राजस्थान के झुंझुनू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में संघ ने साफ कर दिया कि वे नूपुर के बयान का समर्थन नहीं करते है, लेकिन उदयपुर जैसे आतंकी हमले को भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है । मुस्लिम समाज को भी इसका खुलकर विरोध करना चाहिए।
उदयपुर आंतकी हमला बेहद निंदनीय- संघ
संघ की तीन दिवसीय बैठक में उदयपुर आतंकी हमले में मारे गए कन्हैयालाल का मुद्दा उठाया गया। इस बारे में संघ के अधिकारियों ने कहा कि यह घटना बेहद निंदनीय है । संघ ने नूपुर का नाम लिए बगैर कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ-साथ जनभावना का भी ध्यान रखना चाहिए ।
प्रतिक्रिया देने का लोकतांत्रिक तरीका- संघ
संघ ने आगे कहा कि देश में लोकतंत्र स्थापित है । अगर किसी को कुछ पसंद नहीं है, तो उस पर प्रतिक्रिया करने का एक लोकतांत्रिक तरीका है । इससे स्पष्ट है कि संघ उदयपुर की घटना का पुरजोर विरोध करता है, लेकिन नूपुर शर्मा के पक्ष में नहीं है ।
अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा- हिंदू समाज शांतिपूर्ण, संवैधानिक तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है । मुस्लिम समाज से भी इस तरह की घटना का विरोध करने की उम्मीद है । कुछ बुद्धिजीवियों ने इसका विरोध किया है । ऐसी घटनाएं न तो समाज के हित में हैं और न ही देश हित में । सभी को मिलकर विरोध दर्ज कराना होगा ।
क्या आरएसएस बदल रहा है रास्ते?
इससे पूर्व में ही राष्ट्रीय स्वंय संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि हिंदू हों या मुसलमान, उनको इस मुद्दे पर ऐतिहासिक हकीकत और तथ्यों को स्वीकार करना चाहिए । दोनों पक्षों को एक साथ आना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो कोर्ट में मामला जाए और सभी कोर्ट के फैसले को स्वीकार करें ।
एनआईए के अनुसार मोहन भागवत का कहना था कि हिंदू संगठन आए दिन किसी न किसी मंदिर-मस्जिद का विवाद सामने ला रहे है । ऐसा करना ठीक नहीं है । ऐसे मुद्दों का सौहार्दपूर्ण समाधान जरूरी है । भागवत ने आगे कहा कि कुछ हिंदू संगठनों ने देश में कई स्थानों पर मस्जिदों के स्थान पर मंदिर बनाने की मांग की क्योंकि उन्हें लगा कि ये विवादित है । ऐसे मामलों में कुछ संगठनों ने आरएसएस को भी जोड़ने की कोशिश की । ऐसे किसी भी आंदोलन में आरएसएस शामिल नहीं होगा ।