जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का जनक 'जमात-ए-इस्लामी' अब खात्मे की तरफ: देखिए Video

राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में जमात-ए-इस्लामी की करीब 188 संपत्तियों की पहचान की है। इनकी कीमत करीब एक हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। इन सभी को एक-एक करके सील किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का जनक 'जमात-ए-इस्लामी' अब खात्मे की तरफ: देखिए Video

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का प्रमुख प्रायोजक रहे प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के इस तंत्र को नष्ट करने का अभियान उसी जिले से शुरू हुआ है जहां से इसकी शुरुआत हुई थी। राज्य प्रशासन ने गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में जमात-ए-इस्लामी की 2.60 करोड़ रुपये की नौ अचल संपत्तियों को सील कर दिया।

'जमात-ए-इस्लामी' अब खात्मे की तरफ देखिए Video

जमात-ए-इस्लामी की करीब 188 संपत्तियों की पहचान
जमात-ए-इस्लामी की करीब 188 संपत्तियों की पहचान

जमात-ए-इस्लामी की करीब 188 संपत्तियों की पहचान

राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में जमात-ए-इस्लामी की करीब 188 संपत्तियों की पहचान की है। इनकी कीमत करीब एक हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। इन सभी को एक-एक करके सील किया जाएगा।

बताया जा रहा है कि इसी प्रक्रिया के तहत श्रीनगर के हैदरपोरा में कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के घर को सील करने की तैयारी की जा रही है। जमात-ए-इस्लामी भी इस घर पर अपना दावा करता है।

जमात-ए-इस्लामी अलगाववाद का प्रमुख प्रायोजक

यह महज इत्तेफाक हो या कुछ और, जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी का पहला सम्मेलन साल 1942 में शोपियां के बादामी बाग में हुआ था। इस सम्मेलन के बाद वर्ष 1945 में पंजाब के पठानकोट में जमात का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन हुआ।

देश के आजाद होने के बाद जमात की जम्मू-कश्मीर इकाई ने जमात-ए-इस्लामी हिंद से दूरी बना ली थी। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद और अलगाववाद का प्रमुख प्रायोजक संगठन माना जाता है।

हिजबुल कैडर का 95 फीसदी हिस्सा जमात से

जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों के ज्यादातर कैडर प्रत्यक्ष रूप से जमात-ए-इस्लामी से जुड़े माने जाते हैं। कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन को जमात का पक्षधर भी कहा जाता था। हिजबुल का 95वां पर्सेंटाइल कैडर भी जमात का है।

अधिकांश अलगाववादी संगठनों के नेता भी जमात से जुड़े रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी पर फरवरी 2019 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। जब जमात के अमीर-ए-अला शोपियां के रहने वाले अब्दुल हमीद गनई था।

अगस्त 2022 में टेरर फंडिंग मामले में NIA ने जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों के खिलाफ जम्मू और डोडा में छापेमारी की थी।
अगस्त 2022 में टेरर फंडिंग मामले में NIA ने जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों के खिलाफ जम्मू और डोडा में छापेमारी की थी।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि शोपियां में जमात की संपत्ति को सील करने के लिए जारी आदेश में अलगाववादी गतिविधियों के लिए धन के प्रवाह को रोकने, विरोधी के तंत्र को नष्ट करना उद्देश्य है।

सील की गई संपत्तियों की कीमत ढाई करोड़ से ज्यादा

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एसआईए ने पूरे राज्य में जमात-ए-इस्लामी की विभिन्न अचल संपत्तियों का पता लगाया है। इनमें दुकानें, घर, स्कूल परिसर, उद्यान आदि शामिल हैं। एसआईए ने इन्हें सील करने की सिफारिश की है ताकि इनका इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में न हो सके।

उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी शोपियां ने जिले में जमात-ए-इस्लामी की नौ अचल संपत्तियों को सील करने का आदेश जारी किया है। किसी भी अवांछित तत्व को सीलबंद संपत्तियों में प्रवेश करने या उनका उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सील की गई संपत्तियों की कीमत 2.5 करोड़ रुपये (2,58,03,333) से अधिक आंकी गई है।

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