भी राजनीति में प्रासंगिकता हासिल करने के प्रयास में जून 2021 में भाजपा और अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा धन की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए एक झूठा अभियान चलाया था। जो बाद में फेक साबित हुआ था।
अगस्त 2020 में, AAP के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने सिक्किम में कंचनजंगा की तस्वीरें साझा की थीं, जिन्हें हिंदुओं और बौद्धों, दोनों द्वारा पवित्र माना जाता है, उत्तराखंड में कामेट पीक और नंदा देवी पहाड़ियों, जहां नंदा देवी का एक पवित्र मंदिर है, जो एक अवतार है हिंदू देवी मां दुर्गा की। इसने इन पवित्र चोटियों और दिल्ली के गाजीपुर में एक विशाल लैंडफिल के बीच समानता दिखाई। विवादित ट्वीट के साथ कैप्शन लिखा था, “भारत के सबसे ऊंचे पहाड़।”
हाल ही में ज्ञानवापी विवादित ढांचे के वजूखाने में मिले ‘शिवलिंग’ का मजाक उड़ाने का एक सिलसिला शुरू हो गया। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की एक तस्वीर साझा करते हुए कटाक्ष करते हुए लिखा था कि उम्मीद है कि यह खुदाई सूची में अगला नहीं होगा।
यहां तक कि सबा नकवी ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर मिले शिवलिंग का उड़ाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की एक तस्वीर साझा की। हालाँकि इसे आलोचना के बाद अब डिलीट कर दिया है।
वहीं राजद नेता कुमार दिवाशंकर ने भी अपने ट्वीट में भाजपा का मजाक उड़ाते हुए शिवलिंग का अपमानजनक संदर्भ दिया।
पीस पार्टी के शादाब चौहान ने भी वाराणसी की एक अदालत द्वारा ज्ञानवापी विवादित ढांचे को सील करने के आदेश के बाद एक अपमानजनक ट्वीट किया, जब उसके वुजुखाना के अंदर एक शिवलिंग मिला। चौहान ने छोटे खंभों के साथ लगे एक किनारे की तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें दावा किया गया था कि अगर कोई शिवलिंग पर दावा करता है तो न्यायाधीश उस क्षेत्र को सील कर देंगे।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता दानिश कुरैशी ने भी ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के अंदर शिवलिंग मिलने पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर शिवलिंग पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। वहीं इस टिप्पणी को लेकर गुजरात पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
इकोनॉमिक टाइम्स ने भी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र को शिवलिंग के रूप में चित्रित करके हिंदुओं का मजाक उड़ाते हुए एक मीम प्रकाशित किया था और बम भोलेनाथ कैप्शन दिया था। तस्वीर को प्रिंट संस्करण के MEME’S THE WORD कॉलम में शामिल किया गया था। कॉलम में एक और कार्टून ताजमहल के तहखाने में बंद दरवाजों को खोलने की मांग का मजाक उड़ाता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ने भी ज्ञानवापी विवादित ढांचे में मिले शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट किया था। उन्होंने कहा था कि अगर वह शिवलिंग है, तो ऐसा लगता है कि शायद शिव जी का भी खतना हुआ था।
प्रोफेसर रविकांत चंदन ने ज्ञानवापी विवादित ढांचे पर एक बहस के दौरान टिप्पणी की थी कि पंडितों द्वारा परिसर में हो रही अवैध गतिविधियों को कथित रूप से देखने के बाद इसे औरंगजेब द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। उन्होंने जिस किताब और कहानी का जिक्र किया, उसका किसी ऐतिहासिक दस्तावेज में कोई जिक्र नहीं है। यहाँ तक कि किताब के लेखक ने खुद किताब को गंभीरता से नहीं लेने का सुझाव दिया था।
स्वतंत्र पत्रकार रकीब हमीद नाइक, एक कुख्यात हिंदू-फोबिक तत्व, ने ज्ञानवापी में शिवलिंग को बदनाम करने के लिए व्हाइट हाउस की एक तस्वीर और उसके सामने का एक फव्वारा लगाया। तथाकथित ‘पत्रकार’ के अनुसार, सर्वेक्षण दल को शिवलिंग नहीं मिला, बल्कि एक फव्वारे का पता चला है, जिसका उपयोग हिंदू पक्ष द्वारा ज्ञानवापी के स्वामित्व के लिए किया जा रहा है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े जेएन मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कुमार अपनी कक्षा में यौन अपराधों के बारे में पढ़ा रहे थे। पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन में वे विषय की व्याख्या करते थे, डॉ कुमार ने हिंदू देवताओं के लिए अपमानजनक संदर्भ दिए। बलात्कार के एक संक्षिप्त इतिहास को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने बलात्कार को हिंदू देवी-देवताओं से जोड़ा। हालाँकि, कुमार को जांच लंबित रहने तक विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया गया था, लेकिन उनके खिलाफ की गई किसी भी सख्त कार्रवाई पर अभी कोई अपडेट नहीं है।
कथित कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी द्वारा 2002 में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना में मारे गए 59 कारसेवकों और मां सीता के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी को कोई कैसे भूल सकता है। हिंदुओं के विरोध के बाद हालाँकि उसके कई शो उस समय रद्द कर दिए गए थे। फिर भी उसे अभी एक बड़े रियलिटी शो लॉक अप में मौका दिया गया था जिसे उन्होंने जीता भी।
विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक इलियास शरफुद्दीन ने भी शिवलिंग की तुलना पुरुष शरीर के अंग से की है और कहा है कि हिंदुओं को मूर्ति और पुरुष के निजी अंग की पूजा करने की आदत है। वह ज़ी न्यूज़ द्वारा आयोजित ‘ताल ठोक के’ बहस में भाग लेने वालों में से एक थे। वेदों, गीता और उपनिषदों का हवाला देते हुए, शराफुद्दीन ने पहले तर्क दिया कि हिंदू ग्रंथों में उल्लेख है कि ‘जो लोग मूर्तियों की पूजा करेंगे उन्हें नरक में भेजा जाएगा’। “हिंदुओं को मूर्ति, लिंग और मानव शरीर के गुप्तांगों की पूजा नहीं करनी चाहिए”, उसने ‘ज्ञानवापी सर्वेक्षण वीडियो में शिवलिंग की उपस्थिति का मजाक उड़ाते हुए कई भद्दी टिप्पणियाँ की। यहाँ तक कि अन्य प्रतिभागियों को न सुनकर, वह हंसा और कहा, ” प्राइवेट पार्ट की पूजा नहीं होनी चाहिए”।
बंगाली फिल्म अभिनेत्री सायोनी घोष ने अपने ट्विटर प्रोफाइल पर बेहद आपत्तिजनक कार्टून साझा किया था। जब उसे कार्रवाई की धमकी दी गई, तो उसने दावा किया कि उसका अकाउंट हैक कर लिया गया था। बाद में टीएमसी ने उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट भी दिया। मशहूर हस्तियों, नेताओं और मीडिया घरानों के अलावा, ब्रांडों को भी हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने की आदत होती है और जब उन्हें इस पर फटकार लगती है, तो उन्हें अक्सर वामपंथी और लिबरलों का समर्थन मिलता है।
2019 में, रेड लेबल ने हिंदुओं को घृणित कट्टरपंथियों के रूप में पेश करते हुए गणेश चतुर्थी पर एक विज्ञापन अभियान शुरू किया। विज्ञापन में एक व्यक्ति को घर ले जाने के लिए गणेश की मूर्ति की खरीदारी करते हुए दिखाया गया, जहां उसने एक बुजुर्ग मूर्ति निर्माता से बात की कि वह किस प्रकार की मूर्ति खरीदना चाहता है। मूर्ति निर्माता को हिंदू पौराणिक कथाओं का गहरा ज्ञान था, वह जिस पेशे में है, उसके लिए आश्चर्य की बात नहीं है। बातचीत के दौरान मूर्ति निर्माता एक स्कल टोपी निकालता है और उसे पहनता है, जो यह दर्शाता है कि वह मुस्लिम है। यह देखकर, संभावित खरीदार हिचकिचाता है और कहता है कि वह आगे वापस आएगा, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि वह किसी मुसलमान से मूर्ति नहीं खरीदना चाहता था। मूर्ति निर्माता ने तब उसे चाय की पेशकश की और कुछ बातचीत की, जिसने हिंदू व्यक्ति का मन बदल दिया, और उसने तुरंत वह मूर्ति खरीद ली। खैर, हिंदुस्तान यूनिलीवर के एक ब्रांड रेड लेबल को ऐसे विज्ञापनों को जारी करने और बैकलैश के बाद उन्हें वापस लेने की आदत है।
ऐसे ही ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क द्वारा 2020 में लव जिहाद का महिमामंडन करने वाला एक विज्ञापन जारी किया गया था। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों ने उस विज्ञापन के लिए ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क के बहिष्कार का आह्वान किया, जिसमें एक मुस्लिम परिवार में विवाहित हिंदू महिला को दिखाया गया था। उसके गोद भराई की तैयारी हो रही थी। हालाँकि, विरोध के बाद उसे YouTube से हटा दिया गया था।
2021 में, लोकप्रिय एथनिक गारमेंट ब्रांड फैबइंडिया ने भी दिवाली पर ‘जश्न-ए-रिवाज़’ नाम का एक विज्ञापन लॉन्च किया। जिस पर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने हिंदू त्योहार और भावनाओं के इस तरह से इस्लामीकरण पर आपत्ति जताई। बहुत से लोगों ने दिवाली को ‘जश्न-ए-रियाज़’ कहने का समर्थन नहीं किया। इसे भी विरोध के बाद हटा दिया गया। हालाँकि, बाद में फैबइंडिया ने दावा किया कि यह दिवाली अभियान भी नहीं था जो कि लोगों के विरोध से बचने के लिए एक तरह की बहानेबाजी थी।