अपनी खबरों के जरिए लगातार भारत के बहुसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाली और अल्पसंख्यक समुदाय को बेचारे की तरह पेश करने वाली पत्रकार राना अय्यूब पर अब ईडी के निशाने पर आ गई हैं ।
प्रवर्तन निदेशालय ने इनके खिलाफ चार्जशीट दायर की है जिसमें बताया है कि अय्यूब ने कोविड काल के दौरान जरूरतमंदो की मदद के नाम पर करीब 2.69 करोड़ रूपए का चंदा जुटाया था जिसमें से मात्र 29 लाख रूपए जनता की मदद में खर्च किए हैं ।
राना पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप भी लगाया गया है ।
हमारे देश की सबसे प्रोमिंनेट और हमेशा सिर्फ सच के साथ रहने वाली पत्रकार हैं राना अय्यूब, वो बात अलग है कि इनका सच एक समुदाय विशेष की ओर झुका होता है और इनके अनुसार भारत का बहुंसख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों को खत्म करने पर उतारू है ।
खैर खत्म कौन हो रहा है, गले किसके कट रहे हैं और कौन काट रहा है ये सब हमको पता है लेकिन आज बात कुछ और है ।
देश की लिबरल गैंग को आज तगड़ा झटका लगा है ।
क्योंकि राना अय्यूब, अजीत अंजुम, राजदीप सरदेसाई और इनकी गैंग के सरदार रवीश कुमार इस गैंग के सिपाहसालार हैं।
आज बाकी तीनों को छोड़ते हैं और राना अय्यूब पर फोकस करते हैं ।
देखिए इनकी रिपोर्ट होती है इंग्लिश में क्योंकि दुनियाभर की महान सोच रखने वाले लोग जो खुद को प्रोग्रेसिव मानते हैं वो इंग्लिश में पढ़ते हैं और इंग्लिश जर्नलिस्म को थोड़ा से बेहतर मानते हैं।
अब ये अंग्रेजी में लेफ्टिस्ट जहर परोस कर उनके मन में उस जहर को अच्छे से भर देते हैं और फिर वो ही लोग जो सिर्फ इनको पढ़ते हैं और इनको सच मान लेते हैं वो हम जैसे हिंदी भाषी लोगों को वो ज्ञान देते हैं और महसूस कराते हैं कि इन लोगो की सोच जिनती प्रोग्रेसिव है न उतना कोई सोच भी नहीं सकता । अगर इन लोगों को फॉलो किया जाए तो हम समाज में कूल बन सकते हैं खुद को प्रोग्रेसिव औऱ मॉडर्न कहलवा सकते हैं ।
सच ये है कि जब आप राना अय्यूब के ट्विटर को खोलेंगे तो आपको समझ आएगा कि इनके अनुसार भारत दुनिया का सबसे खराब देश है और यहां पर धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय किया जाता है।
अब देखो अन्याय तो अन्याय है, क्राइम तो क्राइम है लेकिन इन्हे सिर्फ वो क्राइम नजर आता है जो भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हुआ और क्राइम करने में बहुसंख्यक समुदाय का हाथ हो ।
जब आप इनकी रिपोर्ट और ट्वीट्स को अच्छे से पढ़ेंगे तो इतनी सावधानी से इन्होने हिंदूओं के खिलाफ जहर परोसा हुआ है कि एक बार आप खुद हिंदू होकर हिंदूओं से घिन करने लगोगे ।
उसमें भी सबसे बड़ी बात ये खुद को सेक्यूलर यानि कि धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, जबकि इनके ट्वीट्स में हिंदू और मुस्लिम शब्द भर भर के प्रयोग होते हैं ।
कहते हैं कि वक्त की सबसे अच्छी बात ये होती है कि वो बदलता जरूर है ।
कुछ ऐसा ही हुआ है, लिबरल गैंग की सरदारनी राना अय्यूब अब ईडी के रडार पर आ गई हैं । ईडी ने उनपर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। ED ने बताया है कि राणा अय्यूब ने एक ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केट्टो पर तीन कैंपेन शुरू किए थे और इससे करोड़ों रुपए जुटाए थे।
एक्जाक्ट फिगर्स की बात करें तो इनको 2.69 करोड़ का डोनेशन मिला था । अब आरोप है कि ये पैसा राना के पिता और बहन के अकाउंट में आया और उसमें से 50 लाख रूपए की अय्यूब ने एफडी खुलवा ली और 50 लाख दूसरे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी और जनता के हित में सिर्फ 29 लाख खर्च किए हैं।
ED ने चार्जशीट में लिखा कि राणा अय्यूब ने आम जनता से मिले फंड्स को लॉन्डर किया और फिर इन फंड्स को बेदाग दिखाने की कोशिश की। राणा ने सरकारी अनुमति या रजिस्ट्रेशन के बिना विदेश से फंड हासिल किया, जो कि 2010 के फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशंस एक्ट के तहत अनिवार्य है।
पूरा मामला आपके सामने है अब आप सोचिए अपना विवेक लगाइए और फैसला कीजिए कि आपको किसको फॉलो करना है, उनको जो खुद पर प्रोग्रेसिव होने का ठप्पा लगाकर लगातार हिंदुओ के खिलाफ हेट फैलाते हैं और अगर कोई हिंदुओं की बात करे तो उसे कट्टरवादी या एक्सट्रिमिस्ट साबित करने में लग जाते हैं या उनको जो खुलकर सांप्रदायिकवाद का विरोध करते हैं ।