फाइटर जेट MIG-21 : जवानों की जान पर 'मौत की उड़ान' कब तक

भारतीय वायुसेना में 1964 से शामिल फाइटर जेट मिग-21 में से अब तक 400 से ज्यादा विमान हादसे का शिकार हो चुके, इनमें से करीब 200 पायलट अपनी जान गंवा चुके और 56 ज्यादा लोगों की मौत हो गई, लेकिन सेना में इसका इस्तेमाल अब तब बैन नहीं किया गया। आखिर सरकारों को जवानों की जान की परवाह क्यों नहीं है?
फाइटर जेट MIG-21 : जवानों की जान पर 'मौत की उड़ान' कब तक

इंडियन एयरफोर्स का फाइटर जेट मिग-21 एक बार फिर 28 जुलाई की रात राजस्थान के बाड़मेर में ट्रेनिंग के दौरान हादसे का शिकार हो गया। हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट शहीद हो गए। भारतीय वायुसेना का यह सबसे पुराना विमान है, जिससे 62 साल में अब तक कई हादसे हो चुके। वायु सेना ने पहली बार साल 1963 में अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए सोवियत मूल के 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों- मिग-21 को अपने बेड़े में शामिल किया था, लेकिन उनमें से 400 से ज्यादा मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अब तक करीब 200 पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं। साथ ही करीब 56 अन्य लोगों की मौत हुई है। अब इस विमान का निर्माण बंद किया जा चुका है।

और कितनी शहादत का इंतजार

यहां बड़ा प्रश्न यह उठता है कि अब तक 400 से अधिक मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त गए, जिनमें भारतीय सेना के करीब 200 जाबांज पायलट शहीद हो गए, लेकिन इतनी बड़ी शहादत के बावजूद सरकारें और सेना इसको रिटायर्ड क्यों नहीं कर रहीं। क्या अब भी और जवानों की शहादत का इंतजार है, या इसके पीछे कोई बड़ा दबाव या साजिश है। गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय वायु सेना ने पहली बार साल 1963 में अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए सोवियत मूल के 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों- मिग-21 को अपने बेड़े में शामिल किया था, लेकिन 400 से अधिक हादसों के बावजूद इन्हें अब तक रिटायर्ड नहीं किया गया। उधर, रूस ने तो वर्ष 1985 में ही इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल अब तक कर रहा है।

मंत्री या नेता की जान गई होती तो...

एक बड़ा प्रश्न यह है कि यदि मिग 21 विमान क्रेश में ही यदि किसी बड़े मंत्री या राजनेता की जान चली गई होती तो भी क्या इसे अब तक इस्तेमाल किया जाता? जी नहीं यदि ऐसा हादसा हुआ होता तो कब के ही ऐसे विमान को उड़ने के अयोग्य बताकर इसे शीघ्र ही रिटायर्ड कर दिया गया होता। क्योंकि शायद हमारे देश के नेताओं को जवानों से अधिक खुद की परवाह अधिक है। ऐसा हुआ होता तो सेना के शीर्ष अधिकारी भी इसे विमान को नाकारा घोषित कर इस्तेमाल से बाहर करने की सिफारिश कर देते, फिर चाहे सेना को इससे कितना ही नुकसान उठाना पड़ता।

कहा जाता उड़ता ताबूत

1964 से इस विमान का इस्तेमाल कर रही भारतीय वायुसेना में इसके क्रैश रिकॉर्ड को देखते हुए इसे फ्लाइंग कॉफिन यानि उड़ता ताबूत कहा जाता है। पिछले 71 दिनों में दो मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. एक हादसे में तो स्क्वॉड्रन का कमांडिंग अफसर बच गया. लेकिन दूसरे मामले में ऐसा नहीं हो पाया। वायु सेना ने साल 1963 में सोवियत मूल के 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों- मिग-21 को अपने बेड़े में शामिल किया था, लेकिन उनमें से 400 से ज्यादा मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अब तक करीब 200 पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं. साथ ही करीब 56 अन्य लोगों की मौत हुई है। रूस ने तो वर्ष 1985 में ही इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल अब तक कर रहा है।

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने 2012 में पार्लियामेंट में कहा था कि रूस से खरीदे गए 872 मिग विमानों में से आधे से अधिक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इसमें 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। इनमें 171 पायलट, 39 सिविलियन और 08 अन्य सेवाओं के लोग शामिल थे।

पुराना विमान है मिग

  • मिग 21 सोवियत काल के उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है।

  • मिग 21 ने अपनी पहली उड़ान साल 1955 में भरी थी।

  • मिग-21 विमान को भारतीय वायु सेना में साल 1963 में शामिल किया गया था।

  • उस वक्त के सबसे उन्नत किस्म के विमानों में से एक होने की वजह से भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था। अब इस विमान का निर्माण बंद किया जा चुका है।

  • साल 1966 से 2012 तक कुल 872 मिग-21 विमानों में से 482 क्रैश हो चुके हैं जिसके चलते 171 पायलट शहीद हो चुके हैं वहीं 39 आम नागरिकों की मौत भी हो चुकी है।

  • साल 2013-2021 की बात करें तो कुल 20... मिग-21 क्रैश हो चुके हैं।

अब बाडमेर में हुआ एक मिग क्रैश

राजस्थान के बाड़मेर में 28 जुलाई की रात को एक मिग-21 विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में दोनों पायलट शहीद हो गए। विमान क्रैश होने से उसमें आग लग गई और दमकल की 6 गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। विमान का मलबा करीब आधा किलोमीटर तक फैला है। राजस्थान में बीते 8 सालों में 7 लड़ाकू विमान क्रैश हो चुके हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर दुख जताया है। एयरफोर्स ने दिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के भी आदेश दिए हैं। लेकिन सवाल ये है कि उड़ता ताबूत कहे जाने वाला मिग-21 कब तक उड़ान भरता रहेगा और कब तक देश के होनहार युवा पायलट ऐसे ही शहीद होते रहेंगे।

कईयों का जीवन बचा गए शहीद पायलट

वायुसेना का फाइटर प्लेन मिग-21 बाड़मेर के भीमड़ा गांव के पास गुरुवार रात करीब 9 बजकर 10 मिनट पर क्रैश हुआ। हादसा इतना भयानक था कि विमान के परखच्चे उड़ गए और उसका मलबा करीब आधे किलोमीटर तक बिखर गया। हादसे का शिकार मिग 21 एयरफोर्स का ट्रेनी विमान था। इलाके के लोगों के मुताबिक हादसे से पहले मिग 21 भीमड़ा गांव के आसपास उड़ान भर रहा था और इसी दौरान उसमें आग लग गई थी। दोनों पायलट ने अपनी जान की परवार किए बिना आग लगने के बाद भी वीरता के साथ विमान को सुनसान इलाके की ओर मोड़ दिया। जिसकी वजह से आबादी वाला इलाका इसकी चपेट में आने से बच गया।

...फिर दुख जताने की रस्म

हादसे की जानकारी मिलते ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी से फोन पर बात की। राजनाथ सिंह ने हादसे पर दुख जताते हुए ट्वीट किया। राजस्थान में बाड़मेर के पास भारतीय वायुसेना के मिग-21 ट्रेनर विमान के दुर्घटना में दो वायु योद्धाओं के खोने से गहरा दुख हुआ। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।

कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश

कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन इस हादसे के बाद एक बार फिर मिग-21 की विश्वसनीयता पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मिग-21 के क्रैश होने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. बाड़मेर में ही पिछले साल ट्रेनिंग के दौरान भी मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, तब पायलट सुरक्षित बच गए थे।

इतिहास रहा है शानदार

मिग-21 बार-बार हादसे का शिकार क्यों हो रहा है। मिग-21 के हादसों में कबतक हम देश के युवा पायलट्स को इस तरह खोते रहेंगे और सबसे बड़ा सवाल बार-बार हो रहे हादसों को बाद भी मिग 21 एयरफोर्स का हिस्सा क्यों है? ऐसी क्या मजबूरी है कि एडवांस टेक्नोलॉजी आ जाने के बाद भी पुराने हो चुके मिग 21 का इस्तेमाल किया जा रहा है? आखिर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना उड़ता ताबूत बन चुके मिग 21 को कब रिटायर करेगी। मिग-21 का बड़ा ही गौरवशाली इतिहास रहा है 1965 से लेकर 1971 और 1999 के करगिल युद्ध और बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी एफ-16 को गिराने में मिग-21 ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया था लेकिन सवाल ये है कि 1964 में एयरफोर्स में शामिल मिग-21 कब तक पायलट्स की जान लेता रहेगा।

फाइटर जेट MIG-21 : जवानों की जान पर 'मौत की उड़ान' कब तक
बाड़मेर में MiG क्रैश, दोनों पायलट शहीद, वायुसेना ने दिया कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश

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